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क्या था बाइडेन का 'ऑपरेशन अलाइज़ वेलकम', जिसके जरिए अमेरिका आया था गोलीकांड का आरोपी लकनवाल

ट्रंप का कहना है कि बाइडेन शासन के दौरान आए सभी लोगों की दोबारा जांच की जानी चाहिए और जो लोग देश के लिए फायदेमंद नहीं हैं, उन्हें वापस भेजने के लिए सभी कदम उठाने चाहिए.

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Washington Metropolitan Police are seen after reports of two National Guard soldiers were shot near the White House in Washington
Washington Metropolitan Police are seen after reports of two National Guard soldiers were shot near the White House in Washington

वॉशिंगटन डी.सी. में हुई गोलीबारी के संदिग्ध की पहचान अफ़गान नागरिक रहमानुल्लाह लकनवाल के रूप में की गई है. इसके बाद ट्रंप प्रशासन ने बड़ा कदम उठाते हुए अफ़ग़ान नागरिकों से जुड़े सभी इमिग्रेशन मामलों को अनिश्चितकाल के लिए रोक दिया है. इस गोलाबारी में डीसी नेशनल गार्ड के दो जवान घायल हुए थे.

लाकनवाल एक अफगान नागरिक है, जो वॉशिंगटन स्टेट में रहता था और जिसने अफगानिस्तान में अमेरिकी एजेंसियों के साथ काम किया था. CIA डायरेक्टर जॉन रैटक्लिफ के अनुसार, “बाइडन प्रशासन ने 2021 में अफगानिस्तान से निकासी के दौरान लाकनवाल को उसकी पिछली सेवाओं के आधार पर अमेरिका आने की अनुमति दी थी.” लकनवाल को 2021 में बाइडेन सरकार की अफ़गान रिलोकेशन योजना ‘ऑपरेशन अलाइज़ वेलकम’ के तहत अमेरिका लाया गया था. होमलैंड सिक्योरिटी के अनुसार, वह मानवीय आधार पर अमेरिका में दाखिल हुआ था और 2024 में उसने शरण (Asylum) के लिए आवेदन किया था, जो 2025 में मंज़ूर भी हो गया यानी उसे अमेरिका में रिफ्यूजी का दर्जा हासिल हो गया था, लेकिन उसका ग्रीन कार्ड आवेदन अभी लंबित है.

बाइडेन काल में अमेरिका आए 85,000 से अधिक अफ़ग़ान

बता दें कि ‘ऑपरेशन अलाइज़ वेलकम’ के तहत 85,000 से अधिक अफ़ग़ानों को अमेरिका लाया गया था. अब ट्रंप प्रशासन द्वारा अफ़ग़ान नागरिकों से जुड़े सभी इमिग्रेशन मामलों को अनिश्चितकाल के लिए रोक देना, उन हजारों अफ़गानों के लिए चिंता का विषय है, जिनके इमिग्रेशन आवेदन पहले से ही लंबे समय से लंबित हैं.

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क्या था ऑपरेशन अलाइज़ वेलकम?

यह एक अमेरिकी सरकारी कार्यक्रम है जिसे 2021 में शुरू किया गया था, जब अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद लाखों लोग देश छोड़ने को मजबूर हो गए थे. इसका मकसद था, अमेरिका की मदद करने वाले अफ़ग़ानों को सुरक्षित तरीके से निकालकर उन्हें अमेरिका में बसाना. यह कार्यक्रम बाइडन प्रशासन ने शुरू किया था. इसमें अफ़ग़ान इंटरप्रेटर्स, अमेरिकी सेना के साथ काम करने वाले लोगों और उनके परिवारों को प्राथमिकता दी गई.

क्यों जरूरी था अफ़ग़ानों को लाना?

लगभग 85,000 से ज़्यादा अफ़ग़ान नागरिकों को इस योजना के तहत अमेरिका लाया गया. शुरुआत में इन्हें सैन्य ठिकानों पर अस्थायी रूप से रखा गया, जहां इनके डॉक्यूमेंट, मेडिकल जांच और सुरक्षा जांच पूरी की गई. बाद में इन्हें अमेरिका के अलग-अलग राज्यों में रिहाइश और पुनर्वास के लिए भेजा गया. कई अफ़ग़ानों को Special Immigrant Visa (SIV), शरण (Asylum), मानवीय पैरोल और अन्य सुरक्षा स्टेटस दिया गया.

ये कार्यक्रम इसलिए जरूरी था क्योंकि अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी सेना की 20 साल की मौजूदगी के दौरान कई स्थानीय लोगों ने अमेरिका के लिए काम किया था. तालिबान की सत्ता वापसी के बाद उन्हें प्रतिशोध का खतरा था यानी आसान भाषा में ऑपरेशन अलाइज़ वेलकम एक मानवीय मिशन था, जिसका लक्ष्य था अफ़ग़ान पार्टनर्स को सुरक्षित जगह और नई ज़िंदगी देना.

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सरकार की कार्रवाई

USCIS (US Citizenship and Immigration Services) ने कहा है कि अफ़ग़ानों के सभी इमीग्रेशन अनुरोधों पर रोक तब तक जारी रहेगी, जब तक सुरक्षा जांच के नए प्रोटोकॉल की समीक्षा पूरी नहीं होती. वहीं, ट्रंप ने बयान में कहा कि बाइडेन शासन के दौरान आए सभी लोगों की दोबारा जांच की जानी चाहिए और “जो लोग देश के लिए फायदेमंद नहीं हैं, उन्हें वापस भेजने के लिए सभी कदम उठाने चाहिए.”

अफ़ग़ान समुदाय की प्रतिक्रिया

गैर-लाभकारी संस्था Afghan Evac ने इस हमले की निंदा की, लेकिन कहा कि इसके लिए पूरे अफ़ग़ान समुदाय को दोष देना गलत है. संस्था ने बताया कि अफ़ग़ानों की सबसे सख्त सुरक्षा जांच होती है और कुछ लोगों के गलत कामों के लिए पूरे समुदाय को निशाना बनाना खतरनाक है.

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