पाकिस्तान में आतंकवाद का नया चेहरा अब महिलाओं के रूप में सामने आ रहा है. ताजा खुलासों में सामने आया है कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन अब महिलाओं को फिदायीन (आत्मघाती हमलावर) के रूप में तैयार कर रहे हैं. ऑपरेशन सिंदूर के बाद इन संगठनों की रणनीति पूरी तरह बदल चुकी है. अब पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी आतंक के इस खेल की मोहर बन रही हैं.
वीडियो से हुआ बड़ा खुलासा
एक एक्सक्लूसिव वीडियो में पाकिस्तान के सियालकोट स्थित लश्कर-ए-तैयबा ट्रेनिंग सेंटर की सीधी तस्वीरें सामने आई हैं, जहां कथित तौर पर पाकिस्तानी सेना और पुलिस के कुछ अधिकारी आतंकियों के साथ तालमेल में काम करते नजर आए. इस वीडियो में महिलाओं को जिहादी विचारधारा से ब्रेनवॉश करते हुए और हथियारों की ट्रेनिंग लेते हुए देखा जा सकता है. बताया जा रहा है कि इन कैंपों में 'भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दुश्मन' बताकर जहर भरा जा रहा है.
ऑनलाइन जिहाद क्लासेस, 500 रुपये में दाखिला
इस्लाम के नाम पर गुमराह करने वाली यह मुहिम अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तक पहुंच चुकी है. जैश-ए-मोहम्मद ने महिलाओं के लिए एक नया कोर्स शुरू किया है, जिसका नाम है ‘तुफ़त अल मुमिनात'. इस कोर्स में दाखिला लेने के लिए हर लड़की से 500 पाकिस्तानी रुपये लिए जा रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, इस कार्यक्रम को आतंकी सरगना मसूद अजहर की बहनें और उमर फारूक की पत्नी चला रही हैं.
'जमात-उल-मुमिनात' के जरिए भर्ती और फंडिंग
सूत्रों के अनुसार, जैश-ए-मोहम्मद ने महिलाओं की भर्ती के लिए एक अलग विंग 'जमात-उल-मुमिनात' बनाई है, जो न सिर्फ फंड इकट्ठा करती है, बल्कि युवतियों को ऑनलाइन जिहाद की ट्रेनिंग भी देती है. सोशल मीडिया और लाइव ऑनलाइन सत्रों के जरिए महिलाओं को 'मुजाहिदा' बनने की प्रेरणा दी जा रही है.
हाफिज अब्दुल रऊफ की भूमिका
लश्कर के खतरनाक आतंकी और हाफिज सईद के करीबी हाफिज अब्दुल रऊफ को इस मिशन का चेहरा बताया जा रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह सियालकोट के एक ट्रेनिंग सेंटर से महिलाओं को जिहादी सोच की ट्रेनिंग दे रहा है और उन्हें भारत के खिलाफ 'धर्मयुद्ध' छेड़ने के लिए भड़काया जा रहा है.