उत्तर प्रदेश में SIR के डिजिटाइजेशन का 99.24 काम पूरा हो गया है लेकिन सिर्फ 80.85 गणना प्रपत्र ही वापस आ पाए है. सूबे में सबसे ज्यादा 1 करोड़ 27 लाख लोग अस्थाई रूप से स्थानांतरित हो चुके हैं, यह लोग अपने पते पर नहीं मिले हैं. करीब तीन फीसदी लोग मृत पाए गए हैं और यह संख्या करीब 46 लाख की है. 23.69 लाख डुप्लीकेट वोटर पाए गए हैं, जो पहले से कहीं ज्यादा मतदाता है. करीब 84 लाख से ज्यादा मतदाता अनुपस्थित पाए गए हैं.
चुनाव आयोग ने बताया कि 76 फीसदी से ज्यादा गणना प्रपत्रों का मैपिंग हो चुका है, लेकिन अभी भी वोटरों की खोज हो रही है.
मुख्य चुनाव अधिकारी ने चुनाव आयोग से दो हफ्ते का और वक्त मांगा है क्योंकि 2 करोड़ 91 लाख लोगों SIR फॉर्म डिटेक्टेबल यानी असंगृहित श्रेणी के हैं और अभी भी खोज हो रही है.
क्या बीजेपी के लिए चिंता की बात?
उत्तर प्रदेश में जब से SIR शुरू हुआ है, डुप्लीकेट रजिस्ट्रेशन के खिलाफ कार्रवाई सख्त हो गई है और अब वोटरों को सिर्फ़ एक ही जगह रजिस्टर होना ज़रूरी है. बड़ी संख्या में शहरी वोटरों ने गांव की वोटर लिस्ट में अपना नाम रखने को प्राथमिकता दी है. नतीजतन, कई शहर के निवासियों ने शहरी इलाकों में अपने SIR फॉर्म जमा नहीं किए हैं, जिसका मतलब है कि वे शहर की वोटर लिस्ट से पूरी तरह गायब हैं.
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बीजेपी इस खतरे को पहचानती है. उसका पारंपरिक शहरी वोट बैंक तेज़ी से कम हो सकता है. प्रॉपर्टी रिकॉर्ड और पंचायत चुनावों से जुड़े मुद्दों के कारण, कई लोग उन शहरों के बजाय अपने पैतृक गांवों में रजिस्टर्ड रहना पसंद करते हैं, जहां वे अभी रहते हैं. यह ट्रेंड लखनऊ, वाराणसी, गाजियाबाद, नोएडा, आगरा, मेरठ और अन्य टियर-2 शहरों में शहरी वोटर लिस्ट में कटौती कर रहा है, जिससे पार्टी के अंदर चिंता बढ़ गई है.
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सूत्रों के अनुसार, अयोध्या में लगभग 4,100 वोट और लखनऊ में लगभग 2.2 लाख वोट हटाए जा रहे हैं. प्रयागराज में सबसे ज़्यादा करीब 2.4 लाख वोट हटाए जा रहे हैं, खासकर इलाहाबाद नॉर्थ, इलाहाबाद साउथ और इलाहाबाद कैंटोनमेंट में ये तादाद ज्यादा है. गाजियाबाद में करीब 1.6 लाख वोटर और सहारनपुर में लगभग 1.4 लाख वोटर हटाए जा सकते हैं.
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