दरभंगा प्रमंडल: तेजस्वी के सामने मिथिला का सियासी दुर्ग बचाने की चुनौती

बिहार के दरभंगा प्रमंडल में समस्तीपुर, दरभंगा और मधुबनी जिले आते हैं, जिसमें 30 विधानसभा सीटें आती हैं. मौजूदा समय में मिथिला के इन तीनों जिलों की ज्यादातर सीटों पर आरजेडी और जेडीयू का कब्जा है. आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस ने मिल कर 25 सीटों पर कब्जा जमाया था. वहीं, बीजेपी को महज तीन सीटें आई थी. ऐसे में तेजस्वी यादव के लिए इस दुर्ग को बचाए रखने की चुनौती है.

Advertisement
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव आरजेडी नेता तेजस्वी यादव

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 08 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 4:33 PM IST
  • दरभंगा प्रमंडल में तीन जिले की 10 सीटें आती हैं
  • 2015 में दरभंगा क्षेत्र में बीजेपी को 3 सीटें मिली थीं
  • जेडीयू 2015 में मिथिला में सबसे बड़ी पार्टी बनी थी

बिहार की राजनीति का गढ़ माने जाने वाली मिथिला क्षेत्र के दरभंगा प्रमंडल का चुनावी मुकाबला काफी रोचक होने जा रहा है. 2015 के चुनाव में दस साल बाद मिथिला की सियासत ने करवट बदली थी. जनता ने विधान सभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नकारते हुए महागठबंधन को सिर आंखों पर बैठाया था. यही वजह रही कि आरजेडी मिथिला में अपनी खोई हुई सियासत को पाने में सफल रही थी. हालांकि, एक बार समीकरण बदल गए हैं. नीतीश अब एनडीए खेमे की अगुवाई कर रहे हैं. ऐसे में तेजस्वी यादव के सामने आरजेडी के पुराने किले को बचाए रखने की चुनौती है. 

Advertisement

दरभंगा प्रमंडल में समस्तीपुर, दरभंगा और मधुबनी जिले आते हैं, जिसमें 30 विधानसभा सीटें आती हैं. मौजूदा समय में मिथिला के इन तीनों जिलों की ज्यादातर सीटों पर आरजेडी और जेडीयू का कब्जा है. आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस ने मिल कर 25 सीटों पर कब्जा कर जमाया था. जेडीयू ने 12 सीटें जीती थी और आरजेडी ने 11 सीटें जीती थीं जबकि दो सीटें कांग्रेस को मिली थी.  

वहीं, दरभंगा प्रमंडल की 30 सीटों में बीजेपी गठबंधन को मात्र चार सीटों पर संतोष करना पड़ा. समस्तीपुर में तो एनडीए खाता भी नहीं खोल पाया. बीजेपी को दरभंगा में 2 और मधुबनी में एक सीटों पर संतोष करना पड़ा था और एक सीट उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को मिली थी. वहीं, 2010 के विधानसभा चुनाव के नतीजे को देखें तो बीजेपी-जेडीयू ने मिलकर 30 में से 22 सीटों पर कब्जा किया था जबकि, आरजेडी को सात सीटों से संतोष करना पड़ा था. 

Advertisement

दरभंगा: बीजेपी के पास सिर्फ दो सीटें

दरभंगा जिले के 10 विधानसभा विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें से दरभंगा ग्रामीण, बहादुरपुर, अलीनगर और  केवटी सीट पर आरजेडी का कब्जा है जबकि, गौड़ाबोराम, कुशेश्वरस्थान, हायाघाट और बेनीपुर सीट पर जेडीयू के विधायक हैं. वहीं, जाले  और दरभंगा शहरी सीट ही बीजेपी के पास है. हालांकि, 2010 में बीजेपी के पास 5, आरजेडी के पास 2 और जेडीयू के पास 3 सीटें थी. इस तरह से बीजेपी को नुकसान और आरजेडी को जबरदस्त फायदा मिला था. 

मधुबनी: आरजेडी का कब्जा

मिथिला में मधुबनी जिले की अपनी राजनीतिक अहमियत है. इस जिले में दस विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें हरलाखी, बेनीपट्टी, बिस्फी, मधुबनी, बाबू बरही, झंझारपुर, खजौली, लोकहा, राजनगर और फुलपरास शामिल है.  2015 के चुनाव में आरजेडी ने 4, जेडीयू ने 3 और कांग्रेस को एक सीट पर जीत मिली थी. वहीं, बीजेपी को मात्र एक सीट पर संतोष करना पड़ा था. एक सीट उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को मिली थी. 

मधुबनी जिले में 10 साल बाद कांग्रेस खाता खोलने में कामयाब रही थी और  पहली बार उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी ने जिले में अपनी जीत दर्ज की थी. साल 2010 के चुनाव परिणाम को देखें तो बीजेपी के पास 3, आरजेडी के पास 3 और जेडीयू के पास 4 सीटें थी. बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर सात सीटों पर कब्जा जमाया था और अब एक बार फिर दोनों दल एक साथ हैं. ऐसे में सबसे बड़ा चैलेंज महागठबंधन के लिए हैं. 

Advertisement

समस्तीपुर: जेडीयू का मजबूत दुर्ग

दरभंगा प्रमंडल के तहत आने वाले समस्तीपुर जेडीयू का मजबूत गढ़ माना जाता है. जिले की आधी से ज्यादा सीटों पर जेडीयू का पिछले दो चुनाव से कब्जा है. समस्तीपुर जिले में भी तीस विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें कल्याणपुर, वारिसनगर, समस्तीपुर, उजियारपुर, मोरवा, सरायगंज, मोहिउद्दीन नगर, विभूतिपुर, रोसड़ा और हसनपुर विधानसभा क्षेत्र हैं. 

2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी समस्तीपुर में खाता भी नहीं खोल सकी थी और सभी सीटों पर महागठबंधन जीतने में कामयाब रही थी. आरजेडी को तीन, जेडीयू को 6 और एक सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. हालांकि, 2010 के चुनाव के नतीजे देखे तों बीजेपी और आरजेडी को 2-2 सीटें मिली थी जबकि जेडीयू ने 6 सीटों पर कब्जा किया था. इस तरह से जेडीयू को अपना किला बचाए रखने की बड़ी चुनौती होगी. 

हालांकि, इस बार राजनीतिक समीकरण बदले हुए हैं. जेडीयू एक बार फिर बीजेपी के साथ मिलकर चुनावी मैदान में है और एलजेपी व जीतनराम मांझी का समर्थन हासिल है. वहीं महागठबंधन में आरजेडी के साथ कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों का समर्थन है. इसके अलावा उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश साहनी भी महागठबंधन का हिस्सा हैं. ऐसे में देखना है मिथिला के क्षेत्र में सियासी बाजी कौन मारता है. 

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement