भारतीय मूल की ब्रिटेन की गृह सचिव सुएला ब्रेवरमैन ने रविवार को बच्चों के यौन शोषण में शामिल ब्रिटिश पाकिस्तानी पुरुषों के गिरोह पर बात करते हुए सभी ब्रिटिश पाकिस्तानियों को लपेटे में ले लिया. वह एक कानून लेकर आई हैं, जिसमें कहा गया कि बाल यौन शोषण को रिपोर्ट करना संबंधित नागरिकों के लिए कानूनी रूप से बाध्य होगा. मीडिया को नए कानून की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे अपराधों में शामिल पाकिस्तानी पुरुष गिरोहों को लेकर चुप्पी की संस्कृति बन गई है.
उन्होंने कहा कि वो 'आधुनिक समय में ब्रिटेन में देखे गए सबसे बड़े अन्यायों में से एक को ठीक करने की कसम खाती हैं.'
ब्रिटिश पाकिस्तानी लोग अपराध में शामिल
ब्रेवरमैन ने बीबीसी से बातचीत में कहा, 'अपराधी पुरुषों का एक समूह है... जिसमें लगभग सभी ब्रिटिश पाकिस्तानी हैं. ये लोग ब्रिटिश मूल्यों के साथ पूरी तरह से अलग सांस्कृतिक दृष्टिकोण रखते हैं. उनकी गतिविधियां एक खुला रहस्य हैं, बावजूद इसके, उन्हें उनके समुदाय और समाज दोनों के भीतर चुनौती नहीं दी गई है. जानबूझकर आंखें मूंद लेना, अपना काम न करना और इस अपराध पर चुप्पी साध लेना- इनसे अपराध को बढ़ावा मिला है.'
उनकी नई नीति के तहत, यह स्पष्ट किया जाएगा कि कमजोर समूहों और बच्चों की सुरक्षा में लगा या उनके साथ काम करने वाला कोई भी व्यक्ति जैसे शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता निष्क्रियता से बच नहीं सकते.
उन्होंने स्काई न्यूज से बात करते हुए कहा, 'हम जो देख रहे हैं, अब वो एक प्रैक्टिस बन चुका है जिसमें कमजोर, सफेद, अंग्रेजी लड़कियों को ब्रिटिश पाकिस्तानियों के गिरोहों द्वारा पीछा किया जाता है और उनका बलात्कार किया जाता है. बाल शोषण गिरोह या नेटवर्क में काम करने वाले पुरुष बच्चों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं और उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं.'
'डर से सब आंख मूंद लेते हैं'
उन्होंने आगे कहा, 'हमने संस्थानों और देश की एजेंसियों को देखा है, चाहे वह सामाजिक कार्यकर्ता हों, शिक्षक हों, पुलिस हो, सब डर के मारे, नस्लवादी कहलाने के डर से, इन अपराधों पर आंखें मूंद लेते हैं.'
बच्चों के लिए काम करने वाली संस्थाओं ने इस कदम का स्वागत किया है और उन्हें आशा है कि नया कानून लोगों को कानूनी रूप से बाल शोषण को रिपोर्ट करने के लिए मजबूर करेगा.
गृह सचिव के द्वारा प्रस्तावित कानून फिलहाल परामर्श के अधीन है. पिछले साल The Independent Inquiry into Child Sexual Abuse (IICSA) ने इस तरह के कानून की सिफारिश की थी. इसमें बच्चों के यौन शोषण को महामारी के रूप में वर्णित किया गया था और कहा गया था कि यह हजारों पीड़ितों की जिंदगी नर्क बना देता है.
IICSA ने इंग्लैंड और वेल्स में सात सालों तक जांच की जिससे यह नतीजा सामने आया कि विश्वास के पदों पर आसीन लोगों को बाल यौन शोषण की रिपोर्ट करने के लिए कानून द्वारा बाध्य किया जाना चाहिए. इस जांच के परिणामों से प्रेरित होकर ब्रेवरमैन ने नए कानून को प्रस्तावित किया है.
लोग कर रहे आलोचना
ब्रिटेन की गृह मंत्री द्वारा बाल यौन शोषण को लेकर पाकिस्तानियों को निशाना बनाए जाने को लेकर कई लोग उनकी आलोचना भी कर रहे हैं.
ट्विटर पर एक यूजर ने लिखा, 'सुएला ब्रेवरमैन ने ब्रिटिश पाकिस्तानी समुदाय को यौन शोषण का अपराधी बताया है. लेकिन 2020 में गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया था ऐसे अपराधियों में अधिकतर गोरे शामिल हैं. ब्रेवरमैन उस समय अटॉर्नी जनरल थीं.'