
पश्तून तहफ़्फ़ुज़ मूवमेंट (PTM) के नेता मंज़ूर पश्तीन ने पाकिस्तान सरकार पर अफ़ग़ान शरणार्थियों के जबरन निष्कासन को लेकर कड़ा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि देश के अलग-अलग हिस्सों में अफ़ग़ान परिवारों को उनके घरों से बेदखल किया जा रहा है, जबकि टॉरखम बॉर्डर भी बंद कर दिया गया है.
पश्तीन ने कहा कि पाकिस्तान की इस नीति से बेघर हुए अफ़ग़ान नागरिक भयानक परिस्थितियों में जीने को मजबूर हैं. “पाकिस्तान अपनी नाकामियों का बदला निर्दोष अफ़ग़ान बच्चों से ले रहा है,” उन्होंने कहा.
पश्तीन ने बताया कि हजारों अफ़ग़ान शरणार्थियों को बिना किसी विकल्प के पाकिस्तान से निकाला जा रहा है.
कई परिवारों के पास न तो खाने का साधन है और न ही लौटने के लिए सुरक्षित रास्ता. उन्होंने कहा कि यह कदम न सिर्फ अमानवीय है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों का भी उल्लंघन है.
टॉरखम बॉर्डर बंद होने से संकट गहराया
टॉरखम सीमा बंद होने के कारण सैकड़ों परिवार सीमा पार फंसे हुए हैं. पश्तीन ने कहा कि पाकिस्तान सरकार की नीति ने शरणार्थियों को “सीमाओं के बीच भटकते इंसान” बना दिया है. यह सिर्फ अफ़ग़ानों की नहीं, बल्कि इंसानियत की भी हार है.
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निर्दोष पश्तूनों को निशाना बनाए जाने का आरोप
पश्तीन ने क़बायली इलाकों खासतौर पर खैबर पख्तूनख्वा में निर्दोष पश्तूनों पर हो रही कार्रवाइयों की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि पश्तून समुदाय पहले आतंकवाद के नाम पर सताया गया, अब उन्हें “राजनीतिक बहाने” से निशाना बनाया जा रहा है.
मानवाधिकार समूहों से हस्तक्षेप की मांग
मंज़ूर पश्तीन ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों से अपील की है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें और पाकिस्तान पर दबाव बनाएं ताकि अफ़ग़ान परिवारों को सुरक्षित शरण और न्याय मिल सके.
इनपुट: टोलो न्यूज