अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बाइबल पर हाथ रखकर शपथ ली, जबकि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान की शपथ ली. अमेरिका में धार्मिक प्रतीकों का प्रयोग सामान्य है, जबकि भारत में इसे संप्रदायिक माना जाता है. क्या भारत अमेरिका से सीख सकता है कि धर्म और संस्कृति पर विश्वास रखते हुए भी धर्मनिरपेक्षता को बनाए रखा जा सकता है? यह विषय भारत की राजनीति और धर्म के संबंध पर एक महत्वपूर्ण बहस छेड़ता है.