इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर के चर्चित बिकरू कांड के आरोपी शिवम दुबे उर्फ दलाल की जमानत याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि छुपाई और गलत हलफनामा देकर न्यायालय को गुमराह करने की कोशिश की. यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकलपीठ ने 21 अगस्त को सुनाया.
क्या है सरकार का पक्ष?
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि आरोपी ने अपने हलफनामे में यह उल्लेख किया कि उसके खिलाफ कोई अन्य आपराधिक मामला लंबित नहीं है. जबकि वास्तविकता यह है कि आरोपी पर गैंगस्टर एक्ट के तहत केस दर्ज है और इसी मामले में उसे 5 सितंबर 2023 को सजा भी सुनाई गई थी. ऐसे में यह मानना गलत होगा कि आरोपी को इस तथ्य की जानकारी नहीं थी.
क्या थी कोर्ट की टिप्पणी?
सरकारी वकील के तर्कों को मानते हुए कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने न्यायालय से तथ्यों को छिपाकर राहत पाने की कोशिश की है. यह गंभीर मामला है और अभी जमानत देने का कोई औचित्य नहीं बनता. हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि “पर्याप्त समय बीत जाने के बाद आरोपी चाहे तो दोबारा जमानत की अर्जी दाखिल कर सकता है.”
बिकरू कांड की पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि 2 जुलाई 2020 की रात कानपुर के बिकरू गांव में पुलिस टीम कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई थी. इसी दौरान दुबे और उसके साथियों ने पुलिस पर घात लगाकर हमला कर दिया. इस हमले में डीएसपी देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे.
यह घटना पूरे देश में सनसनी फैलाने वाली साबित हुई थी. इसके बाद पुलिस ने विकास दुबे और उसके गिरोह के खिलाफ व्यापक अभियान चलाया. 10 जुलाई 2020 को विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर लाया जा रहा था. रास्ते में पुलिस वाहन पलटने पर उसने भागने की कोशिश की और मुठभेड़ में मारा गया.
शिवम दुबे की भूमिका
शिवम दुबे, जो विकास दुबे का करीबी माना जाता है, उस पर आरोप है कि वह भी इस हमले की साजिश और घटना में शामिल था. घटना के बाद उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा गया.