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पाकिस्तान के क्वेटा में पुलिस ट्रक पर आत्मघाती हमला, 2 की मौत, 24 घायल

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) की धमकी के अगले दिन ही पाकिस्तान के क्वेटा शहर में पुलिस के ट्रक पर आत्मघाती हमला किया गया है. इस हमले में एक पुलिसकर्मी और एक बच्चे की मौत हो गई है. वहीं, 20 पुलिसकर्मियों सहित कुल 24 लोग घायल बताए जा रहे हैं.

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आत्मघाती हमले के बाद पलटी पुलिस की बस. (फोटो- जियो टीवी पाकिस्तान)
आत्मघाती हमले के बाद पलटी पुलिस की बस. (फोटो- जियो टीवी पाकिस्तान)

पाकिस्तान की सेना और पुलिस एक बार फिर आतंकियों के निशाने पर आ गई है. क्वेटा शहर में पुलिस के ट्रक पर आत्मघाती हमला किया गया है. इस हमले में एक पुलिसकर्मी और एक बच्चे की मौत हो गई है. वहीं, 20 पुलिसकर्मियों सहित कुल 24 लोग घायल बताए जा रहे हैं.

आत्मघाती हमला क्वेटा के बालेली इलाके में हुआ. घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और बचाव दल के लोग घटना स्थल पर पहुंच गए. घायलों को इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

क्वेटा के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल गुलाम अजफर महेसर ने बताया कि विस्फोट पुलिस ट्रक को निशाना बनाकर किया गया. शुरुआती जांच में ही स्पष्ट हो गया है कि ये एक आत्मघाती हमला था. घटनास्थल से आत्मघाती हमलावर के अवशेष भी मिले हैं. उन्होंने कहा कि विस्फोट के कारण पुलिस ट्रक पलटकर खाई में गिर गया था.

DIG मेहसर ने बताया कि खाई में गिरने के बाद ट्रक के नीचे कुचले जाने के कारण एक पुलिसकर्मी शहीद हो गया. करीब 20 पुलिसकर्मी और 4 स्थानीय नागरिक घायल हुए हैं. घायल पुलिसकर्मियों में से दो की हालत गंभीर है.

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एक दिन पहले ही पाकिस्तान के आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने अपने आतंकियों को पूरे पाकिस्तान में हमले करने के आदेश दिए थे. इससे पाकिस्तान में खलबली मच गई थी.

टीटीपी के ठिकाने के तार अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर मौजूद कबाइली क्षेत्र हैं. टीटीपी का मकसद पाकिस्तान की चुनी गई सरकार को उखाड़ फेंकने की है ताकि वह इस्लामिक शरिया कानून को वहां पर लागू कर सके. इसके लिए टीटीपी ने पाकिस्तान को अस्थिर करने के लिए कई बार प्रत्यक्ष तौर पर पाकिस्तानी सेना पर हमला किया और कई पाकिस्तानी नेताओं की हत्या की.

टीटीपी आमतौर पर आत्मघाती हमलावरों का इस्तेमाल करता है, जिसके तहत वह पाकिस्तानी सेना के हजारों सैनिकों, आम लोगों को मार चुका है. टीटीपी के संस्थापक नेता बैतुल्ला मसूद ने 30 मार्च 2009 को लाहौर की पुलिस अकेडमी पर हमले की सार्वजनिक तौर पर जिम्मेदारी ली थी. इस हमले में हमलावरों ने ऑटोमैटिक मशीन गनों से पुलिस रिक्रूट की भीड़ पर गोलीबारी कर दी थी, जिसमें आठ की मौत हो गई थी जबकि 100 घायल हो गए थे.

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