अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट नीति का मतलब है कि अमेरिका को पहले रखना. इसके तहत उन्होंने विदेशी सामान पर बहुत ऊंचे टैरिफ लगा दिए हैं. लेकिन यह नीति अमेरिका के सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान F-35 के प्रोग्राम पर भारी पड़ रही है. 2025 में कई देशों ने F-35 खरीदने के सौदे रद्द कर दिए या रोक दिए. इससे लॉकहीड मार्टिन कंपनी को अरबों डॉलर का नुकसान हो रहा है. अमेरिकी नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है.
F-35 लाइटनिंग II दुनिया का सबसे उन्नत स्टील्थ लड़ाकू विमान है. यह लॉकहीड मार्टिन कंपनी बनाती है. अमेरिकी सेना के अलावा 20 से ज्यादा देश इसे इस्तेमाल करते हैं. यह विमान दुश्मन के रडार से बच सकता है. हवा, जमीन व समुद्र पर हमला कर सकता है. लेकिन इसकी कीमत बहुत ऊंची है – हर जेट की लागत 80-100 मिलियन डॉलर. बड़े सौदे होने से कीमत कम रहती है. अगर विदेशी देश न खरीदें तो अमेरिका को ही ज्यादा महंगा पड़ता है.
यह भी पढ़ें: जासूसी के खेल से तख्तापलट की कोशिशों तक... इमरान खान से आसिम मुनीर की दुश्मनी की कहानी
ट्रंप ने 2025 में विदेशी सामान पर 10% से 50% तक टैरिफ लगा दिए. यह रेसिप्रोकल टैरिफ कहलाता है – मतलब जो देश अमेरिकी सामान पर टैक्स लगाते हैं, उन पर भी वैसा ही. अप्रैल 2025 तक औसत टैरिफ 27% हो गया, जो 100 साल का रिकॉर्ड है. ट्रंप का कहना है कि इससे अमेरिकी नौकरियां बचेंगी. लेकिन F-35 के पार्ट्स दुनिया भर से आते हैं. टैरिफ से कीमत बढ़ गई, जिससे कई सहयोगी देश नाराज हो गए. वे अब यूरोपीय विमान जैसे राफेल, यूरोफाइटर या ग्रिपेन चुन रहे हैं. इससे F-35 का निर्यात संकट गहरा गया है.
ट्रंप ने नवंबर 2025 में सऊदी अरब को F-35 बेचने की मंजूरी दी. यह नया ग्राहक है, लेकिन कांग्रेस की मंजूरी चाहिए. इज़रायल बहुत नाराज़ है क्योंकि F-35 की ताकत इज़रायल के पास थी. सऊदी-अमेरिका रिश्ते सुधारने के लिए यह कदम है, लेकिन अभी सौदा पक्का नहीं.
यह भी पढ़ें: राफेल में लगने वाली मिसाइल से लेकर फाइटर जेट के इंजन तक भारत में बनाएगी ये विदेशी कंपनी
ये रद्द सौदे F-35 प्रोग्राम को 100 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान पहुंचा रहे हैं. पेंटागन ने 2026 के लिए खरीद कम कर दी. अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी बोझ – हर घर पर 1,200 डॉलर का अतिरिक्त टैक्स पड़ेगा. सहयोगी देश अब मेक इन यूरोप पर जोर दे रहे हैं. ट्रंप की नीति से NATO रिश्ते खराब हो रहे हैं. लॉकहीड मार्टिन को नौकरियां कम होने का डर है. कुल मिलाकर अमेरिका फर्स्ट- अमेरिका के ही हितों पर चोट कर रही है.
वैज्ञानिक और अर्थशास्त्री चेतावनी दे रहे हैं कि ऐसे टैरिफ महंगाई बढ़ाएंगे और व्यापार युद्ध छेड़ेंगे. F-35 का भविष्य अनिश्चित है. ट्रंप को शायद अपनी नीति बदलनी पड़े. उम्मीद है कि अमेरिका और उसके सहयोगी मिलकर समाधान निकालें, ताकि सुरक्षा और व्यापार दोनों मजबूत रहें.
ऋचीक मिश्रा