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पाकिस्तान में दहशतगर्दों का नया ठिकाना! आर्मी हेडक्वार्टर के पास लश्कर बना रहा आतंकी ट्रेनिंग सेंटर

पाकिस्तान में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) तेजी से अपना नया आतंकवादी ट्रेनिंग सेंटर खड़ा कर रहा है. इस नए सेंटर का नाम 'मरकज अल-कुद्स' रखा गया है. अमेरिका द्वारा नामित ग्लोबल टेररिस्ट और लश्कर का वरिष्ठ कमांडर हाफिज अब्दुल रऊफ खुद इस साइट का दौरा कर चुका है.

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अमेरिका द्वारा नामित ग्लोबल टेररिस्ट और लश्कर कमांडर हाफिज अब्दुल रऊफ इस साइट का दौरा कर चुका है. (File Photo- ITG)
अमेरिका द्वारा नामित ग्लोबल टेररिस्ट और लश्कर कमांडर हाफिज अब्दुल रऊफ इस साइट का दौरा कर चुका है. (File Photo- ITG)

रावलपिंडी स्थित पाकिस्तान आर्मी हेडक्वार्टर्स (GHQ) से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) तेजी से अपना नया आतंकवादी ट्रेनिंग सेंटर खड़ा कर रहा है. यह वही इलाका है जिसे पाकिस्तान दुनिया को सबसे सुरक्षित सैन्य जोन बताता है, लेकिन उसी के पास एक नया दहशतगर्दी अड्डा तैयार हो रहा है.

सूत्रों के मुताबिक, इस नए सेंटर का नाम 'मरकज अल-कुद्स' रखा गया है और लश्कर का दावा है कि यह सुविधा अगले रमजान तक पूरी तरह से तैयार हो जाएगी. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस निर्माण को छुपाया नहीं जा रहा, बल्कि इसे एक कम्युनिटी और अर्बन वॉरफेयर सेंटर के रूप में पेश किया जा रहा है, जबकि अंदरखाने इसका असली उद्देश्य भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देना है.

जानकारी में यह भी सामने आया है कि अमेरिका द्वारा नामित ग्लोबल टेररिस्ट और लश्कर का वरिष्ठ कमांडर हाफिज अब्दुल रऊफ खुद इस साइट का दौरा कर चुका है. रऊफ वही आतंकी है जिसने भारतीय स्ट्राइक में मारे गए LeT आतंकियों की नमाज-ए-जनाजा पाकिस्तान आर्मी अधिकारियों की मौजूदगी में पढ़ाई थी. रावलपिंडी पहुंचकर रऊफ ने इस नए प्रोजेक्ट को लश्कर के लिए 'नई सुबह' बताया, जो पाकिस्तान की आतंकी सोच और संरचना की सच्चाई खुद उजागर करता है.

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खुफिया सूत्रों के अनुसार, मरकज अल-कुद्स एक डुअल-यूज टेरर फैसिलिटी है. ऊपर से इसे सामुदायिक केंद्र बताया जा रहा है, जबकि अंदर विशेष रूप से विस्फोटक प्रशिक्षण, अर्बन कॉम्बैट ड्रिल और भारत के खिलाफ ‘जिहाद’ तैयार करने वाले मॉड्यूल लगाए जा रहे हैं. यह सेंटर पाकिस्तान की धरती का उपयोग भारत विरोधी दहशतगर्दी के लिए करने की उसकी लगातार जारी नीति का ताजा उदाहरण है.

अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि GHQ से इतनी नजदीक पर इतना बड़ा आतंकी ढांचा कैसे खड़ा हो रहा है? यह या तो पाकिस्तान आर्मी की खुली सहमति को दर्शाता है या फिर उसकी सीधी भागीदारी को. इस घटनाक्रम ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि पाकिस्तान की सरजमीं आज भी आतंकी संगठनों के लिए सुरक्षित ठिकाना बनी हुई है और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठन वहां न सिर्फ पनप रहे हैं बल्कि विस्तार भी कर रहे हैं, वो भी सेना की नाक के नीचे.

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