गौतमबुद्ध नगर के डीएम मनीष वर्मा ने बुधवार को सुपरटेक ऑफिस के खिलाफ बड़ी कार्रवाई कर दी. जिला प्रशासन ने सेक्टर 96 में सुपरटेक ऑफिस का मुख्य कार्यालय सील कर दिया. दरअसल सुपरटेक टाउनशिप प्रोजेक्ट लिमिटेउ पर रेरा का 33 करोड़ 56 लाख रुपये बकाया था. इस संबंध में सुपरटेक को कई बार नोटिस भी जारी किए गए थे लेकिन बिल्डर ने इसे गंभीरता से नहीं लिया था. मुनादी के बाद भी जब बिल्डर ने राशि जमा नहीं करवाई तो जिला प्रशासन ने यह कार्रवाई कर दी.
एसडीएम का कहना है कि सुपरटेक लिमिटेड पर नहीं सुपरटेक टाउनशिप प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड के दफ्तर को सील किया गया है, जिसपर कोई IRP नहीं है. बकाया रकम की वसूली के लिए रेरा ने रिकवरी सर्टिफिकेट (RC) जारी किया था. RC जारी होने के 15 दिनों के बाद भी अगर बकाया रकम नहीं चुकाई जाती है तो फिर जिला प्रशासन के पास प्रॉपर्टी को सील करने का अधिकार होता है. इसके साथ ही डिफॉल्टर बिल्डर को गिरफ्तार भी किया जा सकता है. गिरफ्तारी की कार्रवाई के बाद बकायेदार की संपत्ति सील करके बकाया वसूलने की कार्रवाई की जा सकती है.
जिला प्रशासन-आईआरपी आमने-सामने
इस कार्रवाई के बाद अब जिला प्रशासन और आईआरपी आमने-सामने आ गए हैं. वहीं सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आरके अरोड़ा ने जिला प्रशासन की इस कार्रवाई को अवैध बताया है. उन्होंने कहा कि ऑफिस सुपरटेक लिमिटेड का है. कंपनी सुपरटेक लिमिटेड एनसीएलटी के आदेश के अनुसार आईबीसी और आईआरपी के नियंत्रण में है. मोरेटोरियम आईबीसी के अनुसार लागू है.
दरअसल सुपरटेक ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया है. दिवालिया हो चुके प्रोजेक्ट में NCLT के आदेश के बाद IRP नियुक्त किया जाता है और इस प्रोजेक्ट के समाधान के लिए 180+90 (270) दिन का समय मिलता है. इस दौरान किसी तरह के दूसरे मुकदमे और कानूनी कार्रवाई पर स्वत: रोक लग जाती है. इस आधार पर IRP ने जिला प्रशासन की कार्रवाई का विरोध किया, लेकिन जिला प्रशासन ने IRP की एक नहीं सुनी और सुपरटेक के सेक्टर 96 के दफ्तर को सील कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट जाएंगे आईआरपी
IRP ने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर सुपरटेक लिमिटेड के ऑफिस की सील खोलने के लिए कहा है. उसने कहा कि अगर लेटर पर सुनवाई नहीं हुई तो वह सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे.
(रिपोर्ट भूपेंद्र चौधरी)