'ओ मिस्टर, आई एम इंस्पेक्टर...हू आर यू?', कहां गायब है गोरखपुर कांड में आरोपी जगत नारायण

जेएन सिंह को जानने वालों में से ज्यादातर के मोबाइल फोन में उसका नाम नकद नारायण से ही सेव है. इसी नाम से वो मशहूर भी है. पुलिस वालों से इंस्पेक्टर जेएन सिंह कोर्ड वर्ड में ही बात करता था.

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मनीष गुप्ता की हत्या काआरोपी इंस्पेक्टर अब तक फरार (फाइल) मनीष गुप्ता की हत्या काआरोपी इंस्पेक्टर अब तक फरार (फाइल)

aajtak.in

  • गोरखपुर,
  • 01 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 9:11 PM IST
  • काले कारनामों की वजह से सोशल मीडिया पर छाया ये इंस्पेक्टर
  • JN सिंह का हिट डायलॉग, 'ओ मिस्टर...आई एम इंस्पेक्टर...हू आर यू?'
  • आरोपी को आउट ऑफ प्रमोशन मिला था, सिपाही से बना इंस्पेक्टर

कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता के हत्यारों में सबसे ज्यादा चर्चा में जो नाम आया है वो है रामगढ़ ताल थाने के इंस्पेक्टर जगत नारायण का. सोशल मीडिया में जगत नारायण अब नकद नारायण के नाम से वायरल हो रहा है. उसके कारनामे वायरल हो रहे हैं. उसके डॉयलॉग वायरल हो रहे हैं. सवाल उठ रहे हैं कि कैसे जगत नारायण मामूली सिपाही से इंस्पेक्टर पद तक पहुंच गया.

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गोरखपुर के कृष्णा होटल में चंद पुलिस वालों की करतूत ने पूरे महकमे को शर्मसार कर दिया है. भद पिटी तो होटल में आला अधिकारियों की कदमताल शुरू हो गई. एडीजी जोन अखिल कुमार होटल के कमरा नंबर 512 की जांच करने खुद पहुंचे और दावा किया कि इस मामले में दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी.

'आई एम इंस्पेक्टर...हू आर यू?'

इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह का हिट डायलॉग है, 'ओ मिस्टर...आई एम इंस्पेक्टर...हू आर यू?'

ऐसा नहीं है कि इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह का नाम पहली बार किसी की हत्या में सामने आया है. सोशल मीडिया पर चर्चा है कि इससे पहले भी दो हत्याओं में इंस्पेक्टर जेएन सिंह का नाम सामने आ चुका है.

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गोरखपुर के बांसगांव में 7 नवंबर 2020 को शुभम नाम के एक शख्स की पुलिस हिरासत में मौत का आरोप लगा था. उस वक्त जेएन सिंह ही बांसगांव का इंस्पेक्टर था. पिछले 13 अगस्त को रामगढ़ताल पुलिस कस्टडी में 20 वर्षीय गौतम सिंह की संदिग्ध हालत में मौत हो गई थी. इस मामले में भी जेएन सिंह पर आरोप लगे थे. 

सोशल मीडिया पर चर्चा में इंस्पेक्टर

अब गोरखपुर कांड के बाद जेएन सिंह को लेकर सोशल मीडिया पर यूजर पूछ रहे हैं. सोशल मीडिया पर इस बात की भी चर्चा हो रही है कि इस इंस्पेक्टर की हमेशा कमाई वाले थानों में ही नियुक्ति होती है. लोग इस थानेदार को हैवान बता रहे हैं. गोरखपुर के रामगढ़ ताल थाने में तैनात इंस्पेक्टर जेएन सिंह के बारे में कही कहानियां प्रचलित हैं.

जेएन सिंह को जानने वालों में से ज्यादातर के मोबाइल फोन में उसका नाम नकद नारायण से ही सेव है. इसी नाम से वो मशहूर भी है. पुलिस वालों से इंस्पेक्टर जेएन सिंह कोर्ड वर्ड में ही बात करता था. वो पैसे को वांछित कहता था और उसका डॉयलॉग था, 'मैं वांछित के बगैर कोई काम नहीं करता.' 

आरोपी इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह

जेएन सिंह को आउट ऑफ प्रमोशन
 

जेएन सिंह को आउट ऑफ प्रमोशन मिला था, जिसके चलते वो सिपाही से इंस्पेक्टर बना था. इसको लेकर अक्सर वो डींग हांकता था. इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह उर्फ नगद नारायण सिंह का एक और हिट डॉयलॉग पूरे गोरखपुर में मशहूर था. वो कहता था, 'मुझसे कोई सिफारिश ना करना. मैं बिना वांछित के कोई काम नहीं करता. वांछित का मतलब है रुपया और मेरे जैसा इंस्पेक्टर जिले में सिर्फ दो लोगों की बातें सुनता है बाकी किसी की नहीं. बड़े-बड़े नेताओं का तो सुजाकर गुब्बारा बना दिया हूं. ऐसे ही इंस्पेक्टर नहीं बना हूं. घाट-घाट का पानी पीकर सिपाही से आउट आफ टर्म प्रमोशन मिला है.'

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कानपुर के कारोबारी की हत्या के बाद जेएन सिंह के पापों का घड़ा भी शायद भर गया, तभी उसका नाम सुर्खियों में छाया है. सवाल ये है कि जेएन सिंह के सिर पर किसका हाथ है जो उसने घाट-घाट का पानी पीकर सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर तक का सफर तय किया. उसकी वर्दी पर दाग ही दाग हैं, फिर भी उसे अहम थानों का इंचार्ज कैसे बना दिया गया. सबसे बड़ा सवाल ये कि जेएन सिंह आखिर कहां छुपा है.

