1984 के सिख विरोधी दंगे: सज्जन कुमार के खिलाफ हत्या के मामले में अदालत ने टाल दिया फैसला

1 नवंबर, 1984 को जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या कर दी गई थी. अदालत ने संबंधित मामले में अंतिम दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है. हालांकि पंजाबी बाग पुलिस स्टेशन ने शुरू में मामला दर्ज किया था, लेकिन फिर एक विशेष जांच दल ने जांच अपने हाथ में ले ली.

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सज्जन कुमार से जुड़े इस मामले में अदालत इसी माह फैसला सुना सकती है सज्जन कुमार से जुड़े इस मामले में अदालत इसी माह फैसला सुना सकती है

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 07 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 8:21 PM IST

Delhi Anti-Sikh Riots: दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार के खिलाफ 1984 के सिख विरोधी दंगों के हत्या मामले में अपना फैसला 12 फरवरी तक टाल दिया है. विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने फैसला टाल दिया.

दरअसल, अभियोजन पक्ष ने कुछ बिंदुओं पर आगे की दलीलें पेश करने के लिए समय मांगा था. इसके बाद जनवरी में अदालत ने फैसला सुनाना स्थगित कर दिया था. यह मामला 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान दिल्ली के सरस्वती विहार में दो व्यक्तियों की हत्या से संबंधित है.

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1 नवंबर, 1984 को जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या कर दी गई थी. अदालत ने संबंधित मामले में अंतिम दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है. हालांकि पंजाबी बाग पुलिस स्टेशन ने शुरू में मामला दर्ज किया था, लेकिन फिर एक विशेष जांच दल ने जांच अपने हाथ में ले ली.

16 दिसंबर, 2021 को अदालत ने कुमार के खिलाफ आरोप तय किए और उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला पाया. अभियोजन पक्ष के अनुसार, घातक हथियारों से लैस एक बड़ी भीड़ ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का बदला लेने के लिए बड़े पैमाने पर लूटपाट, आगजनी और सिखों की संपत्तियों पर हमला कर उन्हें तबाह कर दिया था. 

अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि भीड़ ने शिकायतकर्ता जसवंत की पत्नी के घर पर हमला किया था. उसके पति और बेटे की हत्या कर दी थी और सामान लूट लिया था. इसके बाद उनके घर को आग के हवाले कर दिया गया था. 

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सज्जन कुमार पर मुकदमा चलाते हुए अदालत के आदेश में प्रथम दृष्टया यह राय बनाने के लिए पर्याप्त सामग्री पाई गई कि वह न केवल एक भागीदार थे, बल्कि उन्होंने भीड़ का नेतृत्व भी किया था.

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