4 मिनट में पाकिस्तान के अंदर अटैक, 25% चीन भी रेंज में... ब्रह्मोस-2 मिसाइल पर काम जल्द शुरू

भारत-रूस ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल को मंजूरी देने के करीब हैं. 1500 किमी रेंज, रूसी इंजन-भारतीय सेंसर से बनेगी. पाकिस्तान पूरा, चीन का 20-25% इलाका कवर करेगी. जमीन-समुद्र-हवा से लॉन्च संभव. 2031 तक तैयार होगी. दुश्मन के डिफेंस चकमा देगी. भारत के डिटरेंस मजबूत करेगी.

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ये है ब्रह्मोस-2 का मॉडल, जिसे DRDO ने एक प्रदर्शनी में दिखाया था. (File Photo: DRDO) ये है ब्रह्मोस-2 का मॉडल, जिसे DRDO ने एक प्रदर्शनी में दिखाया था. (File Photo: DRDO)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 27 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 4:24 PM IST

भारत और रूस ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल को मंजूरी देने के करीब हैं. यह अगली पीढ़ी की मिसाइल है, जो रूसी प्रोपल्शन (इंजन तकनीक) और भारतीय सेंसर व इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (EW)-रोधी एवियोनिक्स (उड़ान नियंत्रण सिस्टम) का मिश्रण है. इसकी रेंज 1500 किलोमीटर है और यह जमीन, समुद्र व पनडुब्बी से लॉन्च की जा सकती है. लेकिन यह क्या है? कैसे काम करती है? इसके स्पेसिफिकेशन्स क्या हैं? और सबसे महत्वपूर्ण – यह चीन और पाकिस्तान के कितने इलाके को कवर करेगी?

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ब्रह्मोस-2 क्या है?

ब्रह्मोस-2 ब्रह्मोस का एडवांस वर्जन है, जो भारत-रूस का संयुक्त प्रोजेक्ट है. ब्रह्मोस-1 सुपरसोनिक (ध्वनि से तेज) मिसाइल है, लेकिन ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक (ध्वनि से 5 गुना तेज) होगी. "हाइपरसोनिक" का मतलब है कि यह इतनी तेज उड़ेगी कि दुश्मन के रडार या मिसाइल डिफेंस सिस्टम इसे रोक ही नहीं पाएंगे.

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यह मिसाइल दुश्मन के महत्वपूर्ण ठिकानों – जैसे एयरबेस, बंदरगाह, कमांड सेंटर – पर सटीक हमला कर सकती है. रूस का इंजन इसे अनोखी स्पीड देगा, जबकि भारत के सेंसर (सीकर) लक्ष्य को बिल्कुल सही ढूंढेंगे. EW-रोधी एवियोनिक्स से यह दुश्मन की जैमिंग (सिग्नल बाधा) से बच जाएगी. 2031 तक इसे सेना में शामिल करने का लक्ष्य है.

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ब्रह्मोस-2 की स्पेसिफिकेशन्स  

  • स्पीडः  लगभग 8500-10000 किमी/घंटा – हवाई जहाज से 10 गुना तेज.
  • रेंजः 1500 किलोमीटर – दिल्ली से इस्लामाबाद सिर्फ 5-7 मिनट में. 
  • इंजनः स्क्रैमजेट (रूसी तकनीक) – हवा से ऑक्सीजन लेकर जलता है, ईंधन बचाता है.
  • लंबाई/वजनः लगभग 8-9 मीटर लंबी, 2-3 टन वजन (ब्रह्मोस-1 जैसी).
  • वॉरहेडः 200-300 किलोग्राम विस्फोटक – सटीक हमले के लिए.
  • लॉन्च प्लेटफॉर्मः जमीन (मोबाइल लॉन्चर), समुद्र (जहाज), पनडुब्बी (अंडरवाटर), हवा (फाइटर जेट).
  • ऊंचाईः 15-20 किमी ऊपर उड़ती है, फिर कम ऊंचाई पर डाइव.

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रेंज और कवरेज: चीन-पाकिस्तान में कितना इलाका?

