scorecardresearch
 

खुद को 200 बार जहरीले सांपों से कटवाया... फिर भी क्यों नहीं हुई इस शख्स की मौत?

2000 से 2018 तक फ्रीडे ने खुद को 200 से ज़्यादा बार सांपों से कटवाया है. इसके अलावा उसने 650 से ज़्यादा बार अपने शरीर में सांपों का जहर भी इंजेक्ट किया है. उसने यह दर्द इसलिए सहन किया क्योंकि वह विष के प्रति पूर्ण प्रतिरक्षा प्राप्त करना चाहता था.

Advertisement
X
शख्स ने खुद को 200 बार सांप से कटवाया (फोटो - AI जेनरेटेड सांकेतिक तस्वीर)
शख्स ने खुद को 200 बार सांप से कटवाया (फोटो - AI जेनरेटेड सांकेतिक तस्वीर)

छोटे से अमेरिकी शहर टू रिवर्स में रहने वाला एक शख्स  9/11 की घटना के दिन काफी उदास था और उसे कुछ अच्छा महसूस नहीं हो रहा था. बस खुद को रिएनर्जाइज करने के लिए वह घर में बने तहखाने में गया, जहां वह सांपों का कलेक्शन रखता था. वहां दो सबसे जहरीले सांप से खुद को डसवा लिया. इसके बाद वह चार दिनों तक कोमा रहा था.  इस शख्स का नाम है टिम फ्रीडे.

Advertisement

घर से वीडियो कॉल के जरिए फ्रीडे ने AFP को बताया कि मैं जानता हूं कि सांप के काटने पर कैसा महसूस होता है. 2000 से 2018 तक उसने खुद को 200 से ज़्यादा बार सांपों से कटवाया है. इसके अलावा उसने 650 से ज़्यादा बार अपने शरीर में सांपों का जहर भी इंजेक्ट किया है. फ्रीडे ने यह दर्द इसलिए सहन किया क्योंकि वह विष के प्रति पूर्ण प्रतिरक्षा प्राप्त करना चाहता था, जिसे मिथ्रिडैटिज्म कहा जाता है. वैसे इसे घर पर नहीं आजमाया जाना चाहिए.

खुद के शरीर को एंटीवेनम बनाना चहता था शख्स
कुछ एक बार जहरीले सांप से कटवाने के बाद, फ्रीडे को लगने लगा कि वह बेहतर किस्म के एंटीवेनम का आधार बन सकता है. फ्रीडे एक ट्रक मैकेनिक है. उसके पास यूनिवर्सिटी की डिग्री नहीं है, लेकिन वैज्ञानिक उसे गंभीरता से ले, इसके लिए वो लंबे समय तक संघर्ष करता रहा. 

Advertisement

लंबा संघर्ष और इंतजार रंग लाई
इतने सालों बाद अब जाकर पिछले महीने प्रतिष्ठित सेल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला कि फ्रीडे के रक्त में उपस्थित एंटीबॉडीज कई प्रकार के सांप के जहर से उन्हें सुरक्षा प्रदान करते हैं. अब शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि फ्रीडे की अति-प्रतिरक्षा क्षमता से यूनिवर्सल एंटीवेनम का विकास भी संभव हो सकेगा. इससे एक बड़ी आवश्यकता पूरी हो जाएगी.

वर्तमान में अधिकांश विषरोधी दवाएं विश्व के 600 विषैले सांपों में से केवल एक या कुछ के लिए ही कारगर हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, प्रति वर्ष लगभग 138,000 लोग सर्पदंश से मर जाते हैं.  ऐसा माना जाता है कि ये आंकड़े बहुत कम आंके गए हैं, क्योंकि सर्पदंश के शिकार लोग आमतौर पर गरीब और दूरदराज के इलाकों में रहते हैं.

क्या है फ्रीडे की कहानी 
फ्रीडे को पहली बार एक हानिरहित गार्टर सांप ने काटा था. जब वह पांच वर्ष के थे. 57 वर्षीय फ्रीडे ने कहा कि तब मैं डर गया था और खूब रोया. फिर वह घर पर सांपों को लाने लगे और उन्हें अचार के बर्तनों में छिपाकर रखने लगे. उनकी मां ने समझाया ली, लेकिन सांपों में उसकी रुचि बनी रही. मामला तब और बिगड़ गया जब फ्रीडे ने एक ऐसे क्लास में भाग लिया जिसमें उसे शरीर से सांपों का जहर निकालने की विधि सिखाई गई.

Advertisement

घोड़े में सांप का जहर इंजेक्ट कर बनाया जाता है एंटीवेनम
हालांकि, पिछले 125 वर्षों में एंटीवेनम बनाने की विधि में कोई खास बदलाव नहीं आया है. सांप के जहर की एक छोटी खुराक घोड़ों जैसे जानवरों में इंजेक्ट की जाती है, जिससे एंटीबॉडी उत्पन्न होता है. इसे निकालकर एंटीवेनम के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.

