ऐतिहासिक आम चुनाव को पटरी से उतारने के लिए तालिबान के बढ़ते हमलों के बीच पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कियानी ने कहा है कि पाकिस्तान में निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार चुनाव होंगे क्योंकि देश के पास वास्तविक लोकतांत्रिक मूल्यों के युग में प्रवेश करने के लिए यह सुनहरा मौका है.
यौम ए शहादा (शहीद दिवस) के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कियानी ने एक बार फिर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की सेना की प्रतिबद्धता दोहरायी.
आतंकवाद के खिलाफ अभियान को पाकिस्तान का युद्ध नहीं बताने वालों की आलोचना करते हुए कियानी ने चरमपंथ और आतंकवाद से निपटने के लिए ‘स्पष्ट नीति’ और व्यापक राजनीतिक आम सहमति का आह्वान किया.
कियानी ने उर्दू में समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘अल्लाह ने चाहा तो देश में 11 मई को आम चुनाव होंगे. इस बारे में कोई शंका नहीं होनी चाहिए. यह वास्तव में एक सुनहरा मौका है जो देश में सच्चे लोकतांत्रिक मूल्यों के युग की शुरुआत कर सकता है.’
इस समारोह में शीर्ष सैन्य कमांडर भी शामिल थे. गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में प्रतिबंधित पाकिस्तानी तालिबान ने सिंध और खबर पख्तूनख्वा प्रांतों में कई बम हमले किए हैं जिनमें अवामी नेशनल पार्टी, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी तथा मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट जैसे उदारवादी दलों को निशाना बनाया गया.
इन हमलों में 40 लोगों के मारे जाने से चुनावों की सुरक्षा को लेकर चिंता पैदा हो गयी है. कियानी ने कहा कि लोगों के बीच जागरुकता और उनकी भागीदारी से ‘सही मायने में लोकतंत्र और तानाशाही के बीच का यह लुका छुपी का खेल खत्म हो सकता है.’
उन्होंने कहा, ‘अगर लोग जातीय, भाषाई और नस्लीय पूर्वाग्रहों से उपर उठकर ईमानदारी, गुण दोष तथा सक्षमता के आधार पर वोट करते हैं तो तानाशाही से डरने या हमारी मौजूदा लोकतांत्रिक व्यवस्था की खामियों के प्रति द्वेष का कोई कारण ही नहीं है.’
सेना प्रमुख ने कहा कि सेना अपनी क्षमताओं और संविधान के दायरे के भीतर रहते हुए ‘तहे दिल से स्वतंत्र, निष्पक्ष तथा शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न कराने में मदद और समर्थन को प्रतिबद्ध है.’
उन्होंने कहा कि यह समर्थन केवल ‘लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने तथा कानून के शासन’ के लिए है. पीपीपी की अगुवाई वाली सरकार के पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद देश के इतिहास में सत्ता का यह पहला लोकतांत्रिक हस्तांतरण है. देश में आधे समय तक जनरलों का शासन रहा है.