उत्तरप्रदेश के बिजनौर में एक शख्स हैं जमाल शेख. इन्होंने अपना सारा जीवन गौरैया की सेवा में लगा दिया. वह छह साल की उम्र से गौरैयों की देखभाल कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि छह साल की उम्र में मैंने एक गौरैया को घोंसला सहित उठाकर लाया था. जब मेरी मां ने यह देखा तो मुझे बहुत डांट लगाई और उसे पेड़ पर छोड़कर आने को कहा. इसके बाद मां ने समझाया कि जबदस्ती किसी को अपने घर में नहीं रखते. बस यहीं से जमाल के मन में गोरैयों के प्रति सेवा भावना उत्पन्न हो गई.
जमाल बताते हैं कि इस घटना के बाद उनकी मां ने कहा कि तुम आज से ही अपनी छत पर चिड़ियों को दाना डालना शुरू कर दो.तब से अब तक जमाल शेख अपने घर की छत पर चिड़ियों को दाना डालते आ रहे हैं. इस कारण उनके घर में लगे पेड़ पर आज भी सैकड़ों गोरैया रहती हैं. साथ ही साथ अनेकों प्रजाति की चिड़िया भी रहती है.
पूरा घर ही बन गया है चिड़ियों का आशियाना
जमाल शेख बताते हैं कि उनके घर गोरैया के साथ-साथ अनेकों चिड़ियों के लिए भी खुले हैं. चिड़िया पूरे घर में कहीं भी घूम सकती है. जमाल ने अपने इस शौक को लेकर पुराना किस्सा सुनाया. उन्होंने बताया कि जब मुझे लड़का हुआ तो हम कई दिन अस्पताल में रहे. इस कारण हम कई दिन तक चिड़ियों को दान नहीं डाल पाए. जैसे ही वह अस्पताल से आकर घर के बेड पर लेटे ही थे. तभी एक गोरैया उनके बेड पर आती है और उनके पैर के अंगूठे में चोंच मारने लगी.
गर्मियों में गौरैयों के लिए रखते हैं विशेष इंतजाम
इसके बाद जमाल शेख ने अपने परिवार वालों से पूछा कि क्या तुमने चिड़ियों को खाना नहीं दिया. जमाल शेख ने अपनी छत पर रेत डाल रखी है और वह बताते हैं कि गर्मी आने पर वह इस रेत पर पानी का छिड़काव करते हैं. ताकि चिड़िया गर्मी से बच सके. जमाल शेख अपने पूरे गांव में फेमस हैं. इसलिए पूरा गांव अपने घर का बचा हुआ खाना उनके पास भेज देता है. ताकि वह चिड़ियों को खिला सके.
वन विभाग भी ले रहा जमाल की मदद
बिजनौर का फॉरेस्ट डिपार्मेंट गौरैया संरक्षण के लिए जमाल शेख की मदद ले रहा है. बिजनौर फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने इंदिरा पार्क को चुना है, जिसमें वह जमाल शेख की मदद से गोरैयों के हिसाब से वातावरण बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इस पर जमाल शेख का कहना है कि अगले 6 से 7 महीना में इंदिरा पार्क में गौरैया आनी शुरू हो जाएगी.