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रेहड़ी-पटरी पर नेमप्लेट वाले आदेश का वर्जन-2... योगी सरकार के ढाबों-रेस्टोरेंट में पुलिस वेरिफिकेशन के आदेश को समझिए

दरअसल, हाल ही में खान-पान की वस्तुओं में मिलावट की घटनाएं तेजी से सामने आई हैं. गाजियाबाद में जूस की एक दुकान में यूरिन रखा मिला. आरोप था कि दुकानदार जूस में यूरिन मिलाता था. 12 सितंबर को सहारनपुर जिले में एक भोजनालय में रोटियां बनाते समय एक किशोर द्वारा उन पर थूकने का कथित वीडियो वायरल हुआ था.

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यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ.
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ.

उत्तर प्रदेश में नेमप्लेट फिर चर्चा में है. योगी सरकार ने अब ढाबों और रेस्टोरेंट में पुलिस वेरिफिकेशन के आदेश दिए हैं और उनके संचालक, मालिक और मैनेजर आदि के नाम-पते के बोर्ड लगाने के लिए कहा है. सरकार ने साफ किया है कि जिस रेस्टोरेंट या ढाबे में अपशिष्ट मिलाए जाने का मामला सामने आता है तो उसके संचालक के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाए. योगी सरकार के इस नए आदेश को रेहड़ी-पटरी पर नेमप्लेट वाले आदेश का वर्जन-2 माना जा रहा है. उस समय (दो महीने पहले) कांवड़ यात्रा के दौरान यह आदेश निकाला गया था. उसके बाद इसे पूरे प्रदेश में लागू कर दिया था. हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी.

दरअसल, हाल ही में खान-पान की वस्तुओं में मिलावट की घटनाएं तेजी से सामने आई हैं. गाजियाबाद में जूस की एक दुकान में यूरिन रखा मिला. आरोप था कि दुकानदार जूस में यूरिन मिलाता था. 12 सितंबर को सहारनपुर जिले में एक भोजनालय में रोटियां बनाते समय एक किशोर द्वारा उन पर थूकने का कथित वीडियो वायरल हुआ था. मामले में रेस्टोरेंट के मालिक की गिरफ्तारी हुई थी. जून में नोएडा में दो लोगों को थूक से दूषित जूस बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. इन मामलों में सरकार ने सख्ती बरतने के निर्देश दिए. अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम में बदलाव करने के निर्देश दिए हैं.

अभी मुख्यमंत्री ने क्या आदेश दिए हैं?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को खान-पान की वस्तुओं में अपशिष्ट/गंदी चीजों की मिलावट करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. सरकार का कहना है कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में घटीं ऐसी घटनाओं का संज्ञान लिया गया है. लखनऊ में एक उच्च स्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी होटलों/ढाबों/रेस्टोरेंट समेत अन्य प्रतिष्ठानों की गहन जांच और सत्यापन के भी निर्देश दिए हैं. उन्होंने आम जन की स्वास्थ्य सुरक्षा को देखते हुए नियमों में जरूरत अनुसार संशोधन के भी निर्देश दिए.

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सरकार ने क्यों यह आदेश दिए?

सरकार का कहना है कि हाल के दिनों में देश के विभिन्न क्षेत्रों में जूस, दाल और रोटी जैसी खान-पान की वस्तुओं में मानव अपशिष्ट/ अखाद्य/ गंदी चीजों की मिलावट की घटनाएं देखने को मिली हैं. ऐसी घटनाएं वीभत्स हैं और आम आदमी के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली हैं. ऐसे कुत्सित प्रयास कतई स्वीकार नहीं किया जा सकते. उत्तर प्रदेश में ऐसी घटनाएं ना हों, इसके लिए ठोस प्रबंध किए जाने जरूरी हैं.

अब क्या जरूरी हो जाएगा?

