31 केस, 138 बैंक अकाउंट, 3 फीसदी कमीशन... 'डिजिटल अरेस्ट' कर करोड़ों की ठगी करने वाले रैकेट का पर्दाफाश

मुंबई पुलिस ने करोड़ों की ठगी करने वाले अंतरराज्यीय साइबर गिरोह का भंडाफोड़ किया है. गुजरात से गिरफ्तार 6 आरोपी खुद को सीबीआई, ईडी और एनआईए अधिकारी बताते थे. गिरोह ने एक व्यापारी से 58 करोड़ और कई वरिष्ठ नागरिकों से करोड़ों की ठगी की थी.

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मुंबई से मेहसाणा तक फैला साइबर गिरोह, व्यापारियों और बुजुर्गों को बनाते थे निशाना. (Photo: Representational) मुंबई से मेहसाणा तक फैला साइबर गिरोह, व्यापारियों और बुजुर्गों को बनाते थे निशाना. (Photo: Representational)

aajtak.in

  • मुंबई ,
  • 17 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 6:33 PM IST

मुंबई पुलिस ने साइबर ठगी करने वाले एक ऐसे गिरोह को उजागर किया है, जो 'डिजिटल अरेस्ट' के जरिए लोगों से पैसों की उगाही कर रहा था. इस गिरोह के करोड़ों का खेल का पुलिस ने पर्दाफाश करकरते हुए गुजरात से छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है. ये आरोपी खुद को केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारी बताकर बुजुर्गों और कारोबारियों को धमकाते थे. इन्होंने देशभर में सैकड़ों लोगों को निशाना बनाया.

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पुलिस की जांच में सामने आया है कि यह गैंग चीन और कंबोडिया में बैठे मास्टरमाइंड्स से सीधे संपर्क में था. मुख्य आरोपी को विदेश से बैंक खातों और पैसों के ट्रांसफर के निर्देश मिलते थे. यह नेटवर्क इतने संगठित तरीके से काम कर रहा था कि ठगी की रकम को 138 बैंक खातों में घुमाया जाता था, फिर उसे क्रिप्टोकरेंसी और अमेरिकी डॉलर में बदल दिया जाता था. इस तरह मनी ट्रेल पता नहीं चलता था.

यह पूरा रैकेट तब उजागर हुआ जब मुंबई के आरए के मार्ग पुलिस स्टेशन में एक वरिष्ठ नागरिक ने शिकायत दर्ज कराई. उन्होंने बताया कि कुछ लोगों ने खुद को सरकारी अधिकारी बताकर ऑडियो और वीडियो कॉल के जरिए उनको डिजिटल अरेस्ट कर लिया. इसके बाद उनको डरा-धमका कर 70 लाख रुपए वसूल लिए. पुलिस ने केस दर्ज करके जांच शुरू की, ठगी का जाल गुजरात तक पहुंच गया.

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मुंबई पुलिस की टीम ने मेहसाणा और अहमदाबाद में छापेमारी कर छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. आरोपियों की पहचान सुरेशकुमार मगनलाल पटेल (51), मुसरन इकबालभाई कुंभार (30), चिराग महेश चौधरी (29), अंकित कुमार महेशभाई शाह (40), वासुदेव उर्फ विवान वालजीभाई बारोट (27) और युवराज उर्फ मार्को उर्फ लक्ष्मण सिंह सिकरवार (34) के रूप में हुई है.

पुलिस उपायुक्त (जोन 4) रागसुधा आर के मुताबिक, गिरोह का सरगना युवराज था, जो सीधे अंतरराष्ट्रीय आरोपियों के संपर्क में था. वह पिछले तीन साल से साइबर धोखाधड़ी में शामिल था. हर ठगी पर 3 प्रतिशत कमीशन पाता था. उसने बैंकों में चालू खाते रखने वाले स्थानीय कारोबारियों को भी अपने जाल में फंसाया और उनके खातों से ठगी के पैसे ट्रांसफर कराए. इसके बदले में मामूली कमीशन दिया.

जांच में यह भी खुलासा हुआ कि यह गैंग उस हाई-प्रोफाइल डिजिटल फ्रॉड में भी शामिल था, जिसमें एक 72 वर्षीय व्यापारी और उनकी पत्नी को दो महीने तक 'डिजिटल अरेस्ट' में रखकर 58 करोड़ रुपए वसूल लिए गए थे. आरोपी लगातार सीबीआई, ईडी और एनआईए के अफसर बनकर व्यापारी को धमकाते रहे. उन्होंने यहां तक दावा किया कि व्यापारी का नाम पहलगाम आतंकी हमले की जांच में आया है.

इस गिरोह के पास से मिले डिजिटल डेटा से यह भी पता चला कि आरोपियों ने देशभर में कम से कम 31 मामलों में ठगी की है. ये मामले मुंबई, बेंगलुरु, भोपाल, आगरा, तमिलनाडु, झारखंड, तेलंगाना, गुजरात, दिल्ली, हरियाणा, केरल और पश्चिम बंगाल में दर्ज हैं. मुंबई पुलिस की जांच के दौरान अब तक 15 बैंक खाते जब्त किए गए हैं और करीब 10.5 लाख रुपए फ्रीज किए जा चुके हैं.

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प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया कि विदेश में बैठे मास्टरमाइंड्स पीड़ितों को एपीके फाइल भेजते थे. जैसे ही ये फाइलें डाउनलोड होतीं, पीड़ित के फोन पर साइबर ठगों का पूरा नियंत्रण हो जाता था. वे उसकी निजी जानकारियों और डिवाइस एक्सेस का इस्तेमाल कर उसे ठगने के लिए मानसिक दबाव बनाते थे. महाराष्ट्र पुलिस की साइबर सेल ने अब जांच अपने हाथ में ले ली है.

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