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और गोर्वाचेव ने न्यूक्लियर कोड वाली काली ब्रीफकेस येल्तसिन को सौंप दी... चुपचाप ढह गया सोवियत रूस

सोवियत रूस के इतिहास में 25 दिसंबर 1991 वो दिन है जब दुनिया की दूसरी बड़ी ताकत टूटकर कई हिस्सों में बिखर गई थी. आज इस घटना को 34 गुजर गए. सोवियत रूस का टूटना शीत युद्ध के खात्मे का ऐलान और एकध्रुवीय वर्ल्ड ऑर्डर की शुरुआत की घोषणा थी.

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मिखाइल गोर्बाचेव (दाएं) और बोरिस येल्तसिन (Photo: ITG)
मिखाइल गोर्बाचेव (दाएं) और बोरिस येल्तसिन (Photo: ITG)

25 दिसंबर 1991... दुनिया जब क्रिसमस की शाम का जश्न मना रही थी. उसी समय शाम को 7:32 बजे मिखाइल गोर्बाचेव ने सोवियत यूनियन के राष्ट्रपति पद से इस्तीफे का ऐलान कर दिया. इसी के साथ ही 1922 में लेनिन द्वारा गठित विशालकाय सोवियत गणराज्य का अंत हो गया. गोर्बाचेव ने जैसे ही अपना भाषण खत्म किया, क्रेमलिन सीनेट के हरे गुंबद के ऊपर से लाल झंडा आखिरी बार नीचे उतार दिया गया। क्रेमलिन पैलेस में खड़ी सात दशकों पुरानी लाल झंडी धीरे-धीरे नीचे उतरी और रूस का नया झंडा लहराने लगा.

लेकिन दुनिया की उत्सुकता  एक रहस्यमयी काले चमड़े के ब्रीफकेस पर टिकी थीं. इस ब्रीफकेस का नाम था- Chemodanchik.   

आज इस घटना के 34 साल गुजर चुके हैं और सोवियत रूस से रूस बना ये देश नए जियो-पॉलिटिकल युग में प्रवेश कर चुका है. 

मॉस्को में प्रोग्राम खत्म होते ही रक्षा प्रमुख मार्शल येवगेनी न्यूक्लियर कोड वाले ब्रीफकेस "चेमोडानचिक-Chemodanchik" को लेने के लिए गोर्बाचेव के ऑफिस पहुंचे, ताकि उसे रशियन फेडरेशन के प्रेसिडेंट बोरिस येल्तसिन को सौंपा जा सके. कुछ देर में ये औपचारिक प्रक्रिया पूरी हो गई. गोर्वाचेव ने रूस के न्यूक्लियर कोड वाली काली ब्रीफके Chemodanchik नए राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन को सौंप दी. ये वो ब्रीफकेस था जिसमें सोवियत रूस का न्यूक्लियर कमांड था. इस कमांड से रूस का राष्ट्राध्यक्ष दुनिया में कहीं भी अपने न्यूक्लियर हथियारों को लॉन्च कर सकता था. 

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ये बेहद अहम ब्रीफकेस अब रूस के नए राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन के पास था. 

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया को आकार देने वाले घटनाओं में ये एक महत्वपूर्ण दिन था. ये दिन शीत युद्ध के खात्मे का ऐलान था. यह दिन सिर्फ एक इस्तीफे का दिन नहीं था, बल्कि 15 गणराज्यों वाले विशाल साम्राज्य का पतन था. गोर्बाचेव की 'ग्लास्नोस्त' (खुलापन) और 'पेरेस्त्रोइका' (पुनर्गठन) ने 1985 से सुधारों की शुरुआत की, लेकिन आर्थिक संकट, राष्ट्रवाद की लहर और 1991 के घटनाक्रमों सब कुछ खत्म कर दिया. 

25 दिसंबर, 1991 को सोवियत संघ के आखिरी नेता के तौर पर मिखाइल गोर्बाचेव जब देश को आखिरी बार संबोधित कर रहे थे तो अमेरिका समेत दुनिया के बाकी हिस्से इस उदघोषणा को अविश्वसनीय अंदाज से सुन रहे थे. गोर्बाचेव ने कहा, "सोवियत संघ के राष्ट्रपति के तौर पर मैं अपना काम बंद कर रहा हूं."

इस संबोधन के साथ ही USSR अतीत के पन्नों में दर्ज हो गया.  दुनिया के मानचित्र पर 15 नए देश वजूद में आए. ये देश थे- आर्मीनिया, अजरबैजान, बेलारूस, इस्टोनिया, जॉर्जिया, कजाकिस्तान, कीर्गिस्तान, लातविया, लिथुआनिया, मालदोवा, रूस, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, यूक्रेन और उज़्बेकिस्तान.

अब क्रेमलिन पर कम्युनिस्ट वर्चस्व का परचम हंसिया-हथौड़ा वाला लाल झंडा उतार दिया गया और इसकी जगह रूसी संघ का झंडा लहरा रहा था. 

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25 दिसंबर 1991 के बाद USSR की क्या स्थिति हुई इसे आंकड़ों से समझा जा सकता है. 1991 में USSR का क्षेत्रफल 2 करोड़ 20 लाख वर्ग किलोमीटर था. विभाजन के बाद रूस को अपनी लगभग 50 लाख वर्ग किलोमीटर जमीन गंवानी पड़ी. 

बता दें भारत का क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग किलोमीटर है. इस बंटवारे के बाद रूस के हिस्से में 1 करोड़ 71 वर्ग किलोमीटर जमीन आया. USSR की आधिकारिक भाषा तो रूसी थी, लेकिन यहां 200 से अधिक भाषाएं और बोलियां बोली जाती थीं, यह भूभाग 290 मिलियन से अधिक लोगों का घर था.

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