लेबनान में इजरायल के हमले जारी है. इन हमलों में लेबनान की राजधानी बेरूत का दक्षिण इलाका पूरी तरह तबाह हो चुका है. हवाई हमलों में इमारतें ध्वस्त हो गई हैं. इलाके सुनसान नजर आ रहे हैं. दक्षिण बेरूत में ही इजरायल ने हिज्बुल्लाह के मुख्यालय को तबाह कर नसरल्लाह को मार गिराया था. युद्ध के बीच आजतक के संवाददाता दक्षिण बेरूत से पल-पल की अपडेट आप तक पहुंचा रहे हैं.
इस क्रम में आजतक ने दक्षिण बेरूत के वर्दानिया इलाके का दौरा किया, जहां हिजबुल्लाह के ठिकाने को इजरायल ने हवाई हमले से तबाह कर दिया था. इस मिसाइल हमले में 6 लोग मारे गए और 2 से ज़्यादा घायल हो गए थे. जिस घर को इजरायल ने निशाना बनाया, उस पर हुए मिसाइल हमले के प्रभाव से पता चलता है कि यह सटीक हमला था और मिसाइल इमारत की दो मंजिलों में घुस गई. इससे आसपास की इमारतों को भी क्षति पहुंची.
शहर में लक्षित केंद्र को युद्ध से विस्थापित लोगों को समायोजित करने के लिए नामित किया गया था. मिसाइल हमले के बाद लोगों ने इलाके को खाली कर दिया है और सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट हो गए हैं. आलम ये है कि यहां दूर-दूर तक कोई इंसान नजर नहीं आ रहा है. हर तरफ सिर्फ युद्ध के निशान दिखाई पड़ रहे हैं.
बता दें कि युद्ध के बाद से हजारों की तादाद में लोग लेबनान छोड़कर जा रहे हैं. चाहे वो लेबनान के निवासी हों या दूसरे देशों से आए लोग, सभी यहां से निकल रहे हैं. दुनियाभर की अधिकतर उड़ानों ने बेरूत के लिए अपनी फ्लाइट्स रद्द कर दी गई हैं. सिर्फ लेबनान की अपनी एयरलाइन मिडिल ईस्ट एयरलाइन का संचालन जारी है. लेकिन लेबनान छोड़कर जाने वालों की संख्या इतनी ज्यादा है कि मिडिल ईस्ट एयरलाइन लोगों की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रही हैं.
बेरूत की शिप पोर्ट भी लंबे समय से बंद पड़ी है, लेकिन लेबनान से लोगों को निकालने के लिए यह पोर्ट अब शुरू हो गई है. सीरिया के लोगों को भी लेबनान से निकालने के लिए समुद्री जहाज की मदद ली जा रही है. लोगों की तादाद इतनी ज्यादा है कि कुछ लोग समुंद्र के रास्ते तो कुछ लोग फ्लाइट के जरिए बेरूत छोड़ रहे हैं.
बेरूत का नाइटक्लब अब विस्थापित लोगों का बना आश्रय
लेबनान में इजरायली बमबारी से प्रभावित परिवारों ने राजधानी बेरूत के एक मशहूर नाइटक्लब को अपना आश्रय बना लिया है. स्काईबार नाम के इस नाइट क्लब में जहां पहले डांस-पार्टियां हुआ करती थी अब उसे युद्ध में बेघर हुए लोगों के लिए शरणार्थी केंद्र बना दिया गया है. लेबनानी शासन के मुताबिक, 23 सितंबर के बाद से करीब 12 लाख लोग विस्थापित हो गए हैं.
हालांकि, देशभर में 973 शर्णार्थी केंद्र स्थापित किए गए हैं, जिनमें लगभग 180,000 लोग रह रहे हैं, लेकिन ये सभी पहले से ही भरे हुए हैं. कुछ परिवार होटल या किराए के मकानों में रहने का खर्च उठा सकते हैं, लेकिन अन्य लोग खाली भवनों में शरण ले रहे हैं या फिर अपनी गाड़ियों और पार्कों में रहने को मजूबर हैं.