रबी सीजन यानी सर्दियों का मौसम किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस समय गेहूं, चना, सरसों, मटर, मसूर और जौ जैसी मुख्य फसलों की बुआई की जाती है. लेकिन ठंड, ज्यादा नमी और मिट्टी में छिपे रोग बीजों और नए पौधों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. ऐसे में सीड ट्रीटमेंट यानी बीज उपचार करना बहुत जरूरी है.
फसलों की अच्छी शुरुआत और बंपर पैदावार के लिए सीड ट्रीटमेंट छोटा लेकिन बहुत प्रभावी तरीका है. यह फसलों को रोग और कीड़ों से बचाता है. ऐसे में किसान अगर बुआई से पहले बीजों का उपचार यानी सीड ट्रीटमेंट कर लें, तो रबी सीजन में अच्छी और सुरक्षित फसल पक्की है.
सीड ट्रीटमेंट क्या होता है?
सीड ट्रीटमेंट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें बुआई से पहले बीजों को फफूंद की दवा, कीटनाशक, जैविक चीजें या पोषक तत्वों से उपचारित किया जाता है. इसका मकसद बीजों और छोटे पौधों को मिट्टी के रोगों, कीड़ों और खराब मौसम से बचाना है. सर्दियों में ठंड ज्यादा होने से बीज जल्दी नहीं उगते. मिट्टी में नमी बढ़ने से फफूंद और बैक्टीरिया तेजी से फैलते हैं. ऐसे में बिना उपचार के बीजों में सीड रॉट, डैम्पिंग ऑफ, जड़ सड़न और स्मट जैसी बीमारियां पनप सकती हैं. बीज उपचार यानी सीड ट्रीटमेंट फसलों को इन समस्याओं से शुरुआती स्तर पर बचाव करता है.
सीड ट्रीटमेंट के लाभ
उपचारित बीजों से अंकुरण समान और तेज होता है. पौधे मजबूत होते हैं और उनकी जड़ें अच्छी तरह बढ़ती हैं. मजबूत जड़ें पौधों को ठंड, पानी की कमी और पोषण की कमी से लड़ने की ताकत देती हैं. जिससे फसल की बढ़त शानदार होती है. सर्दियों में दीमक, सफेद सुंडी जैसे कीड़े बीज और नए पौधों को खा जाते हैं. ऐसे में सीड ट्रीटमेंट से शुरुआती नाजुक 20-30 दिनों तक इनसे सुरक्षा मिलती है. गेहूं, चना, मटर, मसूर, सरसों और जौ सभी रबी फसलों में यह फायदेमंद है. खासकर उन खेतों में जहां पहले रोग या कीड़े लगे हों.
कम खर्च में ज्यादा फायदा!
बीज उपचार यानी सीड ट्रीटमेंट करने से फसल में बार-बार दवा छिड़कने की जरूरत कम पड़ती है. इससे खेती का खर्च बचता है. आजकल ट्राइकोडर्मा, पीएसबी, राइजोबियम और एजोस्पिरिलम जैसे जैविक उपचार बहुत लोकप्रिय हैं. ये रोगों से बचाने के साथ ही मिट्टी को उपजाऊ भी बनाते हैं. जैविक खेती करने वाले किसानों के लिए यह बेस्ट ऑप्शन है.