छत्तीसगढ़ : 127 किसानों की जमीनों पर अफसरों का कब्जा, HC ने रद्द किया अधिग्रहण

मंगलवार को नया रायपुर के लिए जमीन का अधिग्रहित की गई 127 किसानों की जमीन का अधिग्रहण बिलासपुर हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है. साथ ही हाई कोर्ट ने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून की धज्जियां उड़ाकर अफसरों ने किसानों की जमीनों पर कब्जा किया था.

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बिलासपुर हाईकोर्ट बिलासपुर हाईकोर्ट

सुनील नामदेव

  • बिलासपुर,
  • 04 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 8:02 PM IST

छत्‍तीसगढ़ के अटल नगर (पूर्व में नया रायपुर) के किसानों को अदालत ने बड़ी राहत दी है. मंगलवार को नया रायपुर के लिए अधिग्रहित की गई 127 किसानों की जमीन का अधिग्रहण हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून की धज्जियां उड़ाकर अफसरोंने किसानों की जमीनों पर कब्जा किया था. 

छत्तीसगढ़ में नया रायपुर ने राज्य की नई राजधानी होने को लेकर खूब सुर्खियां बटोरीं. नया रायपुर अब अटल नगर के नाम से जाना जाने लगा है, लेकिन अटल नगर के विकास के नाम पर कुछ किसानों की जमीन जबरन हड़प ली गई.

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इन किसानों को न तो उनकी खेतिहर जमीन का चौगुना मुआवजा मिला और न ही सरकार ने उनकी जमीन का मुनासिब भाव तय किया. आखिरकार किसानों ने अपनी जमीन वापस पाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया. 

कई महीनों तक चली सुनवाई के बाद आखिरकार भूअर्जन अधिनियम के प्रावधानों का पालन नहीं होने पर हाईकोर्ट ने 127 किसानों की जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया निरस्त कर दी है. बिलासपुर हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद पीड़ित किसानों ने राहत की सांस ली है.

अटल नगर के पीड़ित किसानों की भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली एक याचिका की सुनवाई के बाद जस्टिस प्रशांत मिश्रा की बेंच ने राज्य सरकार को नियमों के मुताबिक दोबारा प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए हैं. 

नया रायपुर के विकास के लिए NRDA ने 21 मार्च 2013 को 128.39 एकड़ जमीन अधिग्रहण की अधिसूचना जारी की थी. इसके तहत रायपुर के आरंग के रिको गांव में रहने वाले कई किसानों की जमीन अधिग्रहित करने का फरमान सुनाया गया था.

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सरकारी नोटिफिकेशन के बाद NRDA ने कुलदीप, लखेश्वर प्रसाद सहित 125 किसानों की जमीन अधिग्रहित करने की प्रक्रिया शुरू की. इस बीच 1 जनवरी 2014 से जमीन अधिग्रहण के लिए भूअर्जन में पारदर्शिता और उचित मुआवजे का अधिकार अधिनियम 2013 लागू हो गया.

किसानों ने 2016 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पुराने अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक हुए जमीन अधिग्रहण और मुआवजे की पूरी प्रक्रिया को निरस्त करने की मांग की थी. 

याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि नए अधिनियम के तहत 12 माह के भीतर मुआवजे की राशि उन्हें मिल जानी चाहिए थी. पुराने अधिनियम के तहत भी 3 जनवरी 2015 से पहले मुआवजा दिया जाना चाहिए था, लेकिन उनके मामले में ऐसा नहीं किया गया.

NRDA ने तमाम नियमों का उल्लंघन करते हुए स्थानीय ग्रामीणों की जमीन अपने कब्जे में ले ली. याचिकाकर्ता और सरकारी पक्ष की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि भू-अधिग्रहण के मामलों में तय प्रावधानों का पालन नहीं होने की वजह से जमीन अधिग्रहणकी प्रक्रिया कानून सम्मत नहीं है. लिहाजा उसे निरस्त किया जाता है.

अदालत ने अपने निर्देश में राज्य सरकार को छूट दी है कि आम लोगों के हित में जरूरी होने पर जमीन अधिग्रहण के लिए तय नियमों का पालन करते हुए नए सिरे से प्रक्रिया शुरू की जा सकती है.

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बिलासपुर हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता किसानों की जमीन पर धान की फसल लगी होने पर उसे बेचने के लिए प्रस्तुत आवेदनों का निराकरण करने को भी कहा है. अदालत के इस फैसले के बाद रिको गांव के अलावा अब 50 अन्य गांवों ने भी अदालत की शरण में जाने का फैसला किया है. दरअसल नया रायपुरके दर्जनों गांव में भूमि अधिग्रहण कानून का माखौल उड़ाया गया है.

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