फ्रीडे को खुद पर सांप का जहर आजमाने का आया आईडिया
हालांकि, यह एंटीवेनम आमतौर पर केवल उस विशेष प्रजाति के सांप के काटने पर ही काम करता है, जिसके जहर का इस्तेमाल एंडीवेनम बनाने में किया गया है. साथ ही इसमें घोड़े के अन्य एंटीबॉडी भी शामिल होते हैं, जो एनाफाइलैक्टिक शॉक सहित गंभीर दुष्प्रभाव पैदा कर सकते हैं. ऐसे में फ्रीडे ने कहा कि मैंने सोचा, अगर वे घोड़ों के लिए एंटीवेनम बनाते हैं, तो मैं खुद को प्राइमेट के रूप में क्यों नहीं इसका इस्तेमाल कर सकता हूं?

फ्रीडे ने अपनी इम्युनिटी के इस्तेमाल के लिए कई वैज्ञानिकों से किया संपर्क
फ्रीडे ने सभी घातक प्रजातियों के विष पर काम करना शुरू कर दिया, जो उन्हें मिल सकती थीं- जैसे कोबरा, ताइपन, ब्लैक माम्बा और रैटलस्नेक. उन्होंने कहा कि सांप का विष लेने पर हर समय दर्द होता है. वर्षों तक, जिन वैज्ञानिकों से उन्होंने अपनी प्रतिरक्षा (इम्युनिटी) का लाभ उठाने के लिए संपर्क किया. उन्होंने उनका साथ देने से इनकार कर दिया. फिर 2017 में, प्रतिरक्षाविज्ञानी जैकब ग्लेनविले, जिन्होंने पहले यूनिवर्सल टीकों पर काम किया था, उन्होंने अपना ध्यान एंटीवेनम की ओर लगाया.

Advertisement

ऐसे फ्रीडे की ओर गया वैज्ञानिकों का ध्यान
ग्लेनविले ने एएफपी को बताया कि वह एक अनाड़ी सांप शोधकर्ता की तलाश कर रहे थे. जिसे गलती से दो बार सांप ने काटा हो. जब उन्हें फ्रीडे का एक वीडियो मिला, जिसमें वह लगातार जहरीले सांपों से खुद को डसवाने की बात कर रहा था. ग्लेनविले ने बताया कि जब उन्होंने पहली बार बात की थी, तो उन्होंने फ्रीडे से कहा था कि मुझे पता है कि यह अजीब है, लेकिन मैं आपका खून अपने हाथों में लेना पसंद करूंगा. फ्रीडे ने जवाब दिया कि मैं इस कॉल का लंबे समय से इंतजार कर रहा था.

13 जहरीले सांपों के विष के लिए कारगर रहा फ्रीडे का एंटीबॉडी
सेल पेपर में उल्लेखित एंटीवेनम में फ्रीडे के रक्त से प्राप्त दो एंटीबॉडीज के साथ-साथ वेरेसप्लाडिब नामक दवा भी शामिल है. इस दवा ने चूहों पर परीक्षण की गई 19 सांप प्रजातियों में से 13 के विरुद्ध पूर्ण सुरक्षा प्रदान की तथा शेष छह के विरुद्ध आंशिक सुरक्षा प्रदान की.

शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि भविष्य में बनने वाले कॉकटेल में और अधिक सांपों को शामिल किया जाएगा. विशेष रूप से वाइपर को  तथा ऑस्ट्रेलिया में कुत्तों पर भी इसका परीक्षण करने की योजना है. ऑस्ट्रेलियाई वेनम रिसर्च यूनिट के टिमोथी जैक्सन ने प्रतिरक्षा विज्ञान संबंधी शोध की प्रशंसा की, लेकिन कृत्रिम रूप से विकसित एंटीबॉडीज की ओर इशारा करते हुए सवाल उठाया कि क्या इसमें मानव को भी शामिल किया जाना चाहिए. 

Advertisement

लागत कम रखने के लिए भारत में किया जाएगा उत्पादन
ग्लेनविले ने कहा कि उनकी अमेरिकी कंपनी सेंटीवैक्स का अंतिम लक्ष्य एक यूनिवर्सल एंटीवेनम विकसित करना है, जिसका उपयोग एपिपेन जैसी किसी दवा द्वारा किया जा सके तथा लागत कम रखने के लिए संभवतः भारत में इसका उत्पादन किया जा सके.

फ्रीडे ने चिकित्सा के क्षेत्र में अपने योगदान पर जताया गर्व
फ्रीडे ने कहा कि उन्हें चिकित्सा इतिहास में छोटा सा अंतर लाने पर गर्व है.अब सेंटिवैक्स के लिए काम कर रहे फ्रीडे ने 2018 में कंपनी को देयता संबंधी मुद्दों से बचाने के लिए खुद को जहर देना बंद कर दिया. लेकिन उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में वो फिर से सांप से खुद को कटवाएंगे.  उन्होंने कहा कि मुझे इसकी कमी खलती है.

Live TV

Advertisement
Advertisement