कुछ दिन पहले एक रिपोर्ट आई थी जिसमें बताया गया था कि मुंबई में चीन की राजधानी बीजिंग से ज्यादा अरबपति रहते हैं. लेकिन अब पता चला है कि चीन के अरबपति जानबूझकर अपने मुनाफे और संपत्ति की वैल्यू को कम करके दिखा रहे हैं, ताकि वो सरकार की कार्रवाई से बचे रहें. आज हम आपको बताएंगे कि चीन के घटते अरबपतियों के पीछे की असली कहानी क्या है?
जब दुनिया में हर कोई अमीर बनना चाहता है, या अमीर दिखना चाहता है, तब चीन में लोग अपनी अमीरी को छुपाने में लगे हैं, या ज्यादा अमीर होने से डरने लगे हैं. अब चीन में अमीर होने का मतलब है, मुसीबत को न्यौता देना. क्योंकि ज्यादा अमीर होते ही लोग चीन की सरकार के निशाने पर आ जाते हैं.
2020 में चीन में अरबपतियों की संख्या अमेरिका से दोगुनी हो गई थी
वर्ष 2020 में चीन में अरबपतियों की संख्या अमेरिका से दोगुनी हो गई थी. इसी साल अलीबाबा के फाउंडर जैक मा ने चीन की सरकार की आलोचना की थी. इसके बाद उन पर कड़ी कार्रवाई की गई. यहां तक कि जैक मा लोगों की नजरों से गायब हो गए. और उनकी कंपनियों पर लगभग 40 हजार करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था.
अमीर लोग बड़ी संख्या में चीन से बाहर जा रहे हैं
साल 2021 में शी जिनपिंग ने एक अभियान शुरू किया और ऐसी कंपनियों पर कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी जिनका पैसे के मामले में जबरदस्त विस्तार हुआ है. और तबसे ही चीन में जरूरत से ज्यादा अमीर होना खतरनाक हो गया है. इसलिये अमीर लोग बड़ी संख्या में चीन से बाहर जा रहे हैं. पिछले साल चीन छोड़ने वाले अरबपतियों की संख्या, भारत छोड़ने वाले अरबपतियों से चार गुना थी. जिस वक्त 4 हजार 300 अरबपतियों ने भारत छोड़ा था, तब 15 हजार अरबपति चीन को छोड़कर चले गए.
8 अगस्त को चीन के एक मशहूर अरबपति Colin Huang (कॉलिन हुआंग) देश के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए थे. लेकिन इसके कुछ समय बाद ही उनकी कंपनी ने अपने प्रॉफिट का अनुमान यानि Profit forecast कम करके दिखाया. जिससे इस कंपनी के शेयर में भारी गिरावट आई. और उनकी संपत्ति 30 परसेंट कम हो गई.
इसके 20 दिन बाद 27 अगस्त को चीन के एक और अरबपति Zhong Shanshan (झोंग शानशान) देश के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए. लेकिन 24 घंटे के अंदर ही वो भी अमीरों की लिस्ट में पहले स्थान से खिसक गए.
अमीरों की लिस्ट में टॉप पर कोई नहीं आना चाहता
यानि चीन के लोग अमीर तो बनना चाहते हैं, लेकिन अमीरों की लिस्ट में टॉप पर कोई नहीं आना चाहता. चीन में माहौल ज्यादा अमीर होने के खिलाफ है. क्योंकि चीन में शी जिनपिंग अमीरों को निशाना बना रहे हैं. एक सीमा के बाद वहां के अरबपति, संपत्ति बढ़ने से डरने लग जाते हैं, क्योंकि इसके बाद वो जांच के घेरे में आ जाते हैं. और चीन की सरकार उन्हें भ्रष्टाचार या दूसरे आरोपों में घेर लेती है.
सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी 50 परसेंट हुई
चीन में निजी कंपनियों की हिस्सेदारी घट रही है, वहीं सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी 33 परसेंट से बढ़कर 50 परसेंट हो गई है. चीन दुनिया का अकेला ऐसा बड़ा शेयर बाजार है, जहां सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी, निजी कंपनियों के बराबर हो चुकी है. जब दुनिया में अरबपतियों की संख्या 10 परसेंट बढ़ गई, तब चीन में इनकी संख्या 35 परसेंट कम हो गई.
चीन की इस कार्रवाई के पीछे कम्यूनिस्ट सोच है, वो चाहते हैं कि अमीरों की संपत्ति गरीबों में बांटी जाए. उनका मानना है कि देश के संसाधनों पर सबका बराबर अधिकार होना चाहिए. वहां मेहनत से ज्यादा पैसे कमाने वाला बेईमान समझा जाता है, और उस संपत्ति पर उन लोगों का हक समझा जाता है जो कोई काम नहीं करना चाहते. इसी वजह से चीन के अरबपति अपनी संपत्ति कम करके दिखा रहे हैं, या देश छोड़कर जा रहे हैं.
चीन में पैसे के प्रदर्शन पर शर्मिंदा किया जाएगा क्या भारत में इस तरह की चीज संभव है?
इससे पहले चीन में पैसे के प्रदर्शन पर भी रोक लगाने की कोशिश की गई. जो लोग पैसे या संपत्ति का दिखावा करते हैं उन्हें चीन में निशाना बनाया जा रहा है. चीन दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है, जहां Luxury Lifestyle के दिखावे को एक सामाजिक बुराई मानकर इसे रोकने के गंभीर प्रयास हो रहे हैं. चीन में इसे 'Luxury Shaming' का नाम दिया गया है, जिसमें ऐसे लोगों को हतोत्साहित किया जाता है, जो बड़ा घर, बड़ी गाड़ी, महंगे कपड़े, महंगे Bags, I-PHONE और ''लग्ज़री घड़ियों'' का सोशल मीडिया पर दिखावा करते हैं.
चीन में Weibo, TikTok और RED जैसे सोशल मीडिया Platforms ने ऐसे कई Influencers के Accounts को Permanent डिलीट कर दिया है, जो अपनी वीडियो और पिक्चर्स में अपनी लग्जरी लाइफस्टाइल का शो-ऑफ करते थे और यहां बात सिर्फ इन सोशल मीडिया Influencers की नहीं है.
चीन की मशहूर Actress ''Fan Bingbing'' (बिंग-बिंग) और मशहूर रैपर Kris Wu (क्रिस वू) को भी उनकी लग्ज़री लाइफस्टाइल का दिखावा करने के लिए सोशल मीडिया पर ब्लैक-लिस्ट कर दिया गया है. जबकि चीन के मशहूर ''टिक-टॉक'' स्टार WANG (वांग) के Account को भी इस वजह से सस्पेंड कर दिया गया है.
'वांग' की गलती ये थी कि वो अपने सभी वीडियो में ये बताते थे कि, वो जब भी अपने घर से कहीं बाहर जाते हैं तो उनके कपड़ों की कीमत भारतीय रुपयों में 12 करोड़ रुपये से ज्यादा होती है और हर वक्त कम से कम आठ लोग उनकी सुरक्षा में हमेशा तैनात रहते हैं और ये टिक-टॉकर अपने वीडियो में अपना आलीशान घर, अपनी लग्जरी गाड़ियां और फाइव-स्टार होटल के अपने वीडियोज़ दिखाता था, जिसकी वजह से इसके अकाउंट को सस्पेंड कर दिया गया. लेकिन सोचिए, क्या भारत में ऐसा मुमकिन है?
भारत में ज्यादातर सोशल मीडिया Influencers और फिल्म स्टार अपनी लग्जरी लाइफस्टाइल का सोशल मीडिया पर दिखावा करते हैं, लेकिन भारत में ना तो इसे बुरा माना जाता है और ना ही इसके लिए किसी का अकाउंट ब्लॉक होता है.चीन में ये सबकुछ दो कारणों से हो रहा है, जिनमें पहला कारण वो है, जिसके बारे में सरकार बता रही है.
