उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले से गुजरने वाले कानपुर-सागर हाईवे पर पड़ने वाले यमुना पुल की मरम्मत के लिए शनिवार व रविवार को सभी तरह के वाहनों का आवागमन पूरी तरह से प्रतिबंधित रहता है. लेकिन ऐसा मालूम पड़ता है कि यह नियम सिर्फ आम आदमी पर लागू होता है, माननीय और वीआईपी पर नहीं. इस पुल पर यातायात प्रतिबंधित रहने के दौरान इंसानियत को शर्मसार करने वाली एक ऐसी ही तस्वीर सामने आई है. हमीरपुर प्रशासन ने शनिवार को एक शव वाहन को पुल पार नहीं करने दिया, इसी दौरान हमीरपुर सदर से विधायक मनोज प्रजापति की गाड़ी पुल पर फर्राटा भरते नजर आई. इससे प्रशासन का दोहरा चरित्र उजागर हो गया.
हमीरपुर में यमुना पुल पर वर्तमान में हर शनिवार और रविवार को मरम्मत का काम चलता है. इस कारण शनिवार सुबह छह बजे से रविवार रात 12 बजे तक वाहनों की आवाजाही इस पुल पर बंद कर दी जाती है. ट्रैफिक डायवर्जन सुनिश्चित करने के लिए पुल के पास तैनात पुलिस कर्मियों ने शनिवार सुबह 6:30 बजे के करीब हमीरपुर सदर से भाजपा विधायक मनोज प्रजापति की कार को जाने दिया, वहीं 9:30 बजे के करीब कानपुर की तरफ से आए एक शव वाहन को यमुना पुल पर एंट्री नही दी गई. स्वजन प्रशासन के सामने गिड़गिड़ाए लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी. मजबूरी में बेटा अपनी मां के शव को स्ट्रेचर में लादकर पैदल ही चल पड़ा.
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थाना सुमेरपुर के टेढ़ा गांव निवासी बिंदा ने बताया कि उनकी मां शिव देवी का पैर फैक्चर हो गया था, जिसके चलते कानपुर में उन्हें भर्ती कराया गया था. शनिवार की सुबह इलाज दौरान उनकी मौत हो गई. बिंदा सुबह अपनी मां के शव को एंबुलेंस में लेकर हमीरपुर आ रहे थे, लेकिन यमुना पुल पर वाहन को एंट्री नहीं दी गई. इस कारण मजबूरी में वह एंबुलेंस ड्राइवर के सहयोग से अपनी मां के शव को स्ट्रेचर में लादकर करीब एक किलोमीटर पैदल चलकर नदी के दूसरे छोर पर आए. बाद में ऑटो में शव रखकर अपने गांव ले गए. इस तस्वीर ने पुल से गुजरने वाले हर शख्स के दिल को झकझोर दिया.
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हमीरपुर सदर विधायक मनोज प्रजापति ने यमुना पुल पर आवागमन बंद रहने के दौरान अपनी गाड़ी निकालने के मामले में कहा कि जब वह पुल पार कर रहे थे, तब यातायात पूरी तरह बंद नहीं किया गया था, इसलिए उनकी गाड़ी निकल गई. बीते 21 जून को प्रमुख सचिव का काफिला भी पुल बंद होने के दौरान गुजरा था. इस मामले पर विपक्षी दलों ने सूबे की भाजपा सरकार पर निशाना साधा है. समाजवादी पार्टी ने X पर एक पोस्ट में लिखा, 'भाजपा सरकार में जनता बेबस और मजबूर. हमीरपुर में योगी सरकार के तन्त्र ने फिर मानवता को किया शर्मसार. जहां एक तरफ मरम्मत के लिए बंद यमुना पुल पर लाश वाली एंबुलेंस को जाने से रोका तो बेटे को मां का शव स्ट्रेचर पर ले जाना पड़ा. वहीं दूसरी तरफ भाजपा सरकार के विधायक की कार का उसी बंद पुल गुजरना बेहद शर्मनाक. जनता जवाब देगी.'
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कांग्रेस ने X पर लिखा, 'यूपी के हमीरपुर में एक पुल की मरम्मत का काम चल चल रहा था. इस वजह से पुल को बंद कर दिया गया था और नो एंट्री का बोर्ड लगाकर बैरिकेडिंग लगा दी गई थी. इसी दौरान एक BJP विधायक की गाड़ी वहां आकर रुक गई. धड़ाधड़ बैरिकेडिंग हटाई गई और उनकी गाड़ी को उस पुल से जाने दिया गया, जहां नो एंट्री का बोर्ड लगा था. लेकिन... जब इसी बीच एक एंबुलेंस वहां आकर रुकी, तो उसे आगे जाने से रोक दिया गया. एंबुलेंस में एक महिला का शव था. उनके बेटे अधिकारियों के सामने गिड़गिड़ाते रहे कि शव वाहन को जाने दिया जाए, लेकिन किसी ने उनकी एक न सुनी. आखिर में थक-हारकर बेटों ने मां के शव को स्ट्रेचर पर रखा और पैदल ही करीब एक किलोमीटर तक पुल पर चलते रहे. ये घटना BJP की सरकारों में उस मानसिकता का सबूत है- जहां सत्ता के नशे में चूर नेता खुद को 'राजा' समझते हैं, उन्हें जनता के दुख-दर्द, परेशानियों से कोई फर्क नहीं पड़ता. शर्मनाक!'
(इनपुट : नाहिद अंसारी)