Skyfall... रूस ने बना ली दुनिया की सबसे खतरनाक परमाणु मिसाइल! US डिफेंस सिस्टम भी होगा बेबस

रूस का बुरेवेस्तनिक (स्काईफॉल) परमाणु ऊर्जा से चलने वाली क्रूज मिसाइल है, जो असीमित दूरी तक उड़ सकती है. परमाणु हथियार ले जा सकती है. यह अमेरिकी मिसाइल डिफेंस को चकमा दे सकती है. 2025 में नए टेस्ट चल रहे हैं. यह हथियार वैश्विक सैन्य संतुलन बदल सकता है पर रेडिएशन खतरा भी है. रूस इसे डिटरेंस के लिए बना रहा है.

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ये है रूस की परमाणु ऊर्जा से चलने वाली न्यूक्लियर क्रूज मिसाइल स्काईफॉल. (Photo: Russia Defence Ministry) ये है रूस की परमाणु ऊर्जा से चलने वाली न्यूक्लियर क्रूज मिसाइल स्काईफॉल. (Photo: Russia Defence Ministry)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 13 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:41 PM IST

रूस ने दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार बनाया है. इसका नाम है बुरेवेस्तनिक (Burevestnik), जिसे नाटो देश स्काईफॉल (Skyfall) कहते हैं. यह एक क्रूज मिसाइल है, जो परमाणु ऊर्जा से चलती है. परमाणु हथियार ले जा सकती है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसे अजेय बताया है. लेकिन क्या यह वाकई इतना खतरनाक है? 

बुरेवेस्तनिक क्या है?

बुरेवेस्तनिक एक तरह की क्रूज मिसाइल है. लेकिन यह सामान्य मिसाइलों से बिल्कुल अलग है. इसमें एक छोटा परमाणु रिएक्टर लगा होता है, जो इसे अनलिमिटेड रेंज (असीमित दूरी) देता है. सामान्य मिसाइलें ईंधन खत्म होने पर रुक जाती हैं, लेकिन यह परमाणु ऊर्जा से चलती है, इसलिए यह हफ्तों या महीनों तक उड़ सकती है.

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  • नाम का मतलब: बुरेवेस्तनिक रूसी भाषा में स्टॉर्म पेट्रेल (तूफानी पक्षी) होता है. यह नाम इसलिए क्योंकि यह तूफान आने का संकेत देता है, जैसे यह मिसाइल खतरे का.
  • आकार और स्पीड: यह Kh-101 मिसाइल जितनी बड़ी है, लेकिन इसकी स्पीड लगभग 1,000 किलोमीटर प्रति घंटा है. यह कम ऊंचाई (50-100 मीटर) पर उड़ती है, जिससे रडार इसे आसानी से नहीं पकड़ पाते. 
  • हथियार: इसमें परमाणु वारहेड (परमाणु बम) लगाया जा सकता है, जो बहुत बड़ा विस्फोट कर सकता है.

यह मिसाइल इतिहास की पहली ऐसी हथियार है, जो परमाणु प्रोपल्शन (परमाणु ईंधन) से चलती है. रूस का दावा है कि यह अमेरिका या नाटो के किसी भी मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चकमा दे सकती है.

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बुरेवेस्तनिक कैसे काम करता है?

सामान्य क्रूज मिसाइलें जेट इंजन से चलती हैं, लेकिन बुरेवेस्तनिक में एक छोटा परमाणु रिएक्टर होता है. यह रिएक्टर हवा को गर्म करता है, जो फैलकर मिसाइल को आगे धकेलता है.

  • अनलिमिटेड रेंज: ईंधन की चिंता नहीं, इसलिए यह पृथ्वी की परिक्रमा कई बार कर सकती है. रेंज 20000 किलोमीटर या इससे ज्यादा बताई जाती है.
  • ट्रैजेक्टरी बदलना: यह उड़ते हुए अपना रास्ता बदल सकती है, ऊंचाई कम रख सकती है. दुश्मन के डिफेंस को अवॉइड कर सकती है. अमेरिकी THAAD या एजिस सिस्टम बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए बने हैं, जो सीधी लाइन में उड़ती हैं, लेकिन यह घुमावदार रास्ता ले सकती है.
  • खतरा: अगर यह दुर्घटनाग्रस्त हो जाए, तो रेडियोएक्टिव लीक हो सकता है. अमेरिकी विशेषज्ञ इसे फ्लाइंग चेर्नोबिल कहते हैं, क्योंकि 1986 के चेर्नोबिल हादसे की तरह यह पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकता है.

रूस के मुताबिक, यह मिसाइल वैश्विक संतुलन बदल देगी, क्योंकि कोई भी देश इसे रोक नहीं पाएगा.

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विकास की कहानी: कब शुरू हुआ और क्या चुनौतियां आईं?

