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फिल्म नहीं सच्चाई है ये! 17 साल बाद अपने बिछड़े पर‍िवार से मिली पाकिस्तान की 'मुन्नी', AI ने की मदद

किरन की कहानी सलमान खान अभ‍िनीत फिल्म बजरंगी भाईजान की याद दिलाती है जिसमें अपने घर से बिछड़ी छोटी-सी बच्ची लंबे इंतजार के बाद अपने पर‍िवार से मिलती है. इस बार इस बच्ची को मिलाने में किसी अभ‍िनेता ने भूमिका नहीं निभाई है. आइए जानते हैं कि कैसे 17 साल पहले बिछड़ी बच्ची 27 की उम्र में अपने पर‍िवार से मिली.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

पाकिस्तान में एक युवती 17 साल बाद अपने परिवार से ऐसे मिली जैसे किसी फिल्म का सस्पेंस या टीवी सीरियल का आखिरी एपिसोड हो. एक पुरानी गुमशुदगी रिपोर्ट, चेहरे पहचानने वाला सॉफ्टवेयर और एआई की पावर इन तीनों ने मिलकर किरन को उसके घरवालों से मिलवा दिया.

किरन (अब 27 साल) ने न्यूज एजेंसी को बताया कि मैं रास्ता भटक गई थी… रो रही थी… एक नेकदिल औरत मुझे इस्लामाबाद के ईधी शेल्टर होम ले गई. तब मुझे अपना घर तक याद नहीं था. वो बताती है कि साल 2008 में वो आइसक्रीम लेने घर से निकली थीं, लेकिन उसके बाद फिर कभी वापस नहीं जा पाईं.

एआई और तकनीक ने ऐसे की मदद

कुछ दिनों बाद दिवंगत अब्दुल सत्तार इधी की पत्नी और इधी फाउंडेशन की सह संस्थापक बिलकीस इधी उन्हें कराची लेकर आ गईं. तब से किरन कराची के इधी शेल्टर होम में बिलकीस की देखभाल में बड़ी हुईं. इधी फाउंडेशन के मौजूदा चेयरमैन फैसल इधी की पत्नी सबा इधी ने बताया कि कई बार किरन को लेकर इस्लामाबाद जाया गया ताकि उनके माता-पिता को ढूंढा जा सके लेकिन सफलता नहीं मिली. 

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इस साल फाउंडेशन ने पंजाब के सेफ सिटी प्रोजेक्ट में काम कर रहे साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ नबील अहमद से संपर्क किया. सबा के मुताबिक हमने नबील को किरन की हाल की तस्वीरें और उनके बचपन व इलाके से जुड़ी छोटी-छोटी जानकारी दी. नबील ने इस केस में खास दिलचस्पी ली और उन्होंने इस्लामाबाद की एक पुरानी मिसिंग गर्ल रिपोर्ट ढूंढी और AI, फेस रिकग्निशन और ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर की मदद से किरन के परिवार को खोज निकाला. 

परिवार बोला- हमने बहुत खोजा

कुछ ही दिनों बाद, किरन के पिता अब्दुल मजीद जो पेशे से दर्जी हैं, कराची पहुंच गए और अपनी बेटी को घर ले गए. परिवार की खुशी का ठ‍िकाना नहीं था, वहीं किरन को भी मानो उसकी पहचान मिल गई. किरन के पित ने बताया कि हमने सालों तक किरन को ढूंढा. अखबारों में फोटो भी छपवाए, लेकिन कोई पता नहीं चला. हम तो उम्मीद छोड़ चुके थे. तभी सेफ सिटी प्रोजेक्ट के अधिकारियों ने बताया कि हमारी बेटी मिल गई है. 

किरन ने खुशी और भावुकता से कहा कि यहां अपने इधी परिवार से बिछड़कर दुख हो रहा है. मैं बिलकीस आपा और उनके परिवार के प्यार और स्नेह की हमेशा आभारी रहूंगी. इधी फाउंडेशन के अनुसार किरन वो पांचवीं लड़की हैं जिन्हें AI और सेफ सिटी प्रोजेक्ट की मदद से उनके परिवार से मिलवाया गया है. 

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