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ईद स्पेशल: ईदी में मिले पैसों से बच्चों में डालें बचत की आदत, आज़मा सकते हैं ये ऑप्शन!

शरद अग्रवाल
  • नई दिल्ली,
  • 14 मई 2021,
  • अपडेटेड 9:45 AM IST
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हम सबने बचपन में मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘ईदगाह’ कभी ना कभी तो पढ़ी होगी. इस कहानी में हामिद सालभर ईद का इंतज़ार करता है और फिर ईदी पर मिले पैसों से अपनी दादी के लिए चिमटा खरीदता है. इसे अगर दूसरे पहलू से देखा जाए तो हामिद फिजूल खर्ची की जगह ईदी के पैसों का इस्तेमाल सही जगह करता है और ये एक तरह से दादी के लिए ‘प्यार का निवेश’ ही है. इसलिए ये बात ध्यान रखने लायक है कि बच्चों में बचत की आदत सबसे पहले घर में ही पड़ती है. इसकी शुरुआत आप ईद की ईदी से कर सकते हैं और उसके बाद बच्चों को पॉकेट मनी तक में से बचत करने या बैंक खाते में थोड़े-थोड़े पैसे जमा करने की आदत में बदल सकते हैं. मैं अपना भी एक व्यक्तिगत किस्सा बताता हूं, बचपन में मुझे हर महीने 50 रुपये की पॉकेट मनी मिलती थी. हर महीने मैं इसमें से 10-15 रुपये बचा लेता था और जैसे ही 100 रुपये होते थे तो मेरे नाम से खुले बैंक खाते में जमा कर आता था. बच्चों के नाम से खुला किसी भी तरह का खाता उनमें बचत की भावना को बढ़ाता है. आगे जानें इससे जुड़े कई विकल्प
(Photos: Getty Images)

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मान लीजिए बच्चों को ईदी में एक छोटी रकम मिली है, आप चाहें तो उसमें थोड़ी रकम अपनी तरफ से मिलाकर उनके लिए बीमा खरीद सकते हैं और हर साल ऐसे ही ईद के पैसों और अपने पैसों के मेल-जोल से बीमा की किस्त भर सकते हैं. इससे बच्चों के भीतर बचत की भावना को बल मिलेगा. आप चाहें तो बच्चों के नाम पर म्यूचुअल फंड एकाउंट भी खोल सकते हैं. इस खाते में ईदी के पैसे जमा करके बच्चों के भविष्य को बेहतर तरीके से सुरक्षित किया जा सकता है. बच्चों के लिए कई तरह के बैंक सेविंग एकाउंट ऑप्शन भी उपलब्ध हैं, जानें आगे की स्लाइड में..

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देश का सबसे बड़ा बैंक SBI बच्चों के लिए दो विशेष बचत खाते ‘पहला कदम’ और ‘पहली उड़ान’ के ऑप्शन देता है. इसका मकसद ही बच्चों में बचत की आदत डालना है. ‘पहला कदम’ खाता 18 से नीचे किसी भी उम्र के बच्चे के नाम से खोला जा सकता है. वहीं ‘पहली उड़ान’ 10 वर्ष या उससे अधिक आयु के बच्चों के लिए है जो खुद सिग्नेचर करना जानते हों. दोनों ही खातों के लिए बच्चों के जन्म का प्रमाण और माता-पिता या अभिभावक की केवाईसी की आवश्यकता होती है. ‘पहला कदम’ खाते को बच्चे माता-पिता या अभिभावक के साथ मिलकर चला सकते हैं जबकि ‘पहली उड़ान’ खाता सिंगल ऑपरेटेड खाता है. दोनों खातों में कॉमन बात ये है कि एक तो इसमें कोई मिनिमम बैलेंस की अनिवार्यता नहीं है. साथ ही बच्चों को चेकबुक, एटीएम कार्ड और मोबाइल बैंकिंग जैसी सुविधा भी मिलती है. इस तरह से बच्चों को बैंकिंग को समझने में भी मदद मिलेगी.

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प्राइवेट सेक्टर का सबसे बड़ा बैंक HDFC Bank भी बच्चों के लिए विशेष बचत खाते का विकल्प देता है. HDFC Bank अपने  Kids Advantage Account में बच्चों को 1 लाख रुपये तक का मुफ्त शिक्षा बीमा देता है. यदि किसी दुर्घटना में बच्चे के माता-पिता की मृत्यु हो जाती है तो उसे ये शिक्षा बीमा का लाभ मिलता है. इतना ही नहीं Kids Advantage Account में जब भी 35,000 रुपये से अधिक की राशि जमा होती है तो 25,000 रुपये से ऊपर की राशि को 1 साल की एफडी में बदल दिया जाता है, इसके लिए आपको बैंक खाते में ‘मनी मैक्सीमाइजर’ के विकल्प को चुनना होता है. इतना ही नहीं बच्चों में बचत की आदत डालने के लिए इस खाते में ‘माई पैशन फंड’ का ऑप्शन है जहां 1,000 रुपये की जमा से शुरुआत की जा सकती है. वहीं ये खाता SIP में निवेश का महत्व भी बच्चों को समझाता है जहां वह हफ्ते या महीने के हिसाब से कुछ निवेश करना सीख सकते हैं. हालांकि यहां पर बच्चों का खाता खोलने से पहले माता-पिता को अपना खाता खोलना अनिवार्य है और न्यूनतम 5,000 रुपये का बैलेंस भी मेंटेन करना होगा. 

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प्राइवेट सेक्टर का ही ICICI Bank बच्चों के लिए SBI की तर्ज पर दो विकल्प ‘यंग स्टार एकाउंट’ और ‘स्मार्ट स्टार एकाउंट’ का ऑप्शन देता है. यहां किसी भी उम्र के बच्चे के लिए ‘यंग स्टार’ जबकि 10 वर्ष से अधिक आयु वाले बच्चे के लिए ‘स्मार्ट स्टार’ एकाउंट की सुविधा है. ‘स्मार्ट स्टार’ बच्चों  के स्वतंत्र तौर पर खुद से खाता चलाने, समझदारी से रुपये खर्च करने और बचत की आदत डालने पर विशेष ध्यान देता है. इस खाते की खास बात ये है कि यदि आपका बच्चा पहले से तय सीमा से अधिक संख्या में लेन-देन करता है तो उसका एकाउंट फ्रीज हो जाता है. ऐसे में ये सुविधा बैंक खाते पर पेरेंटल कंट्रोल भी देती है.

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आपके मन में ये सवाल हो सकता है कि अगर बच्चों के खाते खुलवा भी दिए गए तो पैसे तो माता-पिता को ही देने होंगे. ऐसे में बचत की आदत कैसे विकसित होगी. तो ये बात गौर करने लायक है कि जब बच्चों के पास खुद के नाम से खाता होता है तो ये उनमें ओनरशिप को बढ़ावा देता है. इससे वह अपनी छोटी-छोटी बचत यानी कि गुल्लकों में की जाने वाली बचत को भी गंभीरता से लेते हैं. इतना ही नहीं आप उनकी बचत की आदत को विकसित करने के लिए उनके अंदर इस ओनरशिप को और बढ़ावा भी दे सकते हैं, जैसे कि उनके नाम से जाने वाली किसी बीमा की किस्त के लिए आप उनसे उनके खाते में पैसे जमा करने के लिए कह सकते हैं. 
 

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