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सिंगापुर में बच्चे तमिल सीखने के इच्छुक

सिंगापुर में अधिक से अधिक भारतीय बच्चे तमिल सीखने के इच्छुक हैं क्योंकि उनके अभिभावक इस भाषा और दक्षिण भारतीय संस्कृति में गहरी दिलचस्पी जता रहे हैं.

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सिंगापुर में अधिक से अधिक भारतीय बच्चे तमिल सीखने के इच्छुक हैं क्योंकि उनके अभिभावक इस भाषा और दक्षिण भारतीय संस्कृति में गहरी दिलचस्पी जता रहे हैं.

सिंगापुर के रामकृष्ण मिशन के उपाध्यक्ष स्वामी सत्यालोकानंद ने बताया, ‘हालांकि सिंगापुर में 1928 से मिशन और अन्य संस्थाएं तमिल पढ़ाने का काम कर रहे हैं, इस भाषा और दक्षिण भारतीय संस्कृति को लेकर नए सिरे से रूचि नजर आ रही है.’

उन्होंने बताया, ‘भारतीय अभिभावकों ने तमिल के प्रति गहरी दिलचस्पी जाहिर की और अपने बच्चों को नर्सरी तथा किंडरगार्टन कक्षाओं से ही तमिल पढ़ाना शुरू किया है.’ सत्यालोकानंद ने कहा कि इस उत्साह का कारण यह है कि सिंगापुर सरकार बच्चों के अपनी मातृभाषा पढ़ने पर जोर दे रही है.

स्वयं सत्यालोकानंद जापानी हैं और उनका जन्म फुकुओका में हुआ था. उनके अनुसार, सिंगापुर में भारतवंशियों की संख्या बढ़ने के साथ साथ हालिया वर्षों में स्कूलों में भर्ती होने वाले छात्रों की संख्या बढ़ी है. सिंगापुर में भारत वंशियों की संख्या करीब 500,000 है.

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उन्होंने बताया ‘हमारे स्कूल में 500 विद्यार्थी हैं और 200 विद्यार्थी प्रतीक्षा सूची में हैं.’ मिशन ने हिंदी पढ़ाना भी शुरू किया है. सिंगापुर में हिंदी राजभाषा नहीं है लेकिन यहां बसा भारतीय समुदाय हिंदी बोलता है.

अन्य शैक्षिक संस्थानों में भी तमिल, हिन्दी, उर्दू, गुजराती और पंजाबी आदि की कक्षाएं लगती हैं.

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