अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संघीय जांच ब्यूरो (FBI) निदेशक के रूप में अपने वफादार तेजतर्रार नेता काश पटेल को नामित किया है जिसकी काफी आलोचना हो रही है. ट्रंप एफबीआई के वर्तमान निदेशक क्रिस्टोफर रे को उनका कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही हटा रहे हैं और उनकी जगह पटेल को दे रहे हैं जिसे लेकर उनकी काफी आलोचना हो रही है.
पटेल अमेरिका के खुफिया समुदाय के बारे में कट्टरपंथी विचार रखते हैं और ऐसे में एफबीआई निदेशक के रूप में उनका नामित होना हैरान करने वाला है. माना जा रहा है कि ट्रंप एफबीआई में अपने करीबी सहयोगियों की नियुक्ति कर यह संदेश दे रहे हैं कि ये नियुक्तियां उनकी मांगों को पूरा करेंगी, साथ ही उनके खिलाफ संभावित जांच के दौरान भी उन्हें सुरक्षा देंगी.
ट्रंप ने शनिवार शाम पटेल की नियुक्ति को लेकर अपने सोशल मीडिया साइट ट्रुथ सोशल पर लिखा, 'मुझे यह घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि काश पटेल संघीय जांच ब्यूरो के अगले निदेशक के रूप में काम करेंगे. काश एक शानदार वकील, जांचकर्ता और 'अमेरिका फर्स्ट' के योद्धा हैं, जिन्होंने अपना करियर भ्रष्टाचार को उजागर करने, न्याय की रक्षा करने और अमेरिकी लोगों की रक्षा करने में बिताया है.'
ट्रंप के लोग भी पटेल को नहीं करते पसंद
काश पटेल ट्रंप के वफादारों के बीच भी लोकप्रिय नहीं हैं. उन्हें एक विवादित व्यक्ति की तरह देखा जाता है जो हमेशा खुद को आगे बढ़ाने में लगा रहता है. पटेल को FBI का निदेशक बनाने के लिए मौजूदा निदेशक क्रिस्टोफर रे को उनका कार्यकाल समाप्त होने से पहले बाहर करना होगा.
रे को भी ट्रंप ने ही अपने पहले कार्यकाल में नियुक्त किया था. अब रे को हटाकर पटेल को निदेशक बनाए जाने पर अमेरिका की दोनों बड़ी पार्टियां, जो बाइडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी और डोनाल्ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी आलोचना कर रही हैं.
काश पटेल की नियुक्ति पर विवाद?
ट्रम्प के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने पटेल की तुलना सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन की गुप्त पुलिस, एनकेवीडी के नेता से किया है. उन्होंने आगे कहा, 'सीनेट को इस नामांकन को 100-0 से खारिज कर देना चाहिए.'
व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने रविवार को कहा कि एफबीआई निदेशक को राजनीति की “सनक” के अधीन नहीं होना चाहिए, लेकिन उन्होंने पटेल पर सीधे तौर पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
सुलिवन ने सीएनएन की कैसी हंट को "स्टेट ऑफ द यूनियन" प्रोग्राम में बताया कि 'एफबीआई डायरेक्टर को अन्य नामांकित लोगों से जो बात अलग बनाती है, वह यह है कि उन्हें सिर्फ राष्ट्रपति के एक कार्यकाल के लिए नियुक्त नहीं किया जाता, बल्कि उन्हें राष्ट्रपति के दो कार्यकालों के बाद भी पर्याप्त समय के लिए नियुक्त किया जाता है, क्योंकि उन्हें राजनीति से अलग रखा जाता है.'
सीनेट न्यायपालिका के नए अध्यक्ष चक ग्रासली ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि वर्तमान एफबीआई निदेशक रे की कड़ी आलोचना की गई है और कहा गया है कि वे अपने कार्यकाल के दौरान "विफल" रहे. लेकिन ग्रासली ने कहा कि पटेल को 'कांग्रेस के सामने यह साबित करना होगा' कि वे रे से बेहतर प्रदर्शन करेंगे.
पटेल के पास मैनेजमेंट के अनुभव की कमी
एफबीआई निदेशक 55 अमेरिकी क्षेत्रीय कार्यालयों में 37,000 कर्मचारियों का नेतृत्व करते हैं. वे 350 सैटेलाइट ऑफिसों और 60 से अधिक अन्य विदेशी जगहों की भी देखरेख करते हैं, जो लगभग 200 देशों को कवर करता है.
एफबीआई और न्याय विभाग के पूर्व अधिकारियों ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि यह काम कठिन है, और पटेल के पास मैनेजमेंट के बेहद कम अनुभव है जिसे देखते हुए उनका प्रभावी ढंग से काम करना लगभग असंभव होगा.
एफबीआई के पूर्व सहायक निदेशक और उप महाधिवक्ता ग्रेगरी ब्रॉवर पिछले दो निदेशकों के साथ काम कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि एफबीआई निदेशक का काम बिना रुके चलने वाला काम है.
उन्होंने कहा, 'इस काम में आपका थकना मना है. इसमें बहुत कुछ दांव पर लगा है. इसके लिए सही फैसला, सहनशक्ति, अनुभव और मजबूत नैतिक और नैतिक दिशा-निर्देश की जरूरत होती है.'
सरकारी वकील के तौर पर पटेल ने की थी करियर की शुरुआत
ट्रंप के करीबी 44 साल के काश पटेल का जन्म न्यूयॉर्क में हुआ था. उनका परिवार गुजरात के वडोदरा का रहने वाला है.
पटेल ने अपने करियर की शुरुआत मियामी में एक सरकारी वकील के तौर पर की थी. 2014 और 2017 के बीच उन्होंने न्याय विभाग में आतंकवाद अभियोजक के रूप में काम किया. ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान पटेल राष्ट्रपति के उप सहायक और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में आतंकवाद निरोध के वरिष्ठ निदेशक के तौर पर काम कर चुके हैं.
ट्रंप के एक प्रवक्ता एलेक्स फिफर ने कहा, 'काश पटेल ने सरकार में प्रमुख राष्ट्रीय सुरक्षा पदों पर काम किया है. वो एफबीआई का नेतृत्व करने के लिए पूरी तरह योग्य हैं और एक बेहतरीन निदेशक साबित होंगे.'
काश पटेल ने अयोध्या मंदिर को किया था सपोर्ट
काश पटेल उस समय भी चर्चा में रहे जब इन्होंने अयोध्या राम मंदिर का खुलकर समर्थन किया. साथ ही राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान उन्होंने विदेशी मीडिया पर एंटी हिंदू होने का आरोप लगाया था.
काश पटेल ने कहा था कि मीडिया अयोध्या के 50 सालों की बात कर रही है जबकि वह भूल रहे हैं कि राम मंदिर का इतिहास 500 साल से भी पुराना है. उन्होंने कहा कि 500 साल पहले हिंदू मंदिर को गिरा दिया गया था जिसके बाद से ही उसके वापस निर्माण की पूरी कोशिश की जा रही थी.
काश पटेल ने विदेशी मीडिया को घेरते हुए कहा था कि मीडिया यह बात बताने से बच रही है जिससे भारत और वहां के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार किया जा सके.