ब्रह्मोस-2 की 1500 किमी रेंज भारत के लिए गेम-चेंजर है. भारत के लॉन्च साइट्स (जैसे राजस्थान, असम, अंडमान द्वीप) से यह पड़ोसी देशों के बड़े हिस्से को निशाना बना सकती है. 

पाकिस्तान में कवरेज

कितना इलाका? पूरा पाकिस्तान. पाकिस्तान का कुल क्षेत्रफल 7.96 लाख वर्ग किमी है. इसकी सबसे लंबाई-चौड़ाई भी 1,500 किमी से कम है. राजस्थान या गुजरात के लॉन्च साइट से यह कराची, लाहौर, इस्लामाबाद, रावलपिंडी (न्यूक्लियर साइट) सब कवर कर लेगी.

उदाहरण: अमृतसर से इस्लामाबाद सिर्फ 500 किमी. 4-5 मिनट में पहुंचेगी. इससे पाकिस्तान का हर कोना भारत के रडार पर होगा – कोई छिपा नहीं पाएगा.

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रणनीतिक महत्व: पहले ब्रह्मोस (800 किमी) भी पूरा पाक कवर करती थी, लेकिन 1500 किमी से गहराई बढ़ेगी, जैसे अफगानिस्तान बॉर्डर तक.

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चीन में कवरेज

कितना इलाका? चीन का पश्चिमी और दक्षिण-पश्चिमी हिस्सा – लगभग 20-25% क्षेत्र (करीब 20 लाख वर्ग किमी). यह तिब्बत, शिनजियांग, युन्नान, सिचुआन, चुनिंग जैसे प्रांतों को कवर करेगा. कुल चीन 96 लाख वर्ग किमी है, लेकिन सीमा से 1500 किमी दूर तक के इलाके प्रभावित होंगे.

  • अरुणाचल प्रदेश या असम से ल्हासा (तिब्बत) सिर्फ 500 किमी – 3 मिनट में.
  • चेन्गदू (सिचुआन) ~1,000 किमी, कुनमिंग (युन्नान) ~800 किमी.
  • शिनजियांग के उरुमकी ~1,200 किमी (लद्दाख से).
  • बीजिंग (~2,200-2,500 किमी दूर) कवर नहीं होगा, लेकिन मध्य चीन के शेन्ज़ेन जैसे शहर आंशिक रूप से.

रणनीतिक महत्व: लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर तनाव में यह चीन के सैन्य ठिकानों (जैसे एयरफील्ड, मिसाइल साइट्स) को निशाना बानाएगा. अंडमान से साउथ चाइना सी के द्वीप भी कवर.

ये कवरेज भारत को मजबूत डिटरेंस (रोकथाम) देगी – दुश्मन सोचेगा, फिर कदम उठाएगा.

विकास की कहानी: कैसे बनी यह मिसाइल?

  • शुरुआत: 2011 में भारत-रूस ने ब्रह्मोस-2 पर काम शुरू किया. DRDO और NPO Mashinostroyenia मिलकर.
  • तकनीक: स्क्रैमजेट इंजन – हाइपरसोनिक स्पीड के लिए. भारत ने HSTDV (हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल) टेस्ट किया, जो सफल रहा.
  • हाल के अपडेट: 2025 में मंजूरी के करीब. 2023-24 में प्रोटोटाइप टेस्ट हुए. 2031 तक रेडी.
  • लागत: एक मिसाइल ~2-3 करोड़ रुपये. कुल प्रोजेक्ट 10,000 करोड़ से ज्यादा.

क्यों है यह गेम-चेंजर?

यह मिसाइल भारत की नो फर्स्ट यूज नीति को मजबूत करेगी. चीन-पाक के मिसाइल डिफेंस को चकमा देगी. बहु-मंच लॉन्च से लचीलापन मिलेगा. दुनिया में अमेरिका, रूस, चीन के बाद भारत चौथा देश होगा, जिसके पास हाइपरसोनिक मिसाइल होगी.  

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