ग्राउंड जीरो पर पहुंचा आजतक
 

सोमवार की देर रात गोरखपुर के कृष्णा होटल में कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता के साथ पुलिस ने बुरी तरह से मारपीट की, जिसके बाद उनकी मौत हो गई. उसके बाद से पुलिस उसकी लीपापोती में जुट गई. कभी हत्या को हादसा बताया तो कभी परिवार वालों पर रिपोर्ट दर्ज न कराने के लिए दबाव बनाया. आजतक ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर पूरे मामले की छानबीन की. 

गोरखपुर के पुलिसिया कांड में अब जो जानकारियां सामने आ रही हैं, उसके बाद पुलिस की भूमिका पर कई सवाल उठ रहे हैं. क्या पुलिस वालों की पिटाई के बाद उनकी लापरवाही से गई मनीष गुप्ता की जान..? क्या पुलिस वाले चाहते तो बच सकती थी मनीष गुप्ता की जान..? होटल से महज दो किलोमीटर दूर मानसी अस्पताल में मनीष को क्यों तुरंत नहीं ले गई पुलिस..?

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मानसी अस्पताल से 13 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद बीआरडी मेडिकल कॉलेज पहुंचने में पुलिस ने दो घंटे का वक्त कैसे लगा दिया..?

पुलिस होटल से सीसीटीवी फुटेज अपने साथ ले गई है. होटल के मालिक का कहना है कि मारपीट कमरे के भीतर हुई थी. होटल के कमरे में मारपीट के बाद मनीष गुप्ता जब बेसुध हो गए तो पुलिस के हाथ पांव कांप उठे. इसके बाद पुलिस वाले मनीष गुप्ता को लेकर बाहर निकले.


पुलिस ने किया भगदड़ का दावा

पुलिस ने दावा किया था कि होटल के कमरे में भगदड़ मची थी, जिसमें मनीष गुप्ता गिर गए थे, हम आपको दिखाते हैं उस कमरे जैसा ही होटल का दूसरा कमरा. मनीष गुप्ता का कमरे का नंबर था 512 और इस कमरे का नंबर है 514. इतने छोटे से कमरे में न तो भगदड़ मच सकती थी और न ही इस भगदड़ में मनीष गुप्ता नीचे गिर सकते थे. साफ है कि पुलिस मनगढ़ंत कहानियां बनाने में जुटी है. 

इस केस में पुलिस का रवैया इस केस में शुरू से ही ऐसा ही रहा है. पहले तो पुलिस इसे हत्या मानने को ही तैयार नहीं थी. डीएम और एसएसपी मनीष गुप्ता के परिवार वालों पर केस दर्ज न करने का दबाव बना रहे थे.

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दखल के बाद 6 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया. लेकिन अफसरों FIR में सिर्फ 3 पुलिसकर्मियों को ही नामजद किया. मनीष गुप्ता के पास के गायब हुए एक लाख रुपये, मोबाइल और पर्स अब तक नहीं मिला है. 

गोरखपुर कांड ने यूपी पुलिस का काला चेहरा उजागर कर दिया है. इस घटना के चार दिन बीत जाने के बाद भी एक भी पुलिस वाले की गिरफ्तारी नहीं की गई है. आखिर कहां चले गए गोरखपुर की कातिल पुलिस वाले. उन्हें जमीन निगल गई या आसमान खा गया.

मनीष गुप्ता के कातिल पुलिस वालों के खिलाफ रिपोर्ट तो दर्ज हो गई, लेकिन अब तक उनकी गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई. कहां छिपे हैं मनीष गुप्ता के हत्यारोपी..? कौन बचा रहा है हत्यारों को..? ये सवाल अब सियासत की गलियों में गूंज रहा है. विपक्ष कानून व्यवस्था का मामला उठाकर योगी सरकार पर वार कर रहा है.

मनीष गुप्ता की हत्या पर सियासत

कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की हत्या पर सियासत गरमाई हुई है. गुरुवार को मनीष गुप्ता के घर पर सियासी नेताओं की भीड़ जुटी रही. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने खुद मनीष की पत्नी से मुलाकात की थी. आज शुक्रवार को प्रेस कान्फ्रेंस में गोरखपुर कांड के बहाने अखिलेश ने योगी सरकार पर निशाना साधा.

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तो वहीं बीजेपी ने अखिलेश यादव पर इस मामले में सियासत का आरोप  लगाते हुए कहा कि जब जांच से पीड़ित परिवार संतुष्ट है तो अखिलेश को दर्द क्यों हो रहा है. बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने गोरखपुर कांड की सीबीआई जांच की मांग उठाई है.

उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, 'यूपी सीएम के गृह जनपद गोरखपुर की पुलिस द्वारा तीन व्यापारियों के साथ होटल में बर्बरता व उसमें से एक की मौत के प्रथम दृष्टया दोषी पुलिसवालों को बचाने के लिए मामले को दबाने का प्रयास घोर अनुचित. घटना की गंभीरता व परिवार की व्यथा को देखते हुए मामले की सीबीआई जांच जरूरी है.'

उधर वैश्य एकता परिषद ने मनीष गुप्ता को श्रद्धांजलि दी और उनके हत्यारों को गिरफ्तार करके जेल भेजने की मांग की. 

(आजतक ब्यूरो)

 

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