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बोटॉक्स अंडर द बुर्का: 'कवर तो करो, मगर खूबसूरत भी दिखो...', नकाब के अंदर छिपी तालिबानी ख्वाहिशों की कहानी!

अफगानिस्तान में तालिबान शासन के तहत महिलाओं को जिम, कॉलेज जैसी जगहों पर जाने से रोका जा रहा है, लेकिन उन्हें बोटॉक्स और फेसलिफ्ट जैसी कॉस्मेटिक प्रक्रियाओं की अनुमति दी जा रही है. तालिबान तुर्की जैसे देशों से ब्यूटी एक्सपर्ट्स को बुला रहा है, जबकि महिलाओं की शिक्षा और सुरक्षा को नजरअंदाज किया जा रहा है.

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ब्यूटी सर्जरी की अनुमति देने वाले तालिबान शासन में भूकंप के दौरान महिलाओं की जान बचाने में सख्त नियम बाधक बन जाते हैं. (File Photo: Reuters)
ब्यूटी सर्जरी की अनुमति देने वाले तालिबान शासन में भूकंप के दौरान महिलाओं की जान बचाने में सख्त नियम बाधक बन जाते हैं. (File Photo: Reuters)

अफगानिस्तान का तालिबान शासन, यूं तो पूरी दुनिया में मानवाधिकार उल्लंघन और मूलभूत अधिकारों के हनन के लिए कुख्यात है. लेकिन अफगान महिलाओं की स्थिति खासतौर पर चिंताजनक है. अफगानिस्तान में महिलाओं को एक ओर जिम, पार्क या कॉलेज जाने की अनुमति नहीं है लेकिन दूसरी ओर उन्हें फेसलिफ्ट और बोटॉक्स कराने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. तालिबान चाहता है कि महिलाएं पूरी तरह ढकी रहें, लेकिन साथ ही वे उनके लिए सुंदर भी दिखें.

यह बेहद अजीबोगरीब स्थिति है क्योंकि महिलाएं डॉक्टर बनने के लिए पढ़ाई नहीं कर सकतीं, और देश के ज्यादातर डॉक्टर पुरुष हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि इन महिलाओं को बोटॉक्स कौन दे रहा है?

Taliban is finding loophole to make sure afghan women can get botox

विदेशों से ब्यूटी एक्सपर्ट्स को बुला रहा तालिबान

इसका जवाब खुद तालिबान के पास है. तालिबान तुर्की जैसे देशों से कॉस्मेटिक एक्सपर्ट्स को अफगानिस्तान बुला रहा है. कुछ अफगान डॉक्टर, जिन्होंने विदेश में ट्रेनिंग ली थी, वे भी लौटकर इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं. यानी, दुनिया के सबसे सख्त इस्लामी शासन में भी फेसलिफ्ट, हेयर ट्रांसप्लांट और लिप फिलर जैसी चीजें हो रही हैं.

'खूबसूरती' के लिए नियमों में ढील, लेकिन बचाव में बेरुखी

विडंबना देखिए, तालिबान अपने ही बनाए नियमों में इतनी ढील तो दे देता है कि महिलाएं सिर्फ उनकी नजरों के लिए सुंदर दिखें, लेकिन जब हाल में आए भीषण भूकंप में सैकड़ों महिलाएं मलबे में दबीं, तब उन्हें कोई राहत नहीं मिली. दरअसल तालिबान के सख्त कानूनों के अनुसार, पुरुष किसी भी ऐसी महिला को नहीं छू सकते जो उनकी पत्नी न हो. नतीजा यह हुआ कि राहत और बचाव कार्य के दौरान कई महिलाओं की जान चली गई.

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तो सवाल यह है कि जब तालिबान कॉस्मेटिक सर्जरी के लिए 'धार्मिक अपवाद' निकाल सकता है, तो महिलाओं की जान बचाने के लिए क्यों नहीं? यही तालिबान का असली चेहरा है, जहां महिलाओं की खूबसूरती उनकी जान से ज्यादा मायने रखती है.

Taliban women

(फोटो: AP)

सजने की इजाजत, जीने की नहीं

अफगान महिलाएं ऐसी दुनिया में जी रही हैं जहां उनका रूप-रंग शासन की मंजूरी पर निर्भर है. वे स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर सकतीं, अकेले सफर नहीं कर सकतीं, सार्वजनिक रूप से एक्सरसाइज नहीं कर सकतीं. उनकी शिक्षा रुकी हुई है, उनकी आवाज दबा दी गई है, लेकिन उनके चेहरे और दिखावे पर शासन की पैनी नजर बनी हुई है.

तालिबान का यह दोहरापन डराने वाला है. महिलाएं सुंदर तो हो सकती हैं, पर सुरक्षित नहीं. उन्हें संवारा जा सकता है, लेकिन सशक्त नहीं किया जा सकता. वे आईने में देखी जा सकती हैं, लेकिन संकट के समय नजरअंदाज कर दी जाती हैं.

taliban women

(फोटो: Pexels)

आधुनिक अफगानिस्तान का कड़वा सच

आज का अफगानिस्तान एक ऐसा मुल्क बन गया है जहां महिलाओं को बोटॉक्स और फेसलिफ्ट की इजाजत है, लेकिन उनके पास शिक्षा, रोजगार और स्वतंत्रता का अधिकार नहीं है. यह वही मुल्क है जहां सौंदर्य को धर्म का अपवाद बना दिया गया है, और जीवन को एक अपराध.

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तालिबान के शासन में महिलाएं एक ऐसे समाज में जीने को मजबूर हैं, जहां उनकी सुंदरता 'राजनीति का हिस्सा' है, उनका शरीर 'नियंत्रित' है, और उनकी जिंदगी प्राथमिकता की सूची में दूसरे नंबर पर आती है. इस क्रूर सच्चाई में शायद यही सबसे बड़ा व्यंग्य है कि अफगानिस्तान में आज 'बोटॉक्स लेना सुरक्षित है, लेकिन भूकंप से बचना नहीं'.

(रिपोर्ट: ऋषिका आराध्या)

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