आपको भी नहीं मिलता है IPO? इस तरीके से करें अप्लाई... निकलने लगेगा फटाफट!

IPO Application Tricks: आपको भी बढ़िया वाला आईपीओ नहीं निकलता होगा, फिर मन में सवाल उठता होगा कि कहीं अप्लाई करने में कोई गड़बड़ी तो नहीं हो जाती है. आज हम आपको अप्लाई के कुछ ट्रिक्स बताएंगे, जिससे शेयर अलॉट होने के चांसेज बढ़ जाएंगे.

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IPO Application Tricks IPO Application Tricks

अमित कुमार दुबे

  • नई दिल्ली,
  • 09 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:56 PM IST

अगर आप लगातार IPO में अप्लाई कर रहे हैं, लेकिन निकल एक भी नहीं रहा है. फिर सोच रहे होंगे, कि ऐसा क्यों होता है. खासकर वैसे आईपीओ नहीं निकलने पर पछतावा होता है, जिसकी शानदार लिस्टिंग होती है, और उसके बाद भी उसमें तेजी देखने को मिलती है.

दरअसल, पिछले कुछ वर्षों में रिटेल निवेशकों (Retail Investor) की आईपीओ में भागीदारी बढ़ी है. ऐसे में अगर किसी जानकार के आईपीओ में शेयर अलॉट हो जाते हैं तो फिर लगता है कि कैसे अप्लाई करें ताकि हमें भी शेयर अलॉट हो. 

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साथ ही मन में सवाल उठने लगता है कि कहीं अप्लाई करने में गड़बड़ी तो नहीं हो जाती है. कुछ लोगों की तो हमेशा ये शिकायत होती है कि बढ़िया वाला आईपीओ तो कभी निकलता ही नहीं.

आज हम आपको कुछ ट्रिक्स बताएंगे, जिससे आपको आईपीओ अलॉटमेंट की संभावनाएं बढ़ जाएंगी. केवल अप्लाई से जुड़े कुछ नियम हैं, जिसे फॉलो कर आप अपनी दावेदारी को मजबूत कर सकते हैं.
 
1. अधिक से अधिक लॉट में करें अप्लाई (IPO Apply Tricks)
अच्छी कंपनियों के आईपीओ में ज्यादा से ज्यादा लॉट में अप्लाई करने से शेयर मिलने की संभावना बढ़ जाती है. 
 
2. दूसरे दिन ही कर दें अप्लाई
अगर आप पहले से ही आईपीओ के लिए अप्लाई करने का फैसला कर चुके हैं, तो पहले दिन या दूसरे दिन जरूर अप्लाई कर दें, आखिरी दिन आवेदन करने से कई बार दिक्कतें आ जाती हैं. आईपीओ आवेदन के लिए यूपीआई आईडी का इस्तेमाल भी किया जा सकता है. आखिरी दिन यूपीआई में तकनीकी दिक्कतें आ जाती हैं, और पेमेंट अटक सकता है.   
  
3. परिवार के अलग-अलग सदस्यों के नाम से करें अप्लाई
आईपीओ में शेयर आवंटन के लिए लकी ड्रॉ का इस्तेमाल किया जाता है, रजिस्ट्रार इस प्रक्रिया की निगरानी करता है. इसलिए रिटेल निवेशक अपने परिजनों के नाम से अलग-अलग डीमैट अकाउंट से बोली लगाते हैं, ताकि किसी के नाम से भी निकल जाए. जब आप कई अकाउंट से IPO अप्लाई करते हैं तो फिर शेयर आवंटन की संभवानाएं बढ़ जाती हैं. आवेदन के लिए केवल डीमैट अकाउंट की जरूरत होती है, जो एक बैंक या UPI से कनेक्ट होता है. इसलिए आप भी परिवार के दूसरे सदस्यों के नाम से डीमैट अकाउंट खुलवाएं और फिर उनके नाम से अप्लाई करें. 

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अलॉटमेंट की ये प्रक्रिया
ओवरस्क्रिप्शन की स्थिति में अलॉटमेंट खास तरीके से होता है. उदाहरण के लिए अगर M कंपनी का आईपीओ तीन गुना ओवरसब्सक्राइब हो गया. यानी जितने शेयर ऑफर किए गए थे, उसके तिगुने अप्लीकेशन मिल गए हैं. आसान शब्दों में कहें तो एक शेयर के तीन दावेदार हो गए. ऐसे मामलों में आईपीओ का आवंटन कम्प्यूटरीकृत ड्रा के माध्यम से किया जाता है.

जानिए कैसे होता है आईपीओ में शेयर का अलॉटमेंट?
आपको आईपीओ अलॉटमेंट (IPO Allotment) की प्रक्रिया को बारीकी से समझाते हैं, जो कंपनी अच्छी होती है, उसका आईपीओ हमेशा ओवरसब्सक्राइब होता है, यानी आईपीओ में मौजूद शेयर से कई गुने ज्यादा निवेशकों के आवेदन मिल जाते हैं, फिर सबको शेयर अलॉट नहीं हो पाते. 

लेकिन अगर IPO में जितने शेयर ऑफर किए जाते, उतने ही आवेदन मिलने पर सभी निवेशकों को IPO में शेयर अलॉट हो जाते. जब आईपीओ ओवरसब्सक्राइब हो जाता है तो फिर अलॉटमेंट थोड़ा जटिल हो जाता है. ऐसी स्थिति में अलॉटमेंट प्रक्रिया के लिए कुछ नियम हैं.

आईपीओ ओवरसब्सक्राइब का सीधा मतलब है कि उपलब्ध शेयर्स के मुकाबले आवदेन ज्यादा मिलना. ऐसी स्थिति में जिन रिटेल निवेशकों को शेयर अलॉट किए जाते हैं. उनकी संख्या, अलॉटमेंट के लिए उपलब्ध इक्विटी शेयर्स की संख्या से विभाजित कर निकाली जाती है. यानी निवेशकों को अनुपातिक आधार पर ही शेयरों का आवंटन किया जाता है.

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जिन रिटेल निवेशकों को आईपीओ में अलॉटमेंट मिलता है, उसे कम से कम एक लॉट जरूर मिलता है. यानी कम लॉट की बोली लगाना, अधिक सब्सक्रिप्शन की स्थिति में निवेशक के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. यानी आईपीओ अलॉटमेंट होने की उम्मीद कम होती है. इसलिए अच्छी कंपनियों के आईपीओ में अधिक से अधिक लॉट में अप्लाई करने से शेयर अलॉट होने की उम्मीद बढ़ जाती है.

क्या होता है आईपीओ?
जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर पब्लिक को ऑफर करती है तो उसे आईपीओ कहते हैं. आईपीओ के जरिए कंपनी फंड इकट्ठा करती है और उस फंड को कंपनी की तरक्की में खर्च करती है. बदले में आईपीओ खरीदने वाले लोगों को कंपनी में हिस्सेदारी मिल जाती है. IPO में जो शेयर अलॉट होते हैं, वो आमतौर पर BSE या NSE  जैसे स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होते हैं. जहां लोग इन शेयरों की आराम से खरीद बिक्री कर सकते हैं.

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