मौत के बाद इंसान के साथ क्या होता है, ये अब भी एक गहरा रहस्य बना हुआ है. सदियों से इंसान इस सवाल का जवाब खोज रहा है और समय-समय पर इसको लेकर कई दावे भी सामने आते रहे हैं. अब ऑक्सफोर्ड से पढ़े एक फिलॉसफर क्रिस कार्टर ने दावा किया है कि हमारी चेतना, शरीर के खत्म होने के बाद भी जिंदा रहते हैं.
उनकी नई किताब The Case for the Afterlife में उन्होंने मरने के बाद की जिंदगी, पुनर्जन्म और स्वर्ग जैसी जगहों को लेकर कई हैरान करने वाले दावे किए. आइये जानते हैं उन्होंने मरने के बाद जिंदगी के बारे में क्या लिखा है.
'सात लोकों' की यात्रा, धरती से शुरू होती है कहानी
क्रिस कार्टर अपनी किताब में 19वीं सदी के मशहूर कवि और साइकोलॉजिकल रिसर्चर फ्रेडरिक मायर्स के संदेशों का जिक्र किया, जो उनके मुताबिक मौत के बीस साल बाद अलग-अलग जरियों से दुनिया भर के साइकिक लोगों को मिले. साइकिक यानी ऐसे लोग जिनका दावा रहता है कि उन्होंने आत्मा से बात की.
फ्रेडरिक के मुताबिक, मरने के बाद आत्मा धरती से एक ऐसे सफर पर निकलती है जिसमें कुल सात अलग-अलग प्लेन या लोक होते हैं—हेडेस, थर्ड प्लेन, ईडो, प्लेन ऑफ फेम, प्लेन ऑफ लाइट और आउट यंडर और आखिरी लोक में आत्मा अमरत्व हासिल कर लेती है और उजाले में बदल जाती है.
मौत के बाद पहला स्टॉप
Hades को एक 'अस्थायी विश्राम स्थल' बताया गया है, जहां आत्मा तब तक रहती है जब तक उसे अगले लोक के लिए तैयार नहीं किया जाता. यहां बिताया गया समय आत्मा की थकान और जरूरत पर निर्भर करता है.
तीसरे लोक को धरती जैसा ही बताया गया है, जहां समान सोच वाले लोग मिलकर अपनी पसंद की दुनिया बनाते हैं, लेकिन अगर किसी ने जिंदगी में बुरे कर्म किए हैं, तो उसे यहां अंधेरे और वीराने में रहना पड़ता है. फ्रेडरिक के मुताबिक, ऐसे लोग तब तक अंधेरे में रहते हैं जब तक वे अपनी स्वार्थी प्रवृत्ति को छोड़ नहीं देते.
सपनों से भी सुंदर एक दुनिया
ईदो नाम का लोक दिखने में धरती जैसा ही है लेकिन यहां रंग और नजारे इतने खूबसूरत हैं कि इंसानी कल्पना भी हार जाए. फ्रेडरिक ने दावा किया कि उन्होंने खुद इस लोक तक की यात्रा की थी.
छठे लोक तक पहुंचने के बाद आत्मा शरीर छोड़कर सफेद रोशनी बन जाती है. फ्रेडरिक वहां तक नहीं पहुंचे थे, लेकिन उनके अनुसार ये जानकारी उन्हें उन आत्माओं ने दी जो पहले ही वहां पहुंच चुकी थीं.
हर आत्मा के लिए अलग सफर
क्रिस कार्टर ने बताया कि आत्मा की ये यात्रा उसके नैतिक और आध्यात्मिक विकास पर निर्भर करती है, यानी जैसी जिंदगी आपने जी है, वैसा ही अनुभव आपको मरने के बाद मिलेगा.