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पाकिस्तान में चीन के खिलाफ क्यों मचा है बवाल? China ने दिया जवाब

चीन की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (China Pakistan Economic Corridor) को लेकर पाकिस्तान के ग्वादर शहर में जमकर विरोध हो रहा है. पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, यह विरोध प्रदर्शन 18 दिनों से जारी है. चीन ने सफाई देते हुए कहा है कि यह विरोध CPEC को लेकर नहीं है.

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सांकेतिक तस्वीर (फोटोः रायटर्स)
सांकेतिक तस्वीर (फोटोः रायटर्स)

पाकिस्तान के ग्वादर में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) प्रोजेक्ट को लेकर हो रहे विरोध प्रर्दशन पर चीन ने सफाई दी है. चीन ने कहा है कि ग्वादर शहर में हो रहे विरोध प्रदर्शन का संबंध सीपीईसी से नहीं है. चीन की ओर से यह बयान ऐसे समय में आया है जब पड़ोसी देश पाकिस्तान में विरोध प्रर्दशन के बीच काम रहे सैकड़ों चीनी कामगारों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई जा रही है. पाकिस्तान के न्यूज चैनल डॉन के अनुसार, ग्वादर में सीपीईसी का विरोध प्रदर्शन 18 दिनों से जारी है. सोमवार को भी इस विरोध प्रदर्शन में 100 से ज्यादा बच्चों ने हिस्सा लिया.

प्रदर्शनकारियों ने दिया अल्टीमेटम 
विरोध कर रहे लोगों की मांग है कि ग्वादर में हो रहे अवैध ट्रालिंग (जाल से मछली पकड़ना) पर जल्द से जल्द प्रतिबंध लगे. प्रदर्शनकारियों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांग एक सप्ताह के अंदर नहीं मानी गई तो वो चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) को रोक देंगे. 

चीन ने क्या कहा?
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने सफाई देते हुए कहा है कि यह सभी खबरें बेबुनियाद हैं. माओ ने कहा कि प्रदर्शनकारियों का विरोध प्रदर्शन चीन या उसके सीपीईसी प्रोजेक्ट से कोई लेना-देना नहीं है. चीन ने इस बात से भी इनकार कर दिया है कि सीपीईसी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे चीनी कामगारों को सुरक्षा के लिए बुलेट प्रुफ जैकट प्रदान की गई है. माओ ने कहा कि हमें इस बात की जानकारी नहीं है. लेकिन दोनों देश इस प्रोजेक्ट के निर्माण में चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए एक दूसरे को सहयोग के लिए तत्पर हैं.

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दूर-दराज से आ रहे हैं प्रदर्शनकारी
पाकिस्तानी न्यूजपेपर द डॉन के मुताबिक, इस विरोध प्रदर्शन का अलग-अलग क्षेत्रों के नागरिकों का भी समर्थन मिल रहा है. विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए तुरबत, पासनी समेत ग्वादर जिले के कई क्षेत्रों के लोग सरकार के खिलाफ मार्च निकाल रहे हैं. प्रदर्शनकारी हाथ में  बैनर और प्लेकार्ड लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सरकार अवैध मछली पकड़ने पर प्रतिबंध के साथ-साथ गैरजरूरी चेक प्वाइंट को खत्म करें.

अपने ही देश में अजनबी की तरह 
ग्वादर के स्थानीय लोगों का कहना है कि सुरक्षा बल उन्हें आने-जाने से रोकते हैं. उन्हें अपने ही देश (ग्वादर) में उनकी गतिविधियों पर सवाल उठाए जाते हैं. कई लोगों का कहना है कि उन्हें अपने ही देश में अजनबी महसूस कराया जाता है. ग्वादर के स्थानीय मछुआरों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार ने बलूचिस्तान तट पर मछली पकड़ने के लिए चीनी मछुआरों को लाइसेंस जारी किया है, जिससे उनकी रोजी-रोटी पर असर पड़ा है. 

भारी-भरकम बजट वाला प्रोजेक्ट 
चीन ने सीपीईसी प्रोजेक्ट पर 60 मिलियन डॉलर का भारी भरकम निवेश किया है. यह प्रोजेक्ट पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और अक्साई चीन जैसे विवादित क्षेत्रों से होकर गुजरता है. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से प्रोजेक्ट गुजरने के कारण भारत हमेशा से इसका विरोध करता रहा है. पाकिस्तान द्वारा इस बंदरगाह को चीन को सौंप देने से चिंता बढ़ गई है. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि कुछ समय बाद ग्वादर चीनी नौसैनिकों का अड्डा बन सकता है. 

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यह प्रोजेक्ट चीन के शिनजियांग प्रांत को ईरान के पास अरब सागर तट पर स्थित ग्वादर पोर्ट से जोड़ता है. इस प्रोजेक्ट की मदद से चीन काराकोरम हाइवे से गुजरते हुए अरब सागर तक पहुंच जाएगी. ग्वादर पोर्ट इस प्रोजेक्ट के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह प्रोजेक्ट का अंतिम बिंदु है. 
 

 

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