सरकार का कहना है कि वो चीन के लोगों में आर्थिक असमानता की भावना को खत्म करना चाहती है, जिसके कारण अमीरों को उनकी लग्जरी लाइफस्टाइल का दिखावा करने से रोका जा रहा है. लेकिन दूसरा कारण वो है, जिसे सरकार अभी स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है.
असल में चीन में लोगों की आय घट रही है, बेरोज़गारी बढ़ रही है, अर्थव्यवस्था कमज़ोर है और छोटे शहरों और गांवों में गरीबी काफी ज्यादा है. और इस सबके बीच वहां मोबाइल फोन का इस्तेमाल लगातार बढ़ता जा रहा है. और यही इस्तेमाल चीन के लिए अब एक नई परेशानी बन गया है.
असल में चीन में जब आम लोग सोशल मीडिया पर कुछ लोगों को विदेशों में घूमते हुए देखते हैं, उनके पास महंगी गाड़ी, महंगे कपड़े और उनका आलीशान घर सोशल मीडिया पर देखते हैं तो इससे उनका तनाव बढ़ जाता है और ये लोग ऐसा सोचने लगते हैं कि ये सबकुछ उनके पास क्यों नहीं है? और इसी अवसाद और तनाव से चीन के आम लोगों में असंतोष बढ़ रहा है, जिसके कारण अब वहां की सरकार ने अपनी लग्जरी लाइफस्टाइल का दिखावा करने वालों को हतोत्साहित करना शुरू कर दिया है और असल में चीन की सरकार इस बात से डरी हुई है कि कहीं दूसरे लोगों का लग्जरी लाइफ-स्टाइल देखकर वहां के आम लोग इतने परेशान ना हो जाएं कि इससे विद्रोह जैसी कोई स्थिति बन जाए. और यही कारण चीन में अब बड़े स्तर पर लग्जरी लाइफस्टाइल के लिए लोगों की ट्रोलिंग हो रही है और उन्हें अपमानित किया जा रहा है.
चीन में 100 करोड़ Smart Phone Users
पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा 100 करोड़ Smart Phone Users चीन में हैं और चीन में हर व्यक्ति प्रति दिन लगभग 6 घंटे सोशल मीडिया पर ऐक्टिव रहता है और जब सोशल मीडिया पर वो ऐसी चीज़ें देखता है, जो उसके जीवन में नहीं है तो इससे उसकी निराशा बढ़ती है. और यही बात चीन की सरकार को परेशान कर रही है.
और इस वजह से चीन में Louis Vuitton, Dior Bags, Burberry और Swiss घड़ियों की बिक्री काफी कम हो गई है. और ये बात इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पूरी दुनिया में लग्जरी Items का जो मार्केट है, उसमें सबसे ज्यादा 35 पर्सेंट हिस्सेदारी चीन के लोगों की है. देश के सभी नागरिकों के पास बराबर सम्पत्ति होनी चाहिए, ये विचार वामपंथियों ने दुनिया को दिया था. लेकिन जिस चीन में आज Communist Party का शासन है, वहां अब भी आर्थिक असमानता काफी ज्यादा है.
चीन की जो राष्ट्रीय आय है, उसका 41 पर्सेंट हिस्सा सिर्फ वहां के टॉप 10 पर्सेंट लोगों के पास चला जाता है और बाकी लोग बस सोशल मीडिया पर इन मुट्ठीभर लोगों का लग्जरी लाइफस्टाइल और इनका दिखावा देखकर अंंदर ही अंदर घुटते रहते हैं और ये सोचते रहते हैं कि उनके ऐसे दिन कब आएंगे?
