अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर तीखा हमला करते हुए उसे एक मज़ाक बताया और आरोप लगाया कि यह संस्थान अब केवल 'Woke' (उग्र वामपंथी विचारधारा वाले) प्रोफेसरों की भर्ती कर रहा है.
ट्रंप ने यह बयान तब दिया जब उनकी सरकार ने हार्वर्ड को दी जा रही लगभग 2.3 अरब डॉलर की संघीय फंडिंग पर रोक लगा दी. फंडिंग रोकने का कारण हार्वर्ड द्वारा व्हाइट हाउस की शर्तों को मानने से इनकार करना बताया गया, जिनमें कैंपस पर सक्रियतावाद को सीमित करने और विविधता, समावेशिता और समानता (DEI) कार्यक्रमों को खत्म करना शामिल था.
ट्रप ने क्या कहा?
ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए लिखा कि हर कोई जानता है कि हार्वर्ड अपनी राह भटक चुका है. न्यूयॉर्क और शिकागो के दो सबसे नाकाम मेयरों- बिल डी ब्लासियो और लॉरी लाइटफुट को भारी वेतन देकर पढ़ाने के लिए रखा गया है, जबकि इन दोनों ने अपने-अपने शहरों को तबाह कर दिया. अब ये हार्वर्ड में ‘शहर प्रबंधन’ सिखा रहे हैं. ट्रंप ने यह भी कहा कि हार्वर्ड अब दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों की सूची में शामिल होने लायक नहीं है और वहां 'नफरत और मूर्खता' सिखाई जाती है.
हार्वर्ड की प्रतिक्रिया
हार्वर्ड के अध्यक्ष एलन गार्बर ने यूनिवर्सिटी कम्युनिटी को एक पत्र लिखते हुए ट्रंप प्रशासन की मांगों को असंवैधानिक बताया. उन्होंने कहा कि हम विश्वविद्यालय की स्वतंत्रता से समझौता नहीं करेंगे. कोई भी सरकार यह तय नहीं कर सकती कि निजी विश्वविद्यालय क्या पढ़ाएं, किसे नियुक्त करें और किस विषय पर शोध करें. गार्बर ने यह भी तर्क दिया कि ट्रंप सरकार की मांगें संविधान के पहले संशोधन का उल्लंघन हैं और संघीय सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं.
क्या है 'वोक' विवाद?
'वोक' एक सामाजिक-राजनीतिक शब्द है, जिसका उपयोग ऐसे विचारों और आंदोलनों के लिए किया जाता है जो नस्लीय, लैंगिक, और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने की कोशिश करते हैं. ट्रंप और उनके समर्थकों का मानना है कि ये विचार राजनीतिक एजेंडा थोपते हैं और शिक्षा की स्वतंत्रता को प्रभावित करते हैं.