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गाजा की तबाही से ये कंपनियां बना रहीं तगड़ा पैसा? UN की रिपोर्ट से हंगामा

इजरायल पर अक्सर गाजा में नरसंहार के आरोप लगते रहे हैं. इस बीच यूएन की विशेष दूत ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें बताया गया है कि दुनिया की बड़ी टेक और हथियार कंपनियां गाजा में इजरायल के नरसंहार में मददगार बन रही हैं.

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इजरायली हमले में गाजा तबाह हो गया है (Photo- AP)
इजरायली हमले में गाजा तबाह हो गया है (Photo- AP)

फिलिस्तीन मानवाधिकारों की स्थिति पर काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत फ्रांसेस्का अल्बानीज ने दर्जनों मल्टीनेशनल कंपनियों से इजरायल के साथ बिजनेस बंद करने का आह्वान किया है. अल्बानीज ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि मल्टीनेशनल कंपनियां इजरायल के साथ बिजनेस कर रही हैं जिससे गाजा और इजरायली कब्जे वाले वेस्ट बैंक में युद्ध अपराधों में उनकी संलिप्तता का खतरा है. उन्होंने कहा कि यह 'नरसंहार की अर्थव्यवस्था' है, जिसमें गाजा नए हथियारों और टेक्नोलॉजी के लिए टेस्टिंग ग्राउंड बन गया है.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पेश रिपोर्ट में कहा गया है, 'इजरायल का कब्जा हथियार बनाने वालों और बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए एक टेस्टिंग ग्राउंड बन गया है. इससे निवेशक, निजी और सार्वजनिक संस्थान खूब पैसा कमा रहे हैं.'

गाजा पट्टी पर इजरायल के जारी हमलों का हवाला देते हुए इसमें कहा गया, 'कंपनियां अब केवल कब्जे में ही योगदान नहीं दे रही हैं बल्कि वो नरसंहार की अर्थव्यवस्था में भी शामिल हो सकती हैं.'

रिपोर्ट में कहा गया कि गाजा में इजरायल का नरसंहार इसलिए जारी है क्योंकि यह कई लोगों के लिए पैसे कमाने का जरिया बन गया है.

गाजा में नरसंहार में कौन-कौन सी कंपनियों को बताया गया शामिल

अल्बानीज की तरफ से पेश रिपोर्ट में ऐसी 48 कंपनियों का जिक्र है जो 'गाजा में नरसंहार में मदद कर रही हैं.' इसमें अमेरिका की दिग्गज टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट, गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट इंक और अमेजन जैसी कंपनियां शामिल हैं. लिस्ट में हथियार निर्माता कंपनी लॉकहीड मार्टिन और टेक कंपनियां अल्फाबेट और आईबीएम भी हैं.

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अल्बानीज ने लिस्ट में कैटरपिलर, हुंडई और वोल्वो कंपनियों को भी शामिल किया है जिनके बारे में उनकी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उन्होंने घरों और इंफ्रास्ट्रक्चर को गिराने के लिए खास गाड़ियों की आपूर्ति की.

लिस्ट में वित्तीय संस्थाएं भी शामिल हैं. अल्बानीज का दावा है कि बीएनपी पारिबा और बार्कलेज बैंक पूरे संघर्ष के दौरान इजरायली ट्रेजरी बांड जारी करते रहे हैं.

क्या बोला इजरायल?

संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत फ्रांसेस्का अल्बानीज की इस रिपोर्ट को इजरायल ने निराधार बताते हुए खारिज कर दिया है. इजरायल का कहना है कि रिपोर्ट गलत है और यह इतिहास के कूड़ेदान में डाल दी जाएगी.

संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञ या विशेष दूत संयुक्त राष्ट्र से स्वतंत्र होते हैं, लेकिन मानवाधिकार मामलों पर सलाह देने के लिए संयुक्त राष्ट्र ही उन्हें नियुक्त करता है. अल्बानीज इटली की एक अंतरराष्ट्रीय वकील हैं, और वह अपनी बेबाकी के लिए जानी जाती हैं. उन्होंने अपनी पिछली कई रिपोर्टों में कहा है कि इजरायल गाजा में नरसंहार कर रहा है.

गुरुवार को उन्होंने उस दावे को दोहराते हुए कहा कि इजरायल आधुनिक इतिहास के सबसे क्रूरतम नरसंहारों में से एक को अंजाम दे रहा है.

रिपोर्ट के लेकर बीबीबी ने कुछ संबंधित कंपनियों से प्रतिक्रिया मांगी है. लॉकहीड मार्टिन ने कहा कि विदेशों में हथियारों की बिक्री सरकार से सरकार के बीच डील के तहत होता है और इसका जवाब अमेरिकी सरकार अच्छे से दे सकती है.

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वहीं, वोल्वो कंपनी ने कहा कि वह अल्बानीज की आलोचना से सहमत नहीं है. कंपनी का कहना है कि उनकी रिपोर्ट अपर्याप्त है और आंशिक रूप से गलत जानकारी पर आधारित है. कंपनी ने कहा कि वो मानवाधिकारों का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए लगातार काम कर रही है.

रिपोर्ट का क्या होगा असर?

यूएन की विशेष दूत अल्बानीज का कहना है कि सभी कंपनियों को तुरंत इजरायल के साथ लेन-देन बंद कर देना चाहिए. लेकिन इसकी कितनी संभावना है? संयुक्त राष्ट्र की इस तरह की रिपोर्टों में कोई कानूनी शक्ति नहीं होती, हां, वो दुनिया का ध्यान जरूर खींचती हैं.

इस बात की बिल्कुल संभावना नहीं है कि अमेरिका का ट्रंप प्रशासन एक अंतरराष्ट्रीय वकील की बात पर ध्यान देगा. लेकिन उनकी रिपोर्ट में जिन बड़ी अमेरिकी कंपनियों का नाम है, वे अपने वित्तीय हितों वाले कई देशों से निंदा सुनकर शायद इजरायल के साथ अपने संबंधों पर सवाल उठाना शुरू कर सकती हैं. हालांकि, इसकी संभावना भी बेहद कम है. 

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