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रूस ने दशकों से उन्नत हथियारों पर निवेश किया है. बुरेवेस्तनिक का प्रोजेक्ट 2000 के दशक में शुरू हुआ, लेकिन पुतिन ने इसे पहली बार 1 मार्च 2018 को अपने भाषण में पेश किया था. उन्होंने कहा कि यह अमेरिकी मिसाइल डिफेंस को बेअसर कर देगा.

  • टेस्टिंग: 2016 से कम से कम 13 टेस्ट हुए हैं, लेकिन सिर्फ 2 आंशिक रूप से सफल. कई असफलताएं हुईं.
  • 2018: पहला सफल टेस्ट दिखाया गया, लेकिन कई लॉन्च फेल हो गए.
  • 2019: आर्कटिक में एक टेस्ट के दौरान विस्फोट हुआ, जिसमें 5 रूसी वैज्ञानिक मारे गए. अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह मिसाइल को रिकवर करने के दौरान हुआ.
  • 2023: पुतिन ने दावा किया कि फाइनल टेस्ट सफल रहा.
  • चुनौतियां: परमाणु रिएक्टर को छोटा और सुरक्षित बनाना मुश्किल है. रेडिएशन कंट्रोल, इंजन की स्थिरता और क्रैश से बचाव बड़ी समस्या. अमेरिकी रिपोर्ट (NASIC 2020) कहती है कि अगर यह कामयाब हो गया, तो यह रूस को अनोखा हथियार देगा, लेकिन अभी तक पूरी तरह तैयार नहीं.

1950-60 के दशक में अमेरिका ने भी ऐसा प्रोजेक्ट (SLAM) ट्राई किया, लेकिन खतरे की वजह से बंद कर दिया. रूस फिर से कोशिश कर रहा है.

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टेस्ट साइट और नई तैयारी

2025 में बुरेवेस्तनिक फिर से सुर्खियों में है. सैटेलाइट इमेज से पता चला कि रूस नई टेस्टिंग कर रहा है. 

टेस्ट साइट: मुख्य साइट नोवाया ज़ेमल्या (Novaya Zemlya) आर्कटिक द्वीपसमूह में है, जहां पनकोवो (Pankovo) रेंज है. यहां जुलाई-अगस्त 2025 में शिपिंग कंटेनर, उपकरण, जहाज और विमान इकट्ठा हुए. रोसाटॉम (रूस की न्यूक्लियर कंपनी) के जहाज रेडियोएक्टिव मटेरियल हैंडल करने के लिए तैनात. 

दूसरी साइट: वोलोग्दा-20 (Vologda-20), मॉस्को के उत्तर में, जहां 9 लॉन्च पोजीशन बन रही हैं. यहां न्यूक्लियर वारहेड स्टोरेज भी है. 

2025 अपडेट: अगस्त 2025 में एयरस्पेस बंद किया गया (7-12 अगस्त, फिर 6 सितंबर तक बढ़ाया). अमेरिकी न्यूक स्निफर प्लेन (WC-135) ने बारेंट्स सी पर निगरानी की, रेडिएशन चेक करने के लिए. 

यूक्रेनी इंटेलिजेंस कहता है कि रूस नई टेस्ट कर रहा है ताकि पुतिन-ट्रंप मीटिंग में मजबूत पोजीशन ले सके. 

पुतिन का विजिट: अगस्त 2025 में पुतिन सरोव न्यूक्लियर सेंटर गए, जहां बुरेवेस्तनिक पर चर्चा हुई.

रूस के "ज़ापद-2025" एक्सरसाइज में भी इसका टेस्ट हो सकता है.

भू-राजनीतिक प्रभाव: दुनिया पर क्या असर?

यह मिसाइल रूस की मिलिट्री डॉक्ट्रिन का हिस्सा है, जो डिटरेंस (रोकथाम) पर आधारित है. रूस का मानना है कि यह हमले रोकने में मदद करेगा. 

खतरा अमेरिका-नाटो के लिए: अनलिमिटेड रेंज से यह कहीं भी हमला कर सकता है. अमेरिकी मिसाइल शील्ड को चैलेंज देगा. यूक्रेन युद्ध के बीच तनाव बढ़ा रहा है.

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ग्लोबल बैलेंस: अगर कामयाब, तो न्यूक्लियर स्ट्रैटेजी बदल जाएगी. न्यू स्टार्ट ट्रीटी (2026 में खत्म) पर असर पड़ेगा. लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं, यह रूस के लिए भी रिस्की है – रेडिएशन से खुद को नुकसान हो सकता है. 

क्या यह वाकई अजेय है?

बुरेवेस्तनिक रूस की ताकत दिखाने का तरीका है, लेकिन तकनीकी दिक्कतें और रेडिएशन रिस्क इसे खतरनाक बनाते हैं. 2025 में नए टेस्ट से लगता है कि रूस इसे जल्दी ऑपरेशनल बनाना चाहता है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह यूनिक लेकिन स्टूपिड हो सकता है. दुनिया को सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि यह न्यूक्लियर बैलेंस बदल सकता है. 

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