ये चीज़ भारत में भी हो रही है और हमारे देश में भी बहुत सारे लोग सोशल मीडिया पर ऐसे कई Videos देखते हैं, जिनमें लोग अपना बड़ा घर, बड़ी गाड़ी, अपनी फॉरेन ट्रिप की पिक्चर्स, अपने महंगे कपड़े, महंगे जूते और लग्जरी घड़ियों की तस्वीरें पोस्ट करते हैं. और.. ये बताने की कोशिश करते हैं कि उनका जीवन बहुत खुशहाल है और आभासी दुनिया में इन तस्वीरों को देखकर बाकी आम लोग तनाव में आ जाते हैं और फिर वो भी इसी लग्जरी लाइफस्टाइल को अपने लिए एक लक्ष्य बना लेते हैं, जिससे उनकी मुश्किलें और बढ़ जाती हैं. उदाहरण के लिए, भारत में जब से लोग सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिता रहे हैं, तब से उनके गैर-जरूरी खर्चे ज्यादा बढ़ गए हैं. और ये खर्च भी लोग कर्ज लेकर पूरे कर रहे हैं.
भारत में ज्यादातर लोगों के पास EMI पर I-Phone
जैसे, भारत में 70 पर्सेंट I-Phone लोगों ने EMI पर खरीदे हैं. और इनमें भी ज्यादातर I-Phone लोगों ने 90 पर्सेंट के लोन पर लिए हैं. - इसके अलावा भारत में 10 करोड़ लोगों के पास अब क्रेडिट कार्ड है, जिनसे सिर्फ फरवरी महीने में लोगों ने डेढ़ लाख करोड़ रुपये की शॉपिंग की थी, जो भारत के पूरे साल के कृषि बजट से भी 18 हजार करोड़ रुपये ज्यादा है. - इससे भी बड़ी बात ये है कि भारत के ज्यादातर लोग क्रेडिट कार्ड्स से पैसा तो खर्च कर रहे हैं लेकिन इसे पैसे को समय पर चुका नहीं रहे हैं - भारत के लोगों पर क्रेडिट कार्ड से खर्च हुए पैसों का 31 पर्सेंट पैसा बकाया है, जो लगभग ढाई लाख करोड़ रुपये के आसपास है. और यहां बात सिर्फ क्रेडिट कार्ड की नहीं है - भारत में 67 पर्सेंट लोग ऐसे हैं, जिन्होंने कम से कम एक बार पर्सनल लोन लिया है और पर्सनल लोन की ग्रोथ रेट हमारे देश में 21 पर्सेंट पहुंच गई है - जबकि छुट्टियों पर घूमने के लिए भी लोग अब कर्ज ले रहे हैं. और पर्सनल लोन का 20 पर्सेंट पैसा लोग बाहर घूमने पर खर्च कर रहे हैं और ये सब सिर्फ इसलिए हो रहा है क्योंकि अब जब लोग सोशल मीडिया पर दूसरे लोगों का लग्जरी लाइफस्टाइल देखते हैं, उन्हें बाहर घूमते हुए देखते हैं, होटेल और Restaurants में डिनर और लंच पर जाते हुए देखते हैं, उन्हें प्रीमियम फोन और गाड़ी चलाते हुए देखते हैं, तो उन्हीं सारी चीज़ों के पीछे वो भी भागने लगते हैं.
और जब वो अपनी आय से इस लग्जरी लाइफस्टाइल को जी नहीं पाते तो वो इसके लिए लोन लेते हैं, और यही दिखावा, उनका दिवाला निकाल देता है. और एक कड़वा सच यही है कि आजकल दिखावे का दौर चल रहा है इसलिए लोग खुश रहने की बजाए अपनी खुशी भी दिखाने में लगे हैं लेकिन भारत चाहे तो आज चीन से काफी कुछ सीख सकता है.
भारत में इस स्थिति के लिए उन सोशल मीडिया Influencers को भी जिम्मेदार माना जाएगा, अपनी दुकान चलाने के लिए अपनी अमीरी का दिखावा करते हैं और इन्हें देखकर हमारे देश के आम लोगों का दिवाला निकल जाता है.