बांग्लादेश में शेख हसीना विरोधी छात्र आंदोलन से जन्मी नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) राजनीतिक जमीन तलाशने के लिए संघर्ष करती नजर आ रही है. यह वही पार्टी है जिसके छात्र नेताओं ने मुहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाने की जिद की थी. बांग्लादेश में 12 फरवरी, 2026 को होने वाले राष्ट्रीय चुनावों में एनसीपी को बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और जमात-ए-इस्लामी के इतर देश में तीसरी राजनीतिक शक्ति माना जा रहा था. यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार द्वारा प्रतिबंधित शेख हसीना की अवामी लीग फिलहाल चुनावी दौड़ से बाहर है.
बांग्लादेशी मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, एनसीपी को डिजिटल स्पेस में तो खासी लोकप्रियता मिली, लेकिन जमीनी स्तर पर नहीं. इस स्थिति को भांपने के बाद पार्टी ने कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन करने का फैसला किया. इस प्रक्रिया में एनसीपी आंतरिक कलह में फंस गई है. अब तक तीन प्रमुख छात्र नेताओं ने पार्टी से खुद को अलग कर लिया है. बांग्लादेश की 350 सदस्यों वाली संसद में सभी सीटें लड़ने की बात तो दूर, एनसीपी कट्टरपंथी जमात के साथ महज 30 सीटों पर समझौता कर लिया है.
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इस उभरते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच शीर्ष छात्र नेता महफुज आलम ने नेशनल सिटिजन्स पार्टी (NCP) से खुद को अलग कर लिया है. महफुज आलम ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए साफ लिखा, 'मैं इस NCP का हिस्सा नहीं हूं.' यह पिछले 24 घंटों में NCP से दूसरा हाई-प्रोफाइल अलगाव है. इससे पहले पार्टी की प्रमुख चेहरा डॉ. तसनीम जारा ने इस्तीफा देकर आगामी चुनाव निर्दलीय लड़ने का ऐलान किया था. महफुज आलम को बांग्लादेश का शीर्ष छात्र नेता माना जाता है. अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस उन्हें पिछले वर्ष शेख हसीना की सरकार के खिलाफ हुए छात्र आंदोलन का 'मास्टरमाइंड' बता चुके हैं, जिसके कारण शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा था.
एनसीपी की एक अन्य प्रमुख छात्र नेता नुसरत तबस्सुम ने भी जमात के साथ गठबंधन के पार्टी नेतृत्व के फैसले पर विरोध जताते हुए इस्तीफा दे दिया. वह एनसीपी की जॉइंट कन्वीनर थीं. तबस्सुम ने ऐलान किया कि वह पार्टी की सभी गतिविधियों से खुद को अलग कर रही हैं. नुसरत का कहना है कि जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन नेशनल सिटिजन्स पार्टी के उन सिद्धांतों के खिलाफ हैं, जिसके लिए इसकी स्थापना हुई थी. इस उथल-पुथल ने एनसीपी को दो गुटों में बांट दिया है. एक गुट ने जमात के साथ गठबंधन किया है, जबकि दूसरा गुट खासकर तारिक रहमान के बांग्लादेश लौटने के बाद पैदा हुए अवसर को भांपते हुए बीएनपी से बातचीत कर रहा है.
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इससे पहले एनसीपी के जमात-विरोधी धड़े के प्रमुख नेता मीर अरशदुल हक ने 26 दिसंबर को इस्तीफा दे दिया था. द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक हक पार्टी के संयुक्त सदस्य सचिव और चटगांव शहर इकाई के मुख्य समन्वयक थे. इसके अलावा आरोप लगे हैं कि एनसीपी को गठबंधन में लड़ाई जाने वाली प्रत्येक सीट के लिए जमात 1.5 करोड़ टका देगा. शेख हसीना विरोधी छात्र आंदोलन में शामिल रहे अब्दुल कादेर ने कहा जमात के साथ गठबंधन पर कहा कि एनसीपी ने बांग्लादेश में 'युवा राजनीति की कब्र खोद दी.' एनसीपी का यह संकट बांग्लादेश में छात्र आंदोलन से निकली नई राजनीतिक उम्मीद के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.