हापुड़ जिले के गढ़मुक्तेश्वर स्थित प्रसिद्ध गंगा घाट ब्रजघाट पर गुरुवार दोपहर बाद एक चौंकाने वाली घटना सामने आई. यहां चार युवक प्लास्टिक के पुतले को शव बताकर उसका अंतिम संस्कार करने पहुंचे थे. स्थानीय लोगों को जब इस पूरे मामले में कुछ गड़बड़ी नजर आई तो उन्होंने दो युवकों को मौके पर पकड़ लिया जबकि दो युवक वहां से भाग निकले. मामले की सूचना तुरंत पुलिस को दी गई और जांच आगे बढ़ने के बाद एक बड़ा बीमा घोटाला सामने आ गया.
डमी शव देखकर चौंक गए लोग
घटना के प्रत्यक्षदर्शी विशाल कुमार ने बताया कि चार युवक हरियाणा नंबर की आई20 कार में गंगा घाट पहुंचे. वे एक शव लाए होने का नाटक करते हुए बिना किसी धार्मिक प्रक्रिया के लकड़ियां सजाकर जल्दी-जल्दी अंतिम संस्कार की तैयारी करने लगे. लोगों को उनकी जल्दबाजी और संदिग्ध हरकतें देखकर शक हुआ.
जब एक व्यक्ति आगे बढ़कर शव का कफन हटाने गया तो वह हैरान रह गया. वहां किसी इंसान का शव नहीं, बल्कि प्लास्टिक का एक पुतला पड़ा हुआ था. यह देखकर भीड़ इकट्ठा हो गई और स्थानीय लोगों ने दो युवकों को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया जबकि दो युवक मौके से फरार हो गए.
संदेह बढ़ा, सामने आई साजिश की बड़ी परत
स्थानीय लोगों और नगरपालिका के जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने वाले कर्मचारियों का मानना था कि यह कोई बड़ी धोखाधड़ी या साजिश हो सकती है. आशंका थी कि या तो किसी जीवित व्यक्ति को मृत दिखाकर बीमा की राशि हड़पी जा रही है या किसी अपराधी को मृत दिखाकर कानून से बचाने की योजना हो सकती है.
पुलिस ने जब दोनों पकड़े गए युवकों से पूछताछ शुरू की तो वे पहले यह कहकर बचने की कोशिश करने लगे कि अस्पताल ने गलती से उन्हें नकली शव दे दिया है. लेकिन पुलिस की कड़ाई बढ़ने पर दोनों युवक अपने बयान बदलने लगे और अंततः सच्चाई सामने आ गई.
घोटाले का मास्टरमाइंड निकला दिल्ली का कमल सोमानी
गढ़ की सीओ स्तुति सिंह ने बताया कि पूछताछ में यह उजागर हुआ कि डमी शव का दाह संस्कार करने आए युवकों में मुख्य आरोपी कमल सोमानी है, जो दिल्ली के कैलाशपुरी का रहने वाला है. उसके साथ उसका दोस्त आशीष खुराना भी मौजूद था.
कमल सोमानी पर 50 लाख रुपये का भारी कर्ज था. कर्ज से छुटकारा पाने के लिए उसने एक खतरनाक साजिश रची. उसने अपनी दुकान में पहले काम कर चुके अंशुल कुमार का आधार और पैन कार्ड किसी बहाने से ले लिया था. इन दस्तावेजों का उपयोग करते हुए उसने करीब एक साल पहले अंशुल के नाम पर 50 लाख रुपये का बीमा करा लिया. वह नियमित रूप से बीमा की किस्त भी भरता रहा, ताकि किसी को शक न हो.
योजना के अनुसार अंशुल की नकली मौत दिखाकर बीमा कंपनी से 50 लाख रुपये हासिल करने का इरादा था. इसके लिए उसने असली शव की जगह प्लास्टिक का पुतला तैयार कराया और उसे शव बताकर गंगा घाट पर जलाने पहुंच गया, ताकि मौत का प्रमाण तैयार किया जा सके.
अंशुल बिल्कुल स्वस्थ मिला
पुलिस ने जब अंशुल से संपर्क किया तो उसने बताया कि वह प्रयागराज में अपने घर पर बिल्कुल स्वस्थ है और उसे इस बीमा या किसी योजना की कोई जानकारी नहीं थी. इससे साफ हो गया कि यह पूरा मामला भारी भरकम बीमा धोखाधड़ी का था.
घाट कर्मियों ने बताया कैसे पकड़ा गया मामला
शमशान घाट पर एंट्री करने वाले नितन ने बताया कि चार लोग आई20 कार से आए और दुकान से घी, लकड़ी वगैरह का सामान खरीदा. उन्होंने जल्दबाजी में लकड़ियां सजाईं और एक डमी शव लेटाकर दाह संस्कार करने लगे. उनकी हरकतें संदिग्ध लगने पर नितन ने आगे बढ़कर देखा और तुरंत पुलिस को सूचना दे दी.
पुलिस के पहुंचते ही दो युवक भाग निकले जबकि दो को पकड़ लिया गया. गाड़ी की तलाशी में दो और पुतले मिलने की भी जानकारी दी गई, जिससे शक और बढ़ गया कि यह कोई बड़ा रैकेट हो सकता है.
क्या था इन युवकों का उद्देश्य
प्रत्यक्षदर्शी विशाल कुमार का कहना था कि ये लोग दो नंबर में मृत्यु प्रमाण पत्र हासिल करना चाहते थे. यानी, पुतले को असली शव दिखाकर कागजों में मौत दर्ज करवा कर बीमा राशि हासिल की जा सकती थी. यह पूरा खेल बेहद सोच-समझकर रचा गया था.
पुलिस ने दर्ज किया मामला
पुलिस ने कमल सोमानी और उसके साथी के खिलाफ धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और साजिश से जुड़े गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है. फरार दो अन्य युवकों की तलाश जारी है. सीओ स्तुति सिंह ने कहा कि यह मामला एक बड़े वित्तीय घोटाले की ओर संकेत करता है और जांच जारी है.