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'रामभद्राचार्य कोई संत नहीं, ये उनके कर्मों का फल...', चंद्रशेखर आजाद का बड़ा हमला

अयोध्या में रविवार को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आज़ाद रावण ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य पर तीखा हमला बोला. नगीना सांसद ने कहा कि वो रामभद्राचार्य को संत नहीं मानते हैं. उन्होंने संविधान और दलित-पिछड़े वर्गों के मुद्दों पर सरकार को घेरते हुए 2027 विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ा ऐलान भी किया.

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नगीना सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने रामभद्राचार्य पर किया हमला (Photo: Representational)
नगीना सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने रामभद्राचार्य पर किया हमला (Photo: Representational)

यूपी के अयोध्या में रविवार को फॉरएवर लॉन में आयोजित 16वें प्रबुद्ध सम्मेलन में नगीना से सांसद चंद्रशेखर आज़ाद रावण ने मंच से बड़ा बयान देते हुए जगद्गुरु रामभद्राचार्य पर सीधा हमला बोला. 

उन्होंने कहा, 'मैं जगद्गुरु रामभद्राचार्य को संत नहीं मानता, सनातन परंपरा में लिखा है कि जैसे कर्म करोगे वैसा ही फल मिलेगा. उनकी आंखें नहीं हैं तो यह उनके कर्मों का परिणाम है, इसमें मेरा कोई अपराध नहीं है.'

रामभद्राचार्य को संत नहीं मानते: चंद्रशेखर आज़ाद रावण

रावण ने आरोप लगाया कि रामभद्राचार्य संविधान को नहीं मानते. उन्होंने कहा, 'जब वो डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को नहीं मानते तो हमें क्यों मानना चाहिए? यह देश संविधान से चलता है, प्रधानमंत्री भी संविधान को माथे पर लगाते हैं, जिसे संविधान से दिक्कत है, वह देश में रहने के लायक नहीं.'

अयोध्या के कुछ संतों द्वारा उनके प्रवेश पर आपत्ति जताए जाने पर नगीना सांसद ने खुला चैलेंज देते हुए कहा कि भारत का संविधान उन्हें पूरे देश में जाने और अपनी बात रखने का अधिकार देता है. 'जिन्हें लगता था कि मुझे अयोध्या में घुसने नहीं देंगे, वो सामने आएं, मैं अयोध्या की धरती पर मौजूद हूं.

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भ्रष्टाचार और शोषण की पराकाष्ठा: चंद्रशेखर आज़ाद रावण

सभा में जुटी भीड़ को देखकर चंद्रशेखर आजाद रावण ने 2027 विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ा ऐलान किया. उन्होंने कहा कि आज़ाद समाज पार्टी पिछड़े वर्ग की राजनीति को नया आयाम देगी और 50 प्रतिशत सीटें पिछड़े वर्ग को दी जाएंगी. युवाओं से उन्होंने आह्वान किया कि अगले 17-18 महीनों तक चैन की नींद न सोएं और गांव-गांव जाकर पार्टी की विचारधारा फैलाएं.

मीडिया से बातचीत में उन्होंने अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन विस्तार परियोजना पर भी सरकार को घेरा. उनका आरोप था कि अनुसूचित जाति के लोगों की सबसे अधिक जमीनें अधिग्रहित की गईं, 150 से ज्यादा मकान तोड़े गए, न मुआवजा मिला और न पुनर्वास. गरीबों की जमीनें औने-पौने दामों में खरीदकर उद्योगपतियों को देने का आरोप लगाते हुए उन्होंने इसे भ्रष्टाचार और शोषण की पराकाष्ठा बताया.

 

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