लोकसभा चुनाव को लेकर पूरे देश में माहौल राजनीतिक बना हुआ है. अलग-अलग राज्यों नेताओं का एक पार्टी छोड़ दूसरी में शामिल होने का सिलसिला जारी है, जैसा की हर चुनाव में होता है. इस बीच सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश की राजनीति से जुड़ी एक खबर अचानक चर्चा का विषय बन गई. इस बात की चर्चाएं शुरू हो गईं कि यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय भाजपा में शामिल हो सकते हैं. इसके पीछे बलिया लोकसभा सीट को लेकर उनके और कांग्रेस आलाकमान के बीच खींचतान को कारण बताया गया.
लेकिन अब खुद अजय राय ने इन अटकलों पर विराम लगा दिया है. उन्होंने अपने X हैंडल से एक वीडियो संदेश जारी कर कांग्रेस छोड़ने की खबरों को अफवाह बताया है. अजय राय ने कहा, 'हम सब कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं और रहेंगे. कांग्रेस ने जो प्यार और सम्मान दिया है, उसका हम कर्ज नहीं उतार सकते. उसको हम भूल नहीं सकते. मैं फिर कहूंगा कि भाजपा के लोग भ्रम में न रहें. इस बार काशी में लड़ाई चौकस और चौचक होगी. भाजपा इससे परेशान हो गई है और डरी हुई है. इसीलिए बीजेपी की तरफ से मेरे खिलाफ अफवाह फैलाई जा रही है, झूठ प्रचारित किए जा रहे, षड्यंत्र रचा जा रहा.'
मैं फिर कहूँगा भाजपा के लोग भ्रम में न रहे काशी में लड़ाई चौकस होगी और चौचक होगी …. pic.twitter.com/w1rOQojVFt
— Ajay Rai🇮🇳 (@kashikirai) April 9, 2024
यूपी में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में यह लोकसभा चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस ने एक बार फिर वाराणसी लोकसभा सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने अजय राय पर अपना दांव लगाया है. वह गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर पीएम मोदी को टक्कर देने उतरेंगे. अजय राय 2014 और 2019 में भी काशी में पीएम मोदी के सामने कांग्रेस के उम्मीदवार रहे हैं. 2014 में प्रधानमंत्री वाराणसी से करीब 3 लाख वोटों से जीते थे. उन्हें 5 लाख 81 हजार 22 वोट से विजयी हुई थे. इस दौरान कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय को सिर्फ 75 हजार 614 वोट ही मिले थे. पीएम मोदी के निकटतम प्रतिद्वंद्वी AAP नेता अरविंद केजरीवाल रहे थे. उन्हें 2 लाख 92 हजार 238 वोट मिले थे.
अगर 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो पीएम मोदी को 6,74,664 लाख वोट मिले थे. सपा उम्मीदवार शालनी यादव उनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी रही थीं. उन्हें 1,95,159 वोट मिले थे. कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय का वोट इस बार जरूर बढ़ा और 2014 के मुकाबले उन्हें दोगुने (1,52,548) वोट मिले. लेकिन इस बार भी वह तीसरे स्थान पर रहे. बता दें कि अजय राय ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत आरएसएस की छात्र ईकाई एबीवीपी से की थी. वह पांच बार के विधायक रहे हैं. तीन बार 1996, 2002 और 2007 में वाराणसी की कोलासला विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक रहे हैं. साल 2007 में टिकट कटने पर भाजपा छोड़ दिया और 2009 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में कोलासला उपचुनाव जीतकर चौथी बार विधायक बने. साल 2012 में वह कांग्रेस में शामिल हुए थे.