बिहार विधानसभा चुनाव के जो रुझान सामने आए हैं उसके मुताबिक बिहार में एनडीए ऐतिहासिक जीत की ओर है. अभी तक के वोटों की गिनती के बाद एनडीए 200 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं जबकि महागठबंधन के सिर्फ 37 प्रत्याशी आगे दिख रहे हैं. बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं.
बिहार में एनडीए के इस लैंड मार्क विक्ट्री और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बादशाहत के पीछे सबसे बड़ा कारक राज्य की महिला वोटर बनकर उभरी हैं. लगभग दो दशकों से महिलाओं को ध्यान में रखकर चलाई जा रही योजनाओं का राजनीतिक फायदा एक बार फिर नीतीश कुमार को मिलता दिख रहा है.
रिकॉर्डतोड़ वोटिंग का मिला सीधा फायदा
चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं कि इस बार महिलाओं की वोटिंग हिस्सेदारी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई. जहां पुरुषों का मतदान प्रतिशत 62.98 रहा, वहीं महिलाएं 71.78 फीसदी की ऐतिहासिक भागीदारी के साथ उनसे कहीं आगे रहीं. मतदान के दिन बूथों पर महिलाओं की लंबी कतारें इस बात का संकेत थीं कि वो इस बार अपने फैसले के साथ मजबूती से खड़ी हैं और यह फैसला सीधे-सीधे नीतीश सरकार के पक्ष में गया.
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दूसरी ओर महागठबंधन महिलाओं को उतना प्रभावित नहीं कर सका. तेजस्वी यादव की 'माई बहिन मान योजना' अभी वायदे के तौर पर दिखी, जबकि नीतीश सरकार की योजनाएं पहले से लागू और असरदार रही थीं. वोटिंग से ठीक पहले तेजस्वी द्वारा मक़र संक्रांति को महिलाओं के खाते में सालाना 30,000 रुपये देने का एलान भी महिलाओं के बीच उतना असर नहीं छोड़ पाया.
10,000 रुपये की सीधी आर्थिक सहायता गेम चेंजर
इसके उलट, त्योहारी सीजन से पहले एनडीए का बड़ा मास्टरस्ट्रोक सामने आया जब हर महिला के खाते में 10,000 रुपये की सीधी आर्थिक सहायता दी गई. लगभग 25 लाख महिलाओं को सीधे लाभ और करीब दो करोड़ वोटरों पर अप्रत्यक्ष प्रभाव डालने वाली इस योजना ने चुनावी माहौल ही बदल दिया. तत्काल आर्थिक राहत और खर्च करने की शक्ति मिलने से महिला वोटरों में सरकार के प्रति भरोसा और मजबूत हुआ.
'लखपति दीदी' कार्यक्रम
इसके साथ ही 'लखपति दीदी' कार्यक्रम ने महिलाओं को स्वरोजगार, बाजार से जुड़ाव, प्रशिक्षण और लोन के अवसर देकर आर्थिक रूप से सशक्त करने का काम किया. यह कार्यक्रम ग्रामीण महिलाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हुआ और उसने नीतीश सरकार के प्रति एक वफादार वर्ग तैयार कर दिया.
पहले चरण के मतदान (6 नवंबर) के दौरान छपरा के रसूलपुर में वोट डालने पहुंचीं रमा देवी का बयान महिलाओं के मूड की स्पष्ट तस्वीर पेश करता है. उन्होंने कहा, 'यह हमारा अधिकार है, आज के दिन घर के काम से ज्यादा जरूरी वोट डालना है. हमें अपने भविष्य का फैसला खुद करना चाहिए.'
जीविका समूह मॉडल
नीतीश कुमार की महिला सशक्तिकरण छवि वर्षों से स्थिर और मजबूत रही है. मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना, पंचायत और नगर निकायों में 50% आरक्षण, पुलिस भर्ती में 35% कोटा, और ग्रामीण महिलाओं को बदलने वाला जीविका समूह मॉडल, इन सभी ने महिलाओं को न सिर्फ आर्थिक रूप से बल्कि सामाजिक और राजनीतिक रूप से भी मजबूत बनाया.
सशक्त महिलाओं ने चुना सशक्त नेतृत्व
सुपौल, किशनगंज और मधुबनी जैसे जिलों में महिला वोटरों की भारी मौजूदगी ने भी ये संदेश साफ कर दिया कि बिहार की राजनीति में महिला वर्ग अब निर्णायक शक्ति बन चुकी हैं. 2025 के रुझान साफ बताते हैं कि जो महिलाएं सशक्त होंगी, वही नेतृत्व को सशक्त बनाएंगी. और इस बार महिलाओं ने एकजुट होकर नीतीश कुमार पर अपना भरोसा जताकर बिहार की राजनीति की दिशा बदल दी.
मौसमी सिंह