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युवा ,पढ़ा-लिखा और टेक सेवी- और यही पहचान है मायावती के भतीजे आकाश आनंद की

बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया है. आकाश उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को छोड़कर अन्य राज्यों में बहुजन समाज पार्टी का कामकाज देखेंगे क्योंकि यहां मायावती ही काम देखेंगी.

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रविवार को बसपा की बैठक में मायावती के साथ में आकाश आनंद
रविवार को बसपा की बैठक में मायावती के साथ में आकाश आनंद

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की रविवार को हुई बैठक में मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया.मायावती ने भरी सभा में ऐलान किया बीएसपी में उनके उत्तराधिकारी आकाश आनंद होंगे.28 साल के हैं आकाश आनंद ने लंदन से एमबीए में मास्टर्स डिग्री हासिल की है.2017 में मायावती ने आकाश को सहारनपुर की जनसभा में सबसे पहले लांच किया था जहां वह पहली बार मायावती के साथ मंच पर दिखाई दिए थे.

आकाश देखेंगे अलग-अलग विंग

आकाश आनंद फिलहाल उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को छोड़कर पूरे देश में पार्टी के अलग-अलग विंग को देखेंगे. 10 दिसंबर को लखनऊ में हुए पार्टी की बड़ी बैठक में मायावती ने देश के सभी प्रदेश अध्यक्षों जोनल कोऑर्डिनेटर और कोऑर्डिनेटर्स से सीधा परिचय कराया और तभी उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देने का ऐलान भी किया.

बेशक मायावती ने भतीजे को सियासी विरासत देने का औपचारिक ऐलान 10 दिसंबर को किया हो लेकिन वह इसके संकेत पहले से देती रही हैं इन पांच राज्यों के पहले हिमाचल प्रदेश के चुनाव के दौरान ही मायावती ने आकाश आनंद को अपने बाद स्टार कैम्पेन की जगह दी थी.

आकाश की नई रणनीति

आकाश आनंद का सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा फोकस होगा. हर राज्य की सोशल मीडिया टीम इसके अलावा मीडिया सेल बनाई जाएगी जो सीधे आकाश को रिपोर्ट करेगी.आकाश आनंद के नेतृत्व में अब मीडिया से दूरी की बजाय निकटता को तरज़ीह जाएगी. आकाश आनंद 2019 में समाजवादी पार्टी से हुए गठबंधन के गवाह रहे हैं और लोकसभा चुनाव के बाद मायावती ने आकाश आनंद को नेशनल कोआर्डिनेटर बनाया था और तब से आकाश पार्टी के सभी आंतरिक मीटिंग में हिस्सा लेते हैं.

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अभी हुए पांच राज्यों के चुनाव में मायावती ने मध्य प्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ के साथ-साथ तेलंगाना का जिम्मा भी आकाश आनंद को दे रखा था. आकाश के करीबी लोगों का दावा है कि अगर यह पूरा चुनाव आकाश आनंद को फ्री हैंड देकर लड़ने दिया जाता तो राजस्थान का नतीजा अलग होता है. पार्टी ने स्थानीय यूनिट की बातों को इन चुनाव में ज्यादा तरजीह दी थी.

बीएसपी के भीतर एक बड़ा तबका बहुत वक्त से एक नए चेहरे की तलाश में था और मायावती लगातार अपने काडर के सामने आकाश के चेहरे को पेश कर रही थी. आकाश के आने के बाद अब बसपा को नया नेतृत्व लगभग मिल गया है हालांकि मायावती फिलहाल ने सारे अधिकार अपने पास रखे है.

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