नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने नेपाली संसद में कहा है कि भारत की ओर से नेपाल के क्षेत्र से होकर लिपुलेख दर्रे तक लिंक रोड का निर्माण दुर्भाग्यपूर्ण है और इस मसले ने गंभीरतापूर्वक सरकार का ध्यान आकर्षित किया है.
रविवार को नेपाल की संसदीय बैठक के दौरान विदेश मंत्री ने कहा कि “यह सड़क निर्माण दोनों देशों के बीच समझ के खिलाफ है और बातचीत के माध्यम से सीमा से संबंधित मुद्दों का हल खोजा जाएगा. ग्यावली ने विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान को पढ़ते हुए दावा किया कि लिपुलेख और कालापानी क्षेत्र नेपाल के क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं और भारत के साथ बातचीत के माध्यम से इसे हल किया जाएगा. उन्होंने कहा कि नेपाल सरकार संप्रभु समानता के सिद्धांत और राष्ट्र हित को केंद्र में रखकर भारत के साथ सीमा विवादों को हल करना चाहती है.
भारत ने आपत्तियों को खारिज किया हालांकि, भारत ने चीन की सीमा पर लिपुलेख तक सड़क निर्माण के उद्घाटन पर नेपाल की आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा है कि यह सड़क निर्माण पूरी तरह से भारतीय क्षेत्र में है.
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने शनिवार को एक बयान में कहा, “हाल ही में उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में किया गया सड़क निर्माण का उद्घाटन पूरी तरह से भारतीय क्षेत्र में स्थित है. यह सड़क कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले पहले से मौजूद मार्ग पर ही बनाई गई है.”
गौरतलब है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को पिथौरागढ़-धारचूला से लिपुलेख को जोड़ने वाले 80 किलोमीटर सड़क मार्ग का वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये उद्घाटन किया. यह लिंक रोड घियाबागढ़ से निकलती है और लिपुलेख पास, कैलाश-मानसरोवर के प्रवेश द्वार पर समाप्त होती है. इस सड़क मार्ग के जरिये कैलाश-मानसरोवर जाने वाले तीर्थयात्री अब तीन सप्ताह के बजाय एक सप्ताह में अपनी यात्रा पूरी कर सकेंगे.
इस उद्घाटन के बाद नेपाल ने सीमा क्षेत्र में सड़क निर्माण के भारत के "एकतरफा" निर्णय पर "खेद" व्यक्त किया था. नेपाल के विदेश मंत्रालय की ओर जारी एक बयान में कहा गया है, “यह एकतरफा निर्णय दोनों देशों के बीच समझ के खिलाफ है और बातचीत के माध्यम से सीमा से संबंधित मुद्दों का हल खोजा जाएगा.” नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के नेता पुष्ट कमल दहल प्रचंड ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान लिपुलेख सड़क निर्माण को “निंदनीय” बताया है.