
वाराणसी के घाटों पर जहां एक ओर सुबह की आरती और गंगा स्नान की परंपरा रही है, वहीं इस वक्त वही गंगा, बर्बादी की तस्वीर बनी हुई है. गंगा का जलस्तर भले ही धीरे-धीरे कम हो रहा है, लेकिन तटवर्ती इलाके अब भी पूरी तरह डूबे हुए हैं. बाढ़ के पानी ने न केवल घरों को निगल लिया है, बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी को भी पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है.
सैकड़ों परिवारों के घर गंगा और वरुणा की बाढ़ में डूबे हुए हैं. कुछ ने राहत शिविरों में शरण ली है, लेकिन बड़ी तादाद अब भी घरों में फंसी हुई है, बिना किसी मदद और बिना किसी उम्मीद के.
कमरभर पानी से गुजरती दिखी शवयात्रा
वाराणसी की वरुणा नदी के किनारे बसी गरीब बस्ती शैलपुत्री-अमरपुर मड़िया इस वक्त बाढ़ की सबसे भयानक मार झेल रही है. वहां सन्न कर देने वाली तस्वीर देखने को मिली. कमर भर बाढ़ के पानी में से एक शवयात्रा निकल रही थी. 80 वर्षीय शोभना देवी का निधन हो गया था और परिजनों के पास कोई और रास्ता नहीं था. वे शव को कांधा देकर उसी पानी में से अंतिम यात्रा पर ले जा रहे थे.

'रोज दुकान लगानी है साहब, वरना भूखे मरेंगे'
वहीं उसी बस्ती के रहने वाले सुभाष कुमार अपने ठेले से गोलगप्पे की रहड़ी लेकर बाढ़ के पानी में से निकलते नजर आए. उन्होंने बताया, 'हर दिन यही हाल है. सुबह कमर भर पानी में से ठेला लेकर निकलते हैं, दुकान लगाते हैं, शाम को फिर ऐसे ही लौटते हैं. कोई सुविधा नहीं है. लेकिन काम नहीं करेंगे तो खाएंगे क्या?'
घर में बीमार पत्नी, बूढ़ी मां, लेकिन नहीं जा सकते शिविर
एक अन्य निवासी ने बताया कि वे बाढ़ राहत शिविर नहीं जा सकते क्योंकि उनके घर में बीमार पत्नी और बुजुर्ग मां हैं. उन्होंने कहा, 'चोरी का डर है. पिछले साल घर छोड़ा था, सब सामान गया. अब तो चाहे पानी चढ़े या घटे, यहीं रहना है. अब तक कोई राशन, कोई दवा, कोई सहायता नहीं पहुंची है.'

'ताले टूट जाएंगे इसलिए घर नहीं छोड़ते'
बस्ती की ही बुजुर्ग महिला फूलमती देवी ने कहा कि वे घर में ही डटी हैं क्योंकि जैसे ही घर से हटेंगी, चोर ताले तोड़ देंगे. उन्होंने आगे कहा, 'दो बार ऐसा हो चुका है. अब डर लगता है. कोई माइक से राहत बांटने की भी घोषणा नहीं हुई. हमें तो किसी ने पूछा तक नहीं.'
महिलाएं टकटकी लगाए देख रही हैं गंगा की धार
बाढ़ प्रभावित महिलाएं दरवाजे की चौखट पर बैठकर हर गुजरते पल के साथ यही पूछती हैं, 'अब कितना पानी घटा?, आज रात और बढ़ेगा क्या?' जैसे सवाल उनकी चिंता और असहायता को बयां करते हैं. उनके घरों के निचले तल डूब चुके हैं, कुछ परिवार किराये के झोपड़े में शरण लिए हुए हैं, लेकिन राहत सामग्री कहीं नहीं है.

बाढ़ राहत न मिलने पर नाराज़गी
बाढ़ प्रभावितों में प्रशासन के प्रति गहरा रोष है. लोग कह रहे हैं कि टीवी पर दावा किया जाता है कि राशन बंट रहा है, लेकिन हम तक कुछ नहीं आया. किसी के पास माचिस तक नहीं बची. बाढ़ राहत शिविरों में जिनके नाम नहीं चढ़े, उन्हें बाहर से भगा दिया गया. वहीं जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने बताया कि सोमवार सुबह 10 बजे गंगा का जलस्तर 72.10 मीटर रिकॉर्ड किया गया है, जो कि खतरे के निशान से करीब 80 सेंटीमीटर ऊपर है. उन्होंने बताया, शहर के 28 वार्ड बाढ़ प्रभावित हैं. 24 राहत शिविर चलाए जा रहे हैं. अब तक 4,500 से अधिक लोग इन शिविरों में शरण लिए हुए हैं. प्रशासन घर-घर राशन पहुंचाने की व्यवस्था में जुटा है. रिलीफ और रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है. गंगा में जलस्तर घट रहा है. जल्द ही स्थिरता आएगी.