सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) के अमेरिका दौरे की चर्चा हर तरफ है. मंगलवार को व्हाइट हाउस पहुंचे क्राउन प्रिंस ने अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात की जहां उनका स्वागत 'स्टेट विजिट' पर अमेरिका पहुंचने वाले किसी राष्ट्राध्यक्ष की तरह हुआ जबकि वो सऊदी के वास्तविक शासक हैं, राष्ट्राध्यक्ष नहीं. उनके इस दौरे में निवेश और रक्षा मुद्दों पर अहम बात हुई जिसमें F-35 स्टील्थ फाइटर जेट्स पर अहम घोषणा भी शामिल है.
यह फाइटर जेट दुनिया का अत्याधुनिक फाइटर जेट है जो मध्य-पूर्व में केवल इजरायल के पास है. अब ट्रंप ने एमबीएस से मुलाकात के दौरान ऐलान कर दिया है कि वो अपना शानदार जेट सऊदी अरब को देंगे. सऊदी अरब अमेरिका से 48 फाइटर जेट्स चाहता है.
F-35 जेट्स को लेकर ट्रंप के ऐलान ने इजरायल को परेशान कर दिया है. इजरायल का कहना है कि इससे मिडिल ईस्ट में उसकी सैन्य बढ़त पर असर पड़ेगा.
एमबीएस ने अपने दौरे में अमेरिका में भारी निवेश पर भी अपनी मुहर लगा दी है. ट्रंप से मुलाकात के दौरान क्राउन प्रिंस ने कहा कि सऊदी अरब अमेरिका में अपना निवेश 600 अरब डॉलर से बढ़ाकर एक खरब डॉलर कर देगा. इस निवेश का मुख्य फोकस टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा सेंटर्स और एडवांस मैन्यूफेक्चरिंग पर रहेगा.
ट्रंप और एमबीएस की इस मुलाकात और इसके दौरान हुई घोषणाओं की इजरायल में काफी चर्चा है. इजरायल की मीडिया ने भी मुलाकात की लगभग हर बड़ी अपडेट को कवर किया है.
इजरायल के लगभग सभी अखबारों, न्यूज वेबसाइटों, टीवी चैनलों ने सऊदी अरब को F-35 फाइटर जेट दिए जाने की ट्रंप की घोषणा को प्रमुखता से कवर किया है. अमेरिका में सऊदी के निवेश की घोषणा पर भी काफी खबरें प्रकाशित की गई हैं.
न्यूज वेबसाइट इजरायल नेशनल न्यूज ने एक लेख छापा है जिसमें ट्रंप-एमबीएस मुलाकात पर अरब मामलों के एक्सपर्ट ज्वी यहेजकेली की टिप्पणी शामिल है. एक्सपर्ट के हवाले से इजरायली मीडिया ने लिखा कि राष्ट्रपति ट्रंप का सऊदी अरब को F-35 जेट बेचने की घोषणा चिंताजनक तो है, लेकिन यह कोई बड़ी चिंता की बात नहीं है.
लेख में एक्सपर्ट के हवाले से लिखा गया, 'मोहम्मद बिन सलमान व्हाइट हाउस इसलिए आए क्योंकि पिछला बाइडेन प्रशासन उन्हें अपराधी मानता था. उन्हें एक ऐसा व्यक्ति माना जाता था जिन्हें व्हाइट हाउस में नहीं बुलाया जा सकता. लेकिन अब जो हो रहा है वो ऐतिहासिक है. यह दिखाता है कि ट्रंप उनसे बिजनेस करने आए हैं.'
लेख में कहा गया कि भले ही दुनियाभर में एमबीएस का कद बढ़ रहा लेकिन मिडिल ईस्ट में उन्हें मजबूत नेता नहीं माना जाता.
लेख के मुताबिक, 'दुनियाभर में लोग बिन सलमान को पसंद करते हैं क्योंकि वो सुधार लागू कर रहे हैं, जेद्दा में गायक कलाकारों को बुला रहे हैं और महिलाओं को गाड़ी चलाने की इजाजत दे रहे हैं. लेकिन मध्य पूर्व के परिदृश्य में बिन सलमान को मजबूत नहीं माना जाता. वो हूती विद्रोहियों को दबाने में नाकाम रहे, ईरानियों के सामने पीछे हटे, सामान्यीकरण से पीछे हट गए और वो फिलिस्तीनी राष्ट्र को लेकर मुखर नहीं हैं. वो कोई मज़बूत रीढ़ वाले नेता नहीं हैं और हमें देखना होगा कि भविष्य में सऊदी अरब में क्या होता है.'
इजरायल की वेबसाइट ने ट्रंप से पूछे गए एक सवाल का भी जिक्र किया है जिसमें उनसे पूछा गया था, 'सऊदी अरब को बेचे जाने वाले F-35 क्या वही मॉडल होंगे जो इजरायल इस्तेमाल करता है? इसके जवाब में ट्रंप ने कहा, 'मुझे लगता है हां, दोनों काफी हद तक एक जैसे होंगे.'
ट्रंप के इस जवाब से इजरायल का चिंतित होना जायज है. उन्होंने आगे कहा , 'सऊदी अरब एक ग्रेट पार्टनर है और इजरायल भी एक ग्रेट पार्टनर है. मुझे पता है कि इजरायल चाहेगा कि सऊदी को थोड़ी कम क्षमता वाला जेट मिले. लेकिन मुझे नहीं लगता कि सऊदी इस बात से खुश होगा.'
इजरायल के एक और अखबार टाइम्स ऑफ इजरायल ने भी ट्रंप-एमबीएस की मुलाकात को प्रमुखता दी है. अखबार लिखता है कि इजरायल की बेंजामिन नेतन्याहू सरकार ने कथित तौर पर अमेरिका से कहा था कि वो सऊदी को F-35 विमान देना चाहे तो दे लेकिन बदले में उससे अब्राहम समझौते में शामिल होने की शर्त रखे.
अखबार ने लिखा, 'लेकिन ट्रंप इजरायल की बात काटकर डील पर आगे बढ़ गए. उन्होंने आईडीएफ और अमेरिकी खुफिया अधिकारियों की चिंताओं को नजरअंदाज किया है कि इस डील से क्षेत्र में इजरायल की सैन्य बढ़त को नुकसान पहुंच सकता है.'