ये घटना हापुड़ जिले की धौलाना तहसील की है. यहां मां से विरासत में मिली जमीन को अपने नाम कराने के लिए ढाई साल से तहसील के चक्कर काट रहे किसान की हार्ट अटैक से मौत हो गई. किसान की मौत के बाद गुस्साए परिजनों और ग्रामीणों ने एसडीएम कार्यालय के बाहर शव रखकर प्रदर्शन किया. इसी के साथ भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की.
मृतक किसान के भाई सुभाष ने कहा कि उनकी मां बीमो देवी का निधन ढाई साल पहले हो गया था, जिसके बाद चारों भाइयों ने विरासत के आधार पर जमीन अपने नाम दर्ज कराने के लिए आवेदन किया था. लेकिन तहसील के कानूनगो रामकिशोर और उनके सहायक पवन ने नामांतरण कराने के लिए लगभग दो लाख रुपये रिश्वत मांगी.
पीड़ित परिवार का आरोप है कि बड़ी रकम देने के बावजूद भी उनकी खेत की भूमि खतौनी में दर्ज नहीं की गई. लगातार दौड़-धूप, उत्पीड़न और मानसिक तनाव ने किसान की सेहत को इतना खराब कर दिया कि आखिरकार उसने दम तोड़ दिया.

परिजनों का कहना है कि मृतक किसान दो साल से तहसील के चक्कर काटते-काटते टूट चुका था. विभागीय लापरवाही और भ्रष्टाचार ने उसे धीरे-धीरे अंदर से खत्म कर दिया. मृतक के भाई ने मांग की कि आरोपी अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया जाए और परिवार को उचित मुआवजा मिले.
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घटना की सूचना मिलते ही प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे. एसडीएम मनोज कुमार ने मृतक किसान के परिजनों से बात कर उन्हें शांत कराने का प्रयास किया. उन्होंने तत्काल प्रभाव से मृतक के नाम विरासत की खतौनी जारी करवाई, जिसके बाद ग्रामीणों शांत हुए. हालांकि ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि कानूनगो रामकिशोर और उनके सहायक पवन पर कार्रवाई नहीं हुई, तो वे उग्र आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे.
इस मामले को लेकर एडीएम संदीप कुमार ने कहा कि मृतक किसान की विरासत दर्ज कर ली गई थी, लेकिन खतौनी लॉक होने के कारण उसका नाम दर्ज नहीं हो पाया था. भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच एसडीएम को सौंप दी गई है और जांच रिपोर्ट के आधार पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.