यूपी के झांसी में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत हुए भव्य समारोह में 283 जोड़ों की शादी कराई गई. बाहर से सब कुछ सुनियोजित दिखा, लेकिन मंडप के अंदर की हकीकत चौंकाने वाली थी. कई जोड़ों ने न सात फेरे लिए और न ही मांग में सिंदूर भरा गया. सरकारी 'लाभ' (1 लाख रुपये की सहायता) के लालच में कई शादियां दोबारा रचाई गईं, जबकि कुछ जोड़े मीडिया के सवाल सुनते ही भाग खड़े हुए.
बिना फेरे, बिना सिंदूर ही पूरी हुई शादी!
सामूहिक विवाह समारोह का बाहरी दृश्य भव्य था, लेकिन अंदर का नजारा अलग था. 247 हिंदू और 36 मुस्लिम जोड़ों ने भाग लिया. कई दूल्हे-दुल्हन न तो सात फेरे ले रहे थे और न ही दुल्हन की मांग में सिंदूर भरा जा रहा था. दुल्हन नेहा राजपूत ने बताया, "पंडित जी ने न ही मांग भराई न ही फेरे लगवाए."
रुचि और राहुल जैसे जोड़े तो सवाल सुनते ही मौके से भाग गए. पंडित सत्यम सोनाकिया ने बताया कि कुछ शादियां सम्पन्न हुईं, जबकि आधा विवाह हुआ आधे में लोग भाग गए.
₹1 लाख के लालच में 5 महीने बाद दोबारा शादी
सूत्रों के अनुसार, अधिकांश जोड़ों की असली शादी कुछ दिनों बाद होनी है, लेकिन वे सरकारी योजना का लाभ पाने के लिए इस समारोह में शामिल हुए. हद तो तब हुई जब अशोक और रजनी नामक एक जोड़े का 5 महीने पहले (11 मई 2025) हुई शादी का कार्ड सामने आया. सरकारी पैसे की लालच में इन्होंने दोबारा शादी रचाई. रजनी के माता-पिता ने पहले शादी कल ही होने की बात कही, लेकिन कार्ड देखने पर उनकी बोलती बंद हो गई. बताया जा रहा है कि 7 से 8 जोड़े ऐसे थे जिनकी शादी पहले हो चुकी थी.
अधिकारी का 'नियमों के अनुसार' वाला जवाब
जिला समाज कल्याण अधिकारी ललिता यादव ने इसे 'गरीब परिवारों के लिए वरदान' बताया. उन्होंने 1 लाख की सहायता राशि का जिक्र किया, जिसमें 60000 नकद और 25000 का सामान (कपड़े, बर्तन, गहने) मिलता है. जब उनसे रस्में पूरी न होने पर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, "यहां सब कुछ नियमों के अनुसार हो रहा है, सभी कन्याओं की मांग भरी जा रही है." हालांकि, बाद में मीडिया रिपोर्ट सामने आने पर आनन-फानन में रस्में पूरी कराई गईं, लेकिन फिर भी कई जोड़े बिना रस्में पूरी किए ही चले गए.