कश्मीर घाटी में मिलिट्री स्पेशल ट्रेन से पहुंचाए टैंक और हथियार... भारतीय सेना की बड़ी उपलब्धि

भारतीय सेना ने 16 दिसंबर 2025 को बड़ा लॉजिस्टिक्स मील का पत्थर हासिल किया. मिलिट्री स्पेशल ट्रेन से जम्मू से अनंतनाग (कश्मीर घाटी) तक टैंक, आर्टिलरी गन और डोजर पहुंचाए गए. USBRL प्रोजेक्ट और रेल मंत्रालय के सहयोग से उत्तरी सीमाओं पर तेज तैनाती और ऑपरेशनल तैयारियां मजबूत हुईं.

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कश्मीर घाटी में हथियारों को लेकर जाती मिलिट्री ट्रेन. (Photo: ITG) कश्मीर घाटी में हथियारों को लेकर जाती मिलिट्री ट्रेन. (Photo: ITG)

शिवानी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 18 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:58 PM IST

भारतीय सेना ने लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में एक बड़ा मील का पत्थर हासिल किया है. 16 दिसंबर 2025 को सेना ने पहली बार मिलिट्री स्पेशल ट्रेन के जरिए कश्मीर घाटी में टैंक, आर्टिलरी गन (तोपें) और डोजर जैसे भारी उपकरण पहुंचाए. यह वैलिडेशन एक्सरसाइज का हिस्सा था, जिसमें जम्मू क्षेत्र से अनंतनाग (कश्मीर) तक इन उपकरणों को सफलतापूर्वक ले जाया गया.

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क्या हुआ इस ऑपरेशन में?

सेना की अतिरिक्त महानिदेशक जनसंपर्क (ADGPI) ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि उत्तरी सीमाओं पर क्षमताएं बढ़ाते हुए. भारतीय सेना ने 16 दिसंबर 2025 को मिलिट्री स्पेशल ट्रेन से कश्मीर घाटी में टैंक और आर्टिलरी गन पहुंचाकर लॉजिस्टिक्स का बड़ा मील का पत्थर हासिल किया.

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यह कार्रवाई जम्मू से अनंतनाग तक की गई. टैंक, तोपें और इंजीनियरिंग डोजर को ट्रेन में लादकर सुरक्षित पहुंचाया गया. इससे सेना की गतिशीलता (मोबिलिटी) और लॉजिस्टिक्स क्षमता में बड़ा सुधार दिखा. अब जरूरत पड़ने पर भारी हथियारों को तेजी से तैनात किया जा सकेगा.

रेल मंत्रालय का सहयोग और USBRL प्रोजेक्ट की भूमिका

यह सफलता रेल मंत्रालय के साथ करीबी समन्वय से हुई. सेना ने कहा कि उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (USBRL) प्रोजेक्ट का यह परिवर्तनकारी प्रभाव है, जो तेज लॉजिस्टिक्स बिल्ड-अप और उत्तरी सीमाओं पर ऑपरेशनल रेडीनेस को मजबूत करता है.

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USBRL प्रोजेक्ट 272 किलोमीटर लंबा है और हिमालय की मुश्किल पहाड़ियों से गुजरता है. इसकी लागत करीब 43,780 करोड़ रुपए आई. जून 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे पूरी तरह चालू किया. पहले यह सिर्फ यात्री ट्रेनों के लिए था, लेकिन अब मिलिट्री सामान के लिए भी उपयोगी साबित हो रहा है. सितंबर में सेना ने इसी रूट से सर्दियों का 753 टन सामान पहुंचाया था.

रक्षा के लिए क्यों महत्वपूर्ण?

कश्मीर घाटी की भौगोलिक स्थिति मुश्किल है – ऊंचे पहाड़, बर्फ और सर्दियां. पहले भारी उपकरण सड़क मार्ग से ले जाना पड़ता था, जो समय लगाता और जोखिम भरा था. अब रेल से तेज और सुरक्षित ढुलाई संभव है. इससे उत्तरी सीमाओं (चीन और पाकिस्तान से लगी) पर सेना की तैयारियां मजबूत होंगी. जरूरी समय पर टैंक-तोपें जल्दी पहुंच सकेंगी, जो ऑपरेशनल फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ाएगी.

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