- ढाबों/रेस्टोरेंट आदि खान-पान के प्रतिष्ठानों की जांच की जाएगी. प्रदेशव्यापी सघन अभियान चलाया जाएगा. इन प्रतिष्ठानों के संचालक समेत वहां कार्यरत सभी कर्मचारियों का सत्यापन किया जाएगा. खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, पुलिस और स्थानीय प्रशासन संयुक्त टीम की तरफ से यह कार्यवाही जल्द ही पूरी की जाएगी.
- खान-पान के प्रतिष्ठानों पर संचालक, प्रोपराइटर, मैनेजर आदि के नाम और पता प्रमुखता से डिस्प्ले किए जाएंगे. इस संबंध में खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम में जरूरत अनुसार संशोधन भी किया जाएगा.
- ढाबे/होटलों/रेस्टोरेंट आदि खान-पान के प्रतिष्ठानों में सीसीटीवी की व्यवस्था होनी चाहिए. ना सिर्फ ग्राहकों के बैठने के स्थान पर बल्कि प्रतिष्ठान के अन्य हिस्सों को भी सीसीटीवी से कवर होना चाहिए. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हर प्रतिष्ठान संचालक सीसीटीवी की फीड को सुरक्षित रखा जाए और जरूरत पड़ने पर पुलिस/स्थानीय प्रशासन को उपलब्ध कराएगा.
- खान पान के केंद्रों पर साफ-सफाई होनी चाहिए. यह सुनिश्चित कराया जाएगा कि खाद्य पदार्थों को तैयार करने और सर्विस के समय संबंधित व्यक्ति मास्क/ग्लव्स का उपयोग जरूर करता हो. इसमें किसी प्रकार की लापरवाही नहीं होनी चाहिए.
- आम जन के स्वास्थ्य हितों से किसी भी प्रकार का खिलवाड़ नहीं किया जा सकता है. ऐसा प्रयास करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी. खाद्य पदार्थों को बनाने, बेचने अथवा अन्य संबंधित गतिविधियों से जुड़े नियमों को व्यवहारिकता का ध्यान रखते हुए और सख्त किया जाएगा. नियमों की अवहेलना पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए.

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मंत्री बोले- पहचान छिपाने से क्या फायदा?

आयुष, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर मिश्र 'दयालु' ने कहा, आदेश जारी किया गया है कि सभी दुकानों की जांच की जाएगी. सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. भोजनालयों के कर्मचारी मास्क और दस्ताने पहनें. अपनी पहचान छुपाने से क्या फायदा? वहीं, विपक्षी दलों ने सरकार के इस कदम की आलोचना की है.

सपा बोली- मंशा सही है तो कैंटीन खोले सरकार

लखनऊ मध्य से सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा ​​ने कहा, इस कदम का मकसद दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की बिक्री कम करना है. इसलिए यह तानाशाही कदम उठाया गया है. उन्होंने कहा, 2022 के विधानसभा चुनावों में सपा ने वादा किया था कि वो 'समाजवादी' कैंटीन लाएगी, जहां 10 रुपये प्रति प्लेट पर स्वच्छ और पर्याप्त भोजन खरीदा जा सकेगा. अगर सीएम की मंशा सही है तो दुकानें और ढाबे खोलने चाहिए, जहां एक व्यक्ति को 10 रुपये में भरपेट भोजन मिल सके.

पहले पैसे लेने की गलत प्रथा बंद की जाए

यूपी कांग्रेस प्रमुख अजय राय ने कहा, होटल/भोजनालय मालिक की नेमप्लेट में जीएसटीआईएन नंबर में पहले से ही सभी विवरण होते हैं और ये सरकार के पास है. जहां तक ​​​​खाद्य वस्तुओं का सवाल है, उनकी जांच होनी चाहिए. हर दुकान से हर महीने पैसे लेने की गलत प्रथा को सबसे पहले ठीक किया जाना चाहिए.

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यूपी सरकार ने दो महीने पहले क्या आदेश दिए थे?

दरअसल, जुलाई में यूपी की मुजफ्फरनगर पुलिस ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी भोजनालयों को अपने मालिकों की नेमप्लेट लगाने के निर्देश दिए थे. बाद में उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य में इस आदेश को लागू कर दिया था. सरकार ने तर्क दिया था कि इसका उद्देश्य कांवड़ियों द्वारा खाए जाने वाले भोजन के संबंध में पारदर्शिता को बढ़ावा देना है. हालांकि, एक वर्ग ने आलोचना की और विपक्ष भी हमलावर हो गया. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने यूपी सरकार के आदेश पर रोक लगा दी. 

इससे पहले विपक्ष ने आरोप लगाया कि ये आदेश सांप्रदायिक और विभाजनकारी है और इसका उद्देश्य मुसलमानों और अनुसूचित जातियों (एससी) को उनकी पहचान बताने के लिए मजबूर करके उन्हें निशाना बनाना है. हालांकि, बीजेपी ने कहा कि यह कदम कानून-व्यवस्था के मुद्दों और तीर्थयात्रियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है.

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