लखनऊ की भारतीय शिक्षा परिषद यूनिवर्सिटी एक बार फिर गंभीर आरोपों और जांच के घेरे में है. यह यूनिवर्सिटी पहले भी विवादों में रही है और यूजीसी द्वारा बैन की जा चुकी है, लेकिन आजतक की पड़ताल में सामने आया है कि यह यूनिवर्सिटी अब भी ऑनलाइन संचालित हो रही है. इससे भी गंभीर बात यह है कि इस यूनिवर्सिटी का लिंक कई बड़े आतंकी मामलों से भी जुड़ा रहा है.
जानकारी के अनुसार, 2006 में मुंबई सीरियल ट्रेन ब्लास्ट में शामिल आतंकी अताउल राहिल ने इसी फर्जी यूनिवर्सिटी से डिग्री बनवाकर अपनी पहचान तैयार की थी. जांच एजेंसियों का कहना है कि आतंकियों ने दिल्ली और मुंबई ब्लास्ट जैसे मामलों में भी इसी यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्रियों का इस्तेमाल किया था. इसके बावजूद शिक्षा माफिया आज भी इसे ऑनलाइन चला रहे हैं.
बैन यूनिवर्सिटी ऑनलाइन संचालित हो रही हैं
लखनऊ के चिनहट मटियारी में इस यूनिवर्सिटी का हेड ऑफिस बताया गया है, लेकिन जब आजतक की टीम यहां पहुंची तो वहां कोई यूनिवर्सिटी मौजूद नहीं मिली. स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां पुलिस अक्सर आती रहती है और एक महीने पहले भी कर्नाटक पुलिस जांच के लिए पहुंची थी. लोगों का कहना है कि इस जगह का लिंक टेरर गतिविधियों से जुड़ा हुआ है.
आजतक की जांच में यह भी सामने आया कि इस यूनिवर्सिटी पर पूरे देश में 1300 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं. इसके बावजूद इसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर सक्रिय पाया गया. यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर दिए गए पते पर जब टीम पहुंची तो वहां कोई भी ऐसा कार्यालय नहीं मिला, जबकि ऑनलाइन इसे वैध और सक्रिय संस्था की तरह दिखाया जा रहा है.
यूनिवर्सिटी पर पूरे देश में 1300 से अधिक मुकदमे दर्ज
जांच के दौरान यह भी पाया गया कि इस यूनिवर्सिटी के संस्थापक विजय अग्रवाल को ATS ने 2006 और फिर 2007 में गिरफ्तार किया था. उन पर आरोप था कि उनकी संस्था द्वारा जारी फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर कई आतंकियों ने पासपोर्ट तक बनवा लिए थे. गिरफ्तारी के बाद विजय अग्रवाल बेल लेकर फरार हो गए थे. बाद में उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई.
अब वही यूनिवर्सिटी उनका बेटा अजय अग्रवाल चला रहा है. यह यूनिवर्सिटी पूरी तरह ऑनलाइन ही संचालित की जा रही है. वेबसाइट और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर इसे वैध दिखाया गया है, जबकि जमीनी स्तर पर इसका कोई अस्तित्व नहीं मिलता. आजतक की पड़ताल में यह साफ हुआ कि यह यूनिवर्सिटी केवल कागजों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर चल रही है.
जांच एजेंसियां अब भारतीय शिक्षा परिषद को भी उन यूनिवर्सिटियों की सूची में शामिल कर चुकी हैं जिनके खिलाफ टेरर लिंक की जांच की जा रही है. इससे पहले अल फलाह यूनिवर्सिटी, इंट्रीगल यूनिवर्सिटी और ऐरा मेडिकल यूनिवर्सिटी की भी जांच की जा रही थी. अब इस यूनिवर्सिटी को भी एजेंसियों की रडार पर रखा गया है.
ATS और इंटेलिजेंस एजेंसी जांच में जुटी
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक 1997, 1998 और 1999 में भी इसी यूनिवर्सिटी की डिग्रियों के आधार पर आतंकियों ने पासपोर्ट बनवाए थे, जिसके बाद कई राज्यों में मुकदमे दर्ज हुए थे. तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा सहित कई राज्यों में भी इस यूनिवर्सिटी के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है. फिलहाल ATS और इंटेलिजेंस इस पूरे मामले की दोबारा जांच कर रही हैं और यह पता लगाया जा रहा है कि यह यूनिवर्सिटी अब भी किन-किन तरीकों से सक्रिय है और इसे कौन